“प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही स्टार्टअप प्रधानमंत्री के विकसित भारत @2047 के स्वप्न को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं”: डॉ. जितेंद्र सिंह
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 जनवरी। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने युवाओं से उचित कौशल प्राप्त करने का आग्रह करते हुए कहा कि हिमालयी राज्यों में स्टार्टअप की ऐसी अपार संभावनाएं हैं जिनका पता लगाया जाना बाकी है।
उन्होंने कहा कि विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में अरोमा मिशन और बैगनी क्रांति (पर्पल रिवोल्यूशन) में उल्लेखनीय सफलता की कहानियां हैं, लेकिन जैव प्रौद्योगिकी और एग्रीटेक स्टार्टअप में अपेक्षित गति कुछ अन्य राज्यों में स्टार्टअप की तीव्र वृद्धि के अनुरूप नहीं दिखती है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ- फिक्की महिला संघ (फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज -फिक्की-फिक्की लेडीज आर्गेनाईजेशन-एफएलओ) द्वारा इसके अध्यक्ष, वरुणा आनंद और वरिष्ठ उपाध्यक्ष, रुचिका गुप्ता के नेतृत्व में आयोजित ‘उदय स्टार्टअप शिखर सम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अरोमा मिशन और लैवेंडर की खेती की सफलता की कहानी अन्य हिमालयी राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर-पूर्व में नागालैंड में भी दोहराई जा रही है।
यह देखते हुए कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में स्टार्टअप्स अब संतृप्ति के निकट हैं, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र अब हरित क्रांति के बाद एक तकनीकी क्रांति देख रहा है।
मंत्री महोदय ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में देश में कृषि-प्रौद्योगिकी (एग्री-टेक) स्टार्ट-अप्स की एक नई लहर उभरी है और ये स्टार्ट-अप किसानों को बाज़ारों की व्यापक रेंज तक पहुंच मिलने में सहायता करने के अलावा आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, शीतलन और प्रशीतन, बीज प्रबंधन और वितरण से संबंधित समस्याओं का समाधान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि “2014 में हमारे पास मात्र 55 जैवप्रौद्योगिकी (बायोटेक) स्टार्टअप थे पर अब हमारे पास 6,000 से अधिक स्टार्टअप्स हैं। आज, 3,000 से अधिक एग्रीटेक स्टार्टअप हैं जो अरोमा मिशन और बैंगनी क्रांति (पर्पल रिवोल्यूशन) जैसे क्षेत्रों में बहुत सफल हैं। जम्मू-कश्मीर में लगभग 4,000 लोग लैवेंडर की खेती से जुड़े हुए हैं और लाखों रुपये कमा रहे हैं। विशेष रूप से इस युवा ब्रिगेड के 70 प्रतिशत लोग स्नातक भी नहीं हैं, लेकिन उनके पास कम आय पैदा करने वाली मक्का की खेती से हटकर लैवेंडर की खेती करने के लिए नवीन सोच और जोखिम लेने की क्षमता है”।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वर्ष 2014 में लगभग 350 स्टार्ट- अप्स से, पिछले 09 वर्षों में भारत में स्टार्टअप्स 300 गुना से अधिक बढ़ गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय स्टार्टअप पारिस्थिकी (इकोसिस्टम) दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में लाल किले की प्राचीर से ‘स्टार्टअप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया’ का आह्वान करने और 2016 में विशेष स्टार्टअप योजना शुरू करने के बाद, आज हमारे पास110 से अधिक यूनिकॉर्न के अलावा 1,30,000 से अधिक स्टार्टअप हैं” ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने उद्यमिता और उद्योग के विकास के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए प्रधान मंत्री मोदी को श्रेय दिया और भारत के अप्रयुक्त संसाधनों को अनलॉक करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि “सरकार ग्रामीण और अर्ध-शहरी उद्यमों के लिए एक सक्षम वातावरण प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, आज युवा ‘सरकारी नौकरी’ वाली मानसिकता से मुक्त हो गए हैं और सरकार अब उत्पाद विकास से लेकर विपणन तक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है”।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अमृत काल के अगले 25 वर्षों में भारत की भविष्य की अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन भारत के विशाल समुद्र तट के अलावा हिमालयी राज्यों से भी आने वाला है।
उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही स्टार्ट-अप प्रधानमंत्री के विकसित भारत @2047 के स्वप्न को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं।”
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