समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 22सितंबर। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने इलाज में कथित लापरवाही के चलते एक महिला की मौत के बाद संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने को अन्यायपूर्ण बताया है. लाइसेंस को योगी सरकार ने निलंबित किया है. वरुण गांधी ने कहा कि 1982 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने इस अस्पताल का उद्घाटन किया था, तब से ये आसपास के लोगों के लिए बड़ी सुविधा था. अस्पताल का लाइसेंस रद्द नहीं किया जाना चाहिए था. बता दें कि अमेठी जिले के मुंशीगंज थाना क्षेत्र में इलाज में कथित लापरवाही के चलते एक महिला की मौत के मामले में प्रशासन ने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करते हुए OPD (बाह्य रोगी विभाग), आपातकालीन समेत सारी सेवाओं पर रोक लगा दी.
वरुण गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पौत्र और संजय गांधी के पुत्र हैं. दिवंगत संजय गांधी अमेठी से सांसद रह चुके हैं. संजय गांधी अस्पताल का संचालन संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, दिल्ली द्वारा किया जाता है. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं, जबकि पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इसके सदस्य हैं.
वरुण गांधी ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लिखे गये अपने पत्र को साझा किया. उन्होंने निलंबन के फैसले पर तंज कसते हुए पत्र में लिखा, ‘‘कथित चिकित्सकीय लापरवाही से जुड़ी हालिया घटना की गंभीरता को स्वीकार करते हुए इस मामले को आनुपातिकता और निष्पक्षता की भावना से देखना आवश्यक है.’’ व्यापक और निष्पक्ष जांच की अनुमति दिए बिना पूरे अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करना जल्दबाजी और संभावित अन्यायपूर्ण कार्रवाई प्रतीत होती है.’’
पत्र में अस्पताल की विशेषता का जिक्र करते हुए वरुण गांधी ने कहा, ‘‘इस अस्पताल का शिलान्यास पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने 1982 में किया था. यह कई दशकों तक अमेठी और इसके पड़ोसी जिलों में लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल सहायता के एक दृढ़ स्तम्भ के रूप में खड़ा रहा है.’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘अस्पताल के लाइसेंस निलंबन से क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण शून्य पैदा हो जाएगा जिसका हमारे नागरिकों की भलाई पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.’’ उन्होंने कहा कि इससे संजय गांधी अस्पताल की प्रतिष्ठित ऐतिहासिक विरासत का भी संरक्षण होगा.
वरुण गांधी ने कहा, ‘‘किसी भी संस्था या संगठन को बनाने में एक पूरी पीढ़ी या जीवनकाल लगता है. सरकार से मेरा निवेदन है कि यदि एक वैकल्पिक व्यवस्था पहले से अगर तैयार कर दी है तो किसी भी संस्था या संगठन को परिवर्तित कर सकते हैं, लेकिन एक ऐसी संस्था जिस पर दसों लाख लोग निर्भर हैं, उस संस्था को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के समाप्त करने से उसका खामियाजा समाज के अंतिम व्यक्ति को भुगतना पड़ेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में वैसे भी स्वास्थ्य व्यवस्था और स्वास्थ्य प्रणाली बहुत कमजोर है और इसका खामियाजा समाज का अंतिम व्यक्ति, गरीब व्यक्ति भुगतता है.’’
वरुण गांधी ने कहा, ‘‘अब सरकार का यह कहना है कि एक डॉक्टर के द्वारा गलती हुई है, इस बात को मैं स्वीकार करता हूं, लेकिन मेरा निवेदन है कि अगर कोई व्यक्ति गलती करता है तो उसको दंडित करिए और अस्पताल के खिलाफ जांच करिए लेकिन अगर आप उत्तर प्रदेश जैसे प्रदेश में 1982 में स्थापित अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर देंगे तो फिर प्रदेश का कोई अस्पताल बचेगा नहीं क्योंकि उत्तर प्रदेश के हर अस्पताल की यह रोज की कहानी है.’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मेरे पिताजी के नाम पर अस्पताल है तो जाहिर सी बात है कि मेरा एक भावनात्मक लगाव है. परंतु यह मेरी मांग राजनीति से प्रेरित नहीं है. मेरा निवेदन न्याय की परिधि में है.’’
Comments are closed.