हे स्त्री, तू कभी तो जवाब दे….

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस् पर विशेष

*हर्षिता राय 

वो, जो सुबह से शाम तक,

निरंतर लगी रहती है,

घर के कामों में,

वो जो सबकी फिक्र में ,

इतनी डूबी कि,

खुद का होश नहीं रहा,

वो जिसने भुला दिए,

अपने सारे ख़्वाब,

अपनों के सपने संवारने में,
वो कभी इस सवाल का,

जवाब क्यों नहीं देती,

कि तुमने आज तक किया क्या है?

हे स्त्री, तू कभी तो जवाब दे…

 

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