राष्ट्रीय सुरक्षा का डर दिखाकर जेल में जिंदगी भर रखना गलतः सुप्रीम कोर्ट

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को भी राष्ट्रीय सुरक्षा का डर दिखाकर जिंदगी भर जेल में नहीं रखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर जेल नहीं बेल के सिद्धांत पर जोर देते हुए यह बात कही। कोर्ट ने आगे कहा कि किसी भी व्यक्ति को सिर्फ इस आधार पर अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है जिसमें जांच एजेंसियां अटकलों के आधार पर किसी व्यक्ति की गतिविधियों को बड़ी साजिश मान लेती है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता देती है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने सीमा पार पशु तस्करी मामले के कथित मुख्य आरोपी मोहम्मद इनामुल हक को जमानत देते समय की थी।

सीबीआई के वकील ने क्या दी दलीलें

केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में बीएसएफ के एक कमांडेंट को भी उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था। इस मामले में आरोप लगाया गया था कि तस्करी की गतिविधियों से प्राप्त आय को कथित तौर पर राजनीतिक दलों और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को दी गई थी। इस मामले में जब सीबीआई वकील ने कहा कि इस बड़ी साजिश की जांच लंबित है, तब जस्टिस चंद्रचूड़ और माहेश्वरी ने पूछा, यह ऐसी खुली जांच है जो हमें समझ में नहीं आती है। जब इस मामले में व्यक्ति को अनिश्चित काल तक हिरासत में रख रहे है तब बड़ी साजिश की जांच में कैसे मदद मिलेगी. खासकर के तब जब अन्य आरोपियों को जमानत दे दी गई है? इस मामले में व्यक्ति ने एक साल दो महीने जेल में वक्त बिताया है, क्या बड़ी साजिश की जांच में इतना वक्त पर्याप्त नहीं है?

6 फरवरी, 2021 को चार्जशीट दाखिल की गई

इनामुल हक की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि सीबीआई ने पशु तस्करी के मामले में 6 फरवरी, 2021 को चार्जशीट दाखिल की थी। इसके लिए पिछले साल ही 21 फरवरी को अदालत ने पूरक चार्जशीट भी दायर की थी। इसके बाद बीएसएफ के कमांडेंट समेत अन्य सभी आरोपियों को अदालत से बेल मिल गई लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने हक को बेल नहीं दी थी। रोहतगी ने कहा कि इस मामले में अधिकतम 7 साल तक की कैद की सजा हो सकती है. ऐसे में 1 साल से ज्यादा वक्त तक बेल न दिया जाना गलत है।

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