यूपी में अपना दल की आपसी लड़ाई में योगी आदित्यनाथ क्यों आ गए टारगेट पर?

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,3 जनवरी।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपने दल के भीतर होने वाली संघर्ष की लहरें अक्सर राज्य की राजनीति को नई दिशा देती हैं। हाल ही में, अपना दल (पाटिल परिवार) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला किया है, जिससे राजनीतिक माहौल में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस लेख में हम विश्लेषण करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ और इसके पीछे के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं।

1. सत्ता की भूख और नेतृत्व का संघर्ष: अपना दल का मूल उद्देश्य समाज में अपनी पहचान बनाना और राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करना रहा है। जैसे-जैसे दल का प्रभाव बढ़ा, नेतृत्व के अधिकार को लेकर आंतरिक संघर्ष भी बढ़ा। योगी आदित्यनाथ, जो कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, अपना दल के विस्तार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इससे अपना दल के कुछ नेताओं को अपनी सत्ता की सुरक्षा को लेकर चिंताएं हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाया।

2. नीति में मतभेद: राजनीतिक दलों के भीतर नीतिगत मतभेद

यूपी में अपना दल की आपसी लड़ाई में योगी आदित्यनाथ क्यों आए टारगेट पर?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना दल (एस) और अपना दल (के) के बीच खींचतान कोई नई बात नहीं है। लेकिन इस बार यह विवाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गया है। सवाल उठता है कि आखिर क्यों एक पारिवारिक और आंतरिक राजनीतिक लड़ाई में योगी आदित्यनाथ को निशाना बनाया जा रहा है?

अपना दल की पृष्ठभूमि

अपना दल की स्थापना डॉ. सोनेलाल पटेल ने 1995 में की थी। पार्टी मूल रूप से कुर्मी समुदाय की राजनीति पर केंद्रित है, जिसका उत्तर प्रदेश में बड़ा वोट बैंक है। डॉ. सोनेलाल पटेल के निधन के बाद पार्टी दो हिस्सों में बंट गई—अपना दल (एस) और अपना दल (के)। जहां अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल (एस) एनडीए के साथ है, वहीं कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल (के) अलग राह पर है।

विवाद की जड़

हाल के दिनों में कृष्णा पटेल और उनकी बेटी पल्लवी पटेल ने योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाए कि वे अपनी ताकत का इस्तेमाल करके अनुप्रिया पटेल के पक्ष में पार्टी को कमजोर कर रहे हैं।

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