विकसित भारत की नींव: नारी शक्ति और नीडोनॉमिक्स

प्रो. मदन मोहन गोयल

विजिटिंग प्रोफेसर, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (  आईआईएएस  ), शिमला

केवल  सकल घरेलू उत्पाद  की वृद्धि ही किसी राष्ट्र की प्रगति का संपूर्ण संकेतक नहीं होती। एक सचमुच विकसित भारत वह है जहाँ जीवन की गुणवत्ता, सामाजिक मूल्य, समावेशिता और सतत विकास को प्राथमिकता दी जाती है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में नारी शक्ति और नीडोनॉमिक्स की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह लेख इसी सोच को केंद्र में रखकर “विकसित भारत की नींव: नारी शक्ति और नीडोनॉमिक्स” विषय पर प्रकाश डालता है।

यह लेख भारत के एक उभरते विचार — नीडोनॉमिक्स, अर्थात आवश्यकताओं की अर्थव्यवस्था — की अवधारणा पर केंद्रित है, और इस बात का विश्लेषण करता है कि यह मॉडल महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किस प्रकार एक परिवर्तनकारी मार्ग सिद्ध हो सकता है।

महिलाएं केवल उपभोक्ता नहीं हैंवे सृजनकर्तापालनकर्ताऔर परिवर्तन की वाहक हैं।

यदि हमें सच में विकसित भारत बनाना है, तो भारतीय महिलाओं को नीडोनॉमिक्स को समझना, विश्लेषण करना, व्याख्या करना और सबसे महत्वपूर्ण, अपनाना होगा—यह दृष्टिकोण सचेत नीडो-उपभोग  पर आधारित है, न कि अंधाधुंध खरीददारी और अंतहीन इच्छाओं पर।

नीडोनॉमिक्स कोई नई अवधारणा नहीं है—यह पुरानी अमृत-वाणी को नए पात्र में परोसना है। यह हमारे प्राचीन भारतीय ज्ञान, विशेषकर भगवद्गीता में निहित संतुलन, आत्मसंयम और उद्देश्यपूर्ण जीवन के मूल्यों की पुनः खोज है।

नवीनता केवल इस बात में है कि हम इन गूढ़ ज्ञानों को आधुनिक अर्थशास्त्र और जन नीति में कैसे लागू कर रहे हैं।

एक ऐसी दुनिया में जहाँ केवल  सकल घरेलू उत्पाद  और भौतिक सफलता को महत्त्व दिया जाता है, हम अक्सर भूल जाते हैं कि असली मायने क्या रखते हैं —

मानव सुख, नैतिकता की अखंडता और पर्यावरण का स्वास्थ्य।

नीडोनॉमिक्स विकास विरोधी नहीं, बल्कि सही प्रकार के विकास के पक्ष में है:

• ऐसा विकास जो केवल मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि जनसेवा के लिए हो।

• ऐसा विकास जो पर्यावरण को नष्ट नहीं करता, बल्कि संरक्षित करता है।

• ऐसा विकास जो केवल कुछ विशेष वर्ग को नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग, विशेषकर महिलाओं को ऊपर उठाए।

महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए 3D सूत्र

इस परिवर्तन को जीवन में उतारने के लिए, हमें अपनाने होंगे तीन शक्तिशाली ‘D’:

• दृढ़ संकल्प (Determination) – वह आंतरिक ज्वाला जो क्रिया को जन्म देती है। चाहे वह शिक्षा हो, उद्यमिता हो या सामाजिक सुधार, दृढ़ संकल्प हमें परंपराओं को चुनौती देने और बाधाओं को पार करने की हिम्मत देता है।

• समर्पण (Dedication) – यदि संकल्प इरादा है, तो समर्पण उस इरादे में समय, ऊर्जा और उद्देश्य का निवेश है। यह जीवन के हर पहलू में लालच के बजाय आवश्यकता, और भौतिकता के बजाय अर्थ को चुनना है।

• अनुशासन (Discipline) – वह ढांचा और निरंतरता जो संकल्प और समर्पण दोनों को बनाए रखता है। नीडोनॉमिक्स की दुनिया में इसका अर्थ है –

वित्तीय विवेक, नैतिक जागरूकता, और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी।

ये तीनों गुण अलग-अलग नहीं, बल्कि आपस में जुड़े हुए हैं। मिलकर ये बनते हैं सशक्तिकरण की रीढ़ और राष्ट्र निर्माण के इंजन।

परिवर्तन की वाहक महिलाएं

भारतीय महिलाएं पहले से ही इन गुणों को अपने दैनिक जीवन में जीती हैं—चाहे वे गृहिणी हों, शिक्षिका, चिकित्सक, किसान, मज़दूर, उद्यमी या नेता।

अब ज़रूरत है इन मूल्यों को नीडोनॉमिक्स के दृष्टिकोण से सामूहिक रूप से और सचेत रूप से अपनाने की।

महिलाओं को बनना होगा सचेत जीवनशैली की मशालधारी—अपने परिवारों में ही नहीं, बल्कि पूरे समाज में।

नीडोउपभोग  को अपनाकर महिलाएं ला सकती हैं ऐसा परिवर्तन जो:

• अनावश्यक उपभोग को कम करे

• स्थानीय और टिकाऊ उत्पादों को बढ़ावा दे

• नैतिक उद्यमिता को प्रोत्साहन दे

• परिवार की स्वास्थ्य, शिक्षा और बचत को सुदृढ़ करे

• आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करे

श्रद्धांजलि से परिवर्तन की ओर

आदरणीय मां हीराबेन जी की 102वीं जयंती के अवसर पर, जो हमारे प्रधानमंत्री की पूज्य माता थीं, नरेंद्र मोदी अध्ययन केंद्र (   सीएनएमएस) भारत की हर क्षेत्र, समुदाय और वर्ग की महिलाओं से अपील करता है कि वे बनें स्ट्रीट स्मार्ट (सरल , नैतिक , क्रियाशील , उत्तरदायी , और पारदर्शी ) ।

आइए, यह बने एक ज्ञानवान महिलाओं का आंदोलन—जो अपनी शक्ति, अपनी जिम्मेदारियों और मूल्य-आधारित विकसित भारत के निर्माण की क्षमता को पहचानती हैं।

विकसित भारत की नींवनारी शक्ति और नीडोनॉमिक्स

आइए, हम केवल संपन्नता के लिए नहीं, बल्कि उद्देश्यपूर्ण जीवन के लिए जिएं। सच्चा सशक्तिकरण जागरूकता से शुरू होता है, और नैतिकता व करुणा से युक्त क्रियाओं तक पहुंचता है। भारत की सभी नारी शक्तियों से मेरा निवेदन है — आपका स्थान सहायक नहीं, बल्कि केंद्रीय है इस राष्ट्रीय परिवर्तन यात्रा में। आप केवल परिवर्तन की लाभार्थी नहीं, बल्कि उसकी नेतृत्वकर्ता हैं। आइए,  भारत की महिलाएं मिलकर नेतृत्व करें नीडोनॉमिक्स से सशक्त ‘विकसित भारत’ की ओर।

जय हिंद। जय भारत।

 

 

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