पारंपरिक चिकित्सा में संतुलन बहाली के लिए वैश्विक कार्रवाई जरूरी: प्रधानमंत्री मोदी
द्वितीय वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन का नई दिल्ली में समापन
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 20 दिसंबर: प्रधान मंत्री मोदी ने भारत मंडपम में आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वितीय वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य और कल्याण में संतुलन बहाली आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुकी है। उन्होंने तेज़, समन्वित और सामूहिक अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई का आह्वान किया।
आयुर्वेद की संतुलन अवधारणा पर ज़ोर
प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद में संतुलन को संपूर्ण स्वास्थ्य की बुनियाद माना गया है। आज जीवनशैली जनित रोग, मानसिक तनाव और दीर्घकालिक बीमारियाँ असंतुलन का परिणाम हैं। ऐसे में संतुलन की बहाली केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि वैश्विक आवश्यकता है।
जामनगर स्थित वैश्विक केंद्र पर भारत की भूमिका
प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्ष 2022 में वैश्विक समुदाय ने पारंपरिक चिकित्सा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक केंद्र की जिम्मेदारी भारत को सौंपी थी। गुजरात के जामनगर में स्थापित यह केंद्र आज शोध, नियमन, प्रशिक्षण और वैश्विक सहयोग का प्रमुख मंच बन चुका है, जो भारत पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय विश्वास को दर्शाता है।
वैज्ञानिक प्रमाण और सुरक्षा पर बल
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि पारंपरिक चिकित्सा की विश्वसनीयता वैज्ञानिक प्रमाणों, गुणवत्ता मानकों और सुरक्षा से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक पुस्तकालय जैसी पहलें शोध और नीति संबंधी जानकारी तक सभी देशों की समान पहुंच सुनिश्चित करेंगी।

अश्वगंधा का वैश्विक उदाहरण
अश्वगंधा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक समय-सिद्ध औषधि है, जिसने शोध और सत्यापन के माध्यम से वैश्विक पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि भारत इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर आधारित अनुसंधान के ज़रिये वैश्विक स्वीकार्यता को आगे बढ़ा रहा है।
पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा का एकीकरण
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पारंपरिक चिकित्सा को आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ने के लिए लगातार काम कर रहा है। यह एकीकरण केवल स्वास्थ्य संवर्धन तक सीमित नहीं, बल्कि गंभीर रोगों और जनस्वास्थ्य से जुड़े क्षेत्रों तक विस्तारित किया जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की खुली सराहना
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडहानोम घेब्रेयेसुस ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि भारत ने पारंपरिक चिकित्सा को विरासत से निकालकर मुख्यधारा की स्वास्थ्य प्रणाली में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा कोई अतीत की वस्तु नहीं, बल्कि एक जीवंत और विकसित होती विज्ञान प्रणाली है।
केंद्रीय मंत्रियों के वक्तव्य
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि आयुष को प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के साथ जोड़ा गया है, जिससे निवारक और समग्र स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिली है।
आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि यह सम्मेलन वैश्विक स्वास्थ्य विमर्श में निर्णायक मोड़ साबित हुआ है और पारंपरिक चिकित्सा को जन-केंद्रित स्वास्थ्य का मजबूत स्तंभ बना रहा है।
उद्घाटन और प्रमुख घोषणाएँ
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने नई दिल्ली में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय भवन का उद्घाटन किया। साथ ही पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक पुस्तकालय, आयुष मार्क, आयुष डिजिटल सेवा मंच, योग प्रशिक्षण पर तकनीकी रिपोर्ट, अश्वगंधा पर स्मारक डाक टिकट तथा आयुष पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया।
दिल्ली घोषणा के साथ सम्मेलन का समापन
द्वितीय वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन का समापन दिल्ली घोषणा के साथ हुआ। इसमें पारंपरिक चिकित्सा को साझा सांस्कृतिक विरासत मानते हुए इसके वैज्ञानिक विकास, नियमन, एकीकरण और समान पहुंच पर वैश्विक प्रतिबद्धता दोहराई गई।
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