स्वतंत्रता सेनानी का अपमान नहीं सहेंगे”: सावरकर पर टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार
नई दिल्ली 25 अप्रैल : कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से उस समय तीखी फटकार मिली, जब उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा, “यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के साथ व्यवहार करने का तरीका नहीं है। जब आपको इतिहास और भूगोल की जानकारी नहीं है, तो ऐसे बयान क्यों देते हैं?”
मामला 17 नवंबर 2022 का है, जब राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के अकोला में एक रैली के दौरान सावरकर के बारे में टिप्पणी की थी। इस पर अधिवक्ता नृपेन्द्र पांडे ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया। समन जारी होने के बाद राहुल गांधी ने इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
गुरुवार को न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी की जम कर फटकार लगाई। अदालत ने पूछा, “क्या उन्हें पता है कि महात्मा गांधी ने भी वायसराय को पत्र में ‘आपका आज्ञाकारी सेवक’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया था? क्या उन्हें मालूम है कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने भी सावरकर की प्रशंसा में पत्र लिखा था?”
कोर्ट ने साफ कहा कि एक जिम्मेदार नेता होकर राहुल गांधी जैसे व्यक्ति को अपनी बातों का वजन समझना चाहिए। अदालत ने कहा, “अगर आपका इरादा दुश्मनी फैलाने का नहीं था, तो ऐसे बयान क्यों? आप जैसे नेता जब इस तरह की बात करते हैं, तो समाज में भ्रम और टकराव पैदा होता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को अंतरिम राहत देते हुए कार्यवाही पर सशर्त रोक जरूर लगाई, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि आगे अगर ऐसी कोई टिप्पणी की गई, तो कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा। न्यायालय ने कहा “हम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में किसी को भी अपमानजनक भाषा का प्रयोग नहीं करने देंगे। उन्होंने देश को आज़ादी दिलाई, और अब उन्हें इस तरह अपमानित किया जा रहा है?”
वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से सफाई दी कि उनका इरादा किसी को आहत करने का नहीं था। इस पर कोर्ट ने दो टूक कहा “इरादा नहीं था, तो ऐसा बयान क्यों दिया गया?”
यह मामला केवल एक कानूनी विवाद नहीं, बल्कि सार्वजनिक जीवन में भाषा की मर्यादा और इतिहास के प्रति जिम्मेदारी की भी एक बड़ी मिसाल बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लेते हुए यह संकेत दिया है कि अब नेताओं के बयान केवल “राजनीतिक भाषण” मानकर नहीं छोड़े जाएंगे।
राहुल गांधी इस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और अक्सर सरकार के खिलाफ मुखर रहते हैं, लेकिन इस मामले ने उन्हें एक अलग ही मोर्चे पर ला खड़ा किया है, जहां उन्हें अपनी बातों की संवेदनशीलता को लेकर न्यायपालिका के कठघरे में उतरना पड़ा। सुनवाई की अगली तारीख जल्द तय की जाएगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है की “राजनीति अपनी जगह है, लेकिन देश के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान सर्वोपरि है।”
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