चिदंबरम के बयान पर बहस: क्या था ‘देशी आतंकवाद’ का सच?

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 जुलाई: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम की हालिया टिप्पणी ने माहौल गरमा दिया है। उन्होंने एक मीडिया साक्षात्कार में सुझाव दिया कि 22 अप्रैल को हुए पाहलगाम आतंकी हमले में शामिल आतंकवादी संभवतः “देशी” हो सकते हैं, क्योंकि उनके पाकिस्तान से आने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला।

भाजपा का तीखा रुख: कांग्रेस को फिर पाकिस्तान बचाने वाला कहा

इस टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चिदंबरम को आड़े हाथों लिया। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि चिदंबरम ने एक बार फिर भारतीय सेना की मुहिम को कमजोर करते हुए पाकिस्तान को ‘क्लीन चिट’ दे दी है। उन्होंने कहा:

“राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में कोई अस्पष्टता बरदाश्त नहीं की जा सकती, लेकिन कांग्रेस हमेशा दुश्मनों की बाज़ी बचाने की कोशिश में होती है।”

चिदंबरम का बचाव: बयान तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया

बयान के वायरल होने पर चिदंबरम ने हस्तक्षेप किया और सोशल मीडिया पर सफाई दी कि उनका साक्षात्कार गलत संदर्भ में उद्धृत किया गया:

“ट्रोल सबसे खतरनाक होते हैं—जो पूरे इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग छिपाकर केवल कुछ वाक्य निकालते हैं और वक्ता को बदनाम कर देते हैं।”

उन्होने स्पष्ट किया कि उनके बयान का उद्देश्य आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को कमजोर करना नहीं था, बल्कि सिर्फ तथ्यों की जांच की जरूरत बताना था।

संसद में शुरू हो रही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बहस

अब लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर गहन बहस होने जा रही है। यह भारत की पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई का भाग है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बहस में सरकार का पक्ष रखेंगे। इस बहस में चिदंबरम के बयान को भी विपक्ष विरोध की रणनीति के तहत उठाएगा।

राजनीति या सुरक्षा की चेतावनी?

चिदंबरम का बयान मिशन के प्रति सवाल खड़ा करता है कि क्या आतंकी संगठन पाक अधिकृत क्षेत्रों से ही जुड़े हुए थे, या उनका भारत के भीतर जुड़ाव था?

  • राष्ट्र सुरक्षा पर समझौता या विपक्ष की भूमिका?
  • क्या ऐसे वक्तव्य भारतीय सेना के मनोबल को प्रभावित करेंगे?
  • सवालों की जगह समर्थन, देशभक्ति बनेगी प्राथमिकता?

 

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