यूनुस का बयान और भू-राजनीतिक संकेत: भारत की नदियाँ और बांग्लादेश का समुद्र

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,1 अप्रैल।
बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस द्वारा हाल ही में चीन से निवेश को लेकर दिए गए एक बयान पर बहस छिड़ गई है। यूनुस ने चीन से अपील करते हुए इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारत के सात राज्य भू-आबद्ध (लैंडलॉक्ड) हैं, और इस आधार पर चीन को बांग्लादेश में निवेश करना चाहिए।

यूनुस के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि बांग्लादेश अपनी भू-राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाकर क्षेत्रीय रणनीतिक साझेदारियों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। उनका इशारा इस ओर है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य समुद्री मार्ग से सीधे जुड़े नहीं हैं, जबकि बांग्लादेश को एक रणनीतिक भौगोलिक लाभ प्राप्त है, क्योंकि उसके पास बंगाल की खाड़ी तक सीधी पहुंच है।

हालांकि, इस तर्क पर सवाल उठता है कि भूमि से घिरे राज्यों की स्थिति बांग्लादेश में चीन के निवेश से किस प्रकार जुड़ी हुई है? भारत भले ही समुद्री मार्ग से पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को सीधी कनेक्टिविटी नहीं दे सकता, लेकिन नदियाँ भारत के आंतरिक व्यापार और संपर्क का एक प्रमुख साधन रही हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र, और बराक जैसी नदियाँ लॉजिस्टिक्स, व्यापार और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो पूर्वोत्तर भारत को बाकी देश से जोड़ने का काम करती हैं।

बांग्लादेश में चीन का निवेश कोई नई बात नहीं है। चीन पहले से ही बांग्लादेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर, बंदरगाह, और ऊर्जा सेक्टर में भारी निवेश कर रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि भारत के लैंडलॉक्ड राज्यों का संदर्भ देकर यूनुस चीन को क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या यह सिर्फ एक आर्थिक सहयोग की अपील है, या इसके पीछे कोई गहरी भू-राजनीतिक रणनीति है?

हालांकि बांग्लादेश में चीन के निवेश बढ़ रहे हैं, लेकिन भारत और बांग्लादेश के बीच भी गहरे व्यापारिक और रणनीतिक संबंध हैं। दोनों देशों के बीच जलमार्ग, रेलवे और सड़क संपर्क बढ़ाने पर लगातार काम किया जा रहा है। हाल ही में बांग्लादेश के बंदरगाहों के माध्यम से भारतीय कार्गो परिवहन की अनुमति दी गई थी, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लैंडलॉक्ड कहकर अलग-थलग नहीं रखा जा सकता।

यूनुस का बयान एक दिलचस्प भू-राजनीतिक संकेत देता है, लेकिन भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है। भारत के पास समुद्री कनेक्टिविटी की सीमाएँ हो सकती हैं, लेकिन उसकी नदियाँ और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क उसे रणनीतिक रूप से मजबूती देते हैं। चीन का निवेश बांग्लादेश के लिए एक अवसर हो सकता है, लेकिन भारत और बांग्लादेश के आपसी संबंधों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

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