विश्व जनसंख्या दिवस: परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता के लिए मनाया जाता है जनसंख्या दिवस

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11जुलाई। विश्व जनसंख्या दिवस हर वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाने वाला कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य जनसंख्या सम्बंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करना है। यह आयोजन 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा स्थापित किया गया था । यह 11 जुलाई 1987 को पांच बिलियन दिवस में सार्वजनिक हित से प्रेरित था, जिसकी अनुमानित तारीख जिस पर दुनिया की आबादी पांच अरब लोगों तक पहुंच गई थी। विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य विभिन्न जनसंख्या मुद्दों पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है जैसे कि परिवार नियोजन, लिंग समानता , गरीबी , मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का महत्व।
दरअसल विश्व की जनसंख्या को 1 अरब तक पहुंचने में हजारों साल लगे थे। इसके बाद करीब 200 साल में ही ये 7 गुना तक बढ़ गई। इसके पीछे मेडिकल साइंस में सुधार होना, मृत्यु दर में कमी आना और जन्म दर बढ़ना जैसे कई कारण हैं।

आज दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी एशियाई देशों में है। जनसंख्या के लिहाज से चीन और भारत पहले और दूसरे नंबर पर हैं। Worldometer के मुताबिक भारत की आबादी 1.39 अरब है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर मिनट 25 बच्चे पैदा होते हैं। अगर इसी रफ्तार से हमारी आबादी बढ़ती रही तो आने वाले 10 साल में भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा।

जनसंख्या दिवस का महत्व
प्रत्येक साल इस दिन जनसंख्या नियंत्रण के उपायों पर चर्चा की जाती है. बढ़ी हुई जनसंख्या के कारण हमारे सामने जो दिक्कतें हैं और इससे पारस्थिकी तंत्र और मानवता को जो नुकसान पहुंचता है, उसके प्रति जागरुक करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है. लैंगिक समानता, परिवार नियोजन, गरीबी, नागरिक अधिकार, मां और बच्चे का स्वास्थ्य, गर्भनिरोधक दवाओं के इस्तेमाल से लेकर यौन जैसे सभी गंभीर विषयों विचार विमर्श होता है. भारत चीन के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है. कोविड -19 महामारी के इस दौर में हम बढ़ी हुई आबादी के दुष्परिणामों को समझ गए हैं. मेडिकल संसाधनों के अभाव ने इस महमारी में कई लोगों को मौत की नींद सुला दी. इसलिए जनसंख्या प्रबंधन न सिर्फ देश बल्कि विश्व के लिए जरूरी है।


जनसंख्या दिवस पर पूरी दुनिया में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए तमाम उपायों से लोगों को परिचित कराया जाता है। इसके अलावा परिवार नियोजन के मुद्दे पर भी बातचीत की जाती है। इस दिन स्वास्थय विभाग द्वारा जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है, ताकि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सके।

इसके साथ ही लोगों को यह भी संदेश दिया जाता है कि छोटा परिवार, सुखी परिवार और हम दो हमारे दो… की मुहिम देश को जनसंख्या विस्फोट से बचा सकती है तभी लोग इसका महत्व भी समझेंगे।

एक रिपोर्ट के अनुसार पुरुष नसबंदी की संख्या भी बीते साल के मुकाबले तीन गुना से अधिक बढ़ी है। परिवार नियोजन के सरकार का लोगों को जागरूक करना काम आ रहा है। पुरुष भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए परिवार नियोजन के साधनों के प्रति जागरूक हुए हैं। जहां बीते पांच-आठ साल पहले 15 से 20 ही पुरुष नसबंदी को आगे आते थे। अब बीते दो-तीन साल से संख्या बढ़ने लगी है। 2018-19 में जहां 52 पुरुषों ने ऑपरेशन कराया तो 2019-20 में 188 ने। इस साल जून तक 32 पुरुषों का ऑपरेशन हो चुका है, कोरोना महामारी के कारण ऑपरेशन प्रभावित हुए हैं।

अकसर ऐसा देखा गय़ा है कि परिवार नियोजन के प्रति महिलाएं ज्यादा जागरूक तो है हीं, साथ ही उन पर नसबंदी के लिए परिवार का ज्यादा दबाव बना रहता है। अक्सर महिला की सास या फिर अन्य महिला परिजन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ही नसबंदी के लिए आगे कर देती हैं। दंपति में से कोई भी नसबंदी कराए, परिवार का ही भला है।

परिवार नियोजन के तमाम तरीके है जिसे स्वास्थय विभाग द्वारा सलाह दी जाती है।

परिवार नियोजन साधन      2018-19           2019-20            2020-21
पुरुष नसबंदी                   52                   188                   32
महिला नसबंदी                 9410               9920                 9045
कॉपर-टी                       33647              39017                28735
अंतरा इंजेक्शन                1893                  9300                4327
छाया गोली                   6517                   25852

 

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