समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 नवम्बर। महाराष्ट्र के बीजेपी विधायक नितेश राणे ने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान किसी भी प्रकार के ‘वोट जिहाद’ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नितेश राणे का यह बयान उन मतदाताओं को लेकर है, जिन्हें किसी विशेष राजनीतिक लाभ के लिए प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी राज्य में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
‘वोट जिहाद’ पर राणे का रुख
नितेश राणे के अनुसार, कुछ विशेष समुदायों और बाहरी तत्वों द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करने के प्रयास किए जाते हैं, जो चुनाव प्रक्रिया को बाधित करते हैं। उन्होंने इस तरह के प्रयासों को ‘वोट जिहाद’ करार दिया और दावा किया कि इसे रोकने के लिए उनकी पार्टी सतर्क रहेगी। राणे का कहना है कि उनकी पार्टी निष्पक्षता में विश्वास रखती है, और किसी भी प्रकार के धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर वोट मांगने का विरोध करती है।
निष्पक्ष चुनाव की मांग
राणे ने यह भी कहा कि वोटिंग का अधिकार हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है, और इसे प्रभावित करने वाले किसी भी तत्व को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उनका मानना है कि राजनीतिक दलों को लोगों को उनके काम और योजनाओं के आधार पर वोट मांगना चाहिए, न कि धर्म, जाति, या सांप्रदायिकता के आधार पर।
चुनाव आयोग से अपील
नितेश राणे ने चुनाव आयोग से भी इस संबंध में कड़े कदम उठाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को ऐसे तत्वों पर नजर रखनी चाहिए जो मतदाताओं को किसी भी प्रकार से प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। राणे ने सुझाव दिया कि मतदान प्रक्रिया के दौरान नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए और विशेष समुदायों के मतदाताओं को प्रभावित करने वाले तत्वों पर लगाम कसी जाए।
विपक्ष का पलटवार
राणे के इस बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इसे सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का प्रयास बताया है। विपक्ष का कहना है कि इस तरह के बयान राजनीति में विभाजनकारी विचारधारा को बढ़ावा देते हैं, जो लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।
निष्कर्ष
विधानसभा चुनावों में किसी भी प्रकार के दबाव या पक्षपातपूर्ण तरीके से मतदाताओं को प्रभावित करने की प्रवृत्ति पर नितेश राणे का यह बयान विवादास्पद तो है, लेकिन इसके जरिए उन्होंने निष्पक्ष चुनाव की मांग की है। राणे का यह बयान आने वाले चुनावी माहौल में बड़ा मुद्दा बन सकता है, और चुनाव आयोग और जनता का इस पर क्या रुख रहता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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