शून्य सड़क दुर्घटनाओं की दिशा में: हरियाणा में सड़क सुरक्षा ऑडिट हेतु नीडोनॉमिक्स आधारित रणनीति

प्रो. मदन मोहन गोयल, प्रवर्तक नीडोनॉमिक्स एवं पूर्व कुलपति (तीन बार)

तेजी से बढ़ते शहरीकरण और बढ़ते वाहन स्वामित्व के युग में, सड़क सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है, जो न केवल प्रशासनिक बल्कि नैतिक दृष्टि से भी ध्यान चाहती है। नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट ( एनएसटी) इस समस्या पर एक मानवीय और नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह लालच-आधारित नीतियों के स्थान पर ज़रूरत-आधारित  नीतिनिर्माण की वकालत करता है, जो हर नागरिक से नैतिक जिम्मेदारी और सामाजिक चेतना के साथ आचरण करने का आग्रह करता है। सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर जब नीडोनॉमिक्स को लागू किया जाता है, तो यह याद दिलाता है कि सड़कों पर सुरक्षा केवल कानूनी दायित्व नहीं, बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है।

सड़क ऑडिट की आवश्यकता

एनएसटी हरियाणा सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा ऑडिट लागू करने के निर्णय का स्वागत करता है, जो सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु दर को न्यूनतम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये ऑडिट केवल औपचारिक न रहकर व्यापक मूल्यांकन बनें—जो सड़क डिज़ाइन, निर्माण गुणवत्ता, संकेत व्यवस्था और यातायात प्रबंधन में मौजूद कमियों की पहचान करें। इसका उद्देश्य राज्य में लोगों और वस्तुओं की सुरक्षित, कुशल और किफायती आवाजाही सुनिश्चित करना होना चाहिए।

हर वर्ष हरियाणा में लगभग 1,200 पैदल यात्री और 200 साइकिल चालक सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। यह आंकड़ा केवल संख्या नहीं, बल्कि व्यवस्था की लापरवाही का प्रतीक है। तेज़ रफ़्तार दुर्घटनाओं का एक कारण है, परंतु अन्य गंभीर समस्याएँ—जैसे सड़कों पर आवारा पशु, खराब जल निकासी, अतिक्रमण, और सड़क इंजीनियरिंग की त्रुटियाँ—भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। इसलिए सड़क ऑडिट की अवधारणा में इन दीर्घकालिक उपेक्षित पहलुओं पर ईमानदार दृष्टि डालना आवश्यक है।

दोषारोपण से परेमूल कारणों की पहचान

दुर्घटनाओं के लिए अक्सर केवल लापरवाह ड्राइविंग को दोष दिया जाता है, जबकि वास्तविकता अधिक जटिल है। एनएसटी का मत है कि दुर्घटनाएँ अक्सर संस्थागत निष्क्रियता और व्यक्तिगत उदासीनता के कारण होती हैं। बिना फुटपाथ वाली सड़कें पैदल यात्रियों के बुनियादी अधिकारों का हनन करती हैं, जबकि बाज़ार क्षेत्रों में अतिक्रमण अव्यवस्था और असुरक्षा पैदा करता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सड़कों के किनारे फुटपाथ अनिवार्य करने का निर्देश इसी लंबे समय से उपेक्षित सत्य को उजागर करता है कि सुरक्षित गतिशीलता की शुरुआत सुरक्षित आधारभूत संरचना से होती है।

हर साल मानसून से पहले जल्दबाजी में की जाने वाली सड़क मरम्मत भी चिंताजनक है। यह न केवल सार्वजनिक धन की बर्बादी है बल्कि योजना और निगरानी में गहराई तक फैली अक्षमता को भी उजागर करती है। नीडोनॉमिक्स ऐसे मामलों में सख्त जवाबदेही और पारदर्शी ऑडिट की मांग करता है, ताकि गुणवत्ता कार्य सुनिश्चित हो सके, न कि मौसमी दिखावा।

सड़क पर नैतिकतानीडोनॉमिक्स की अनिवार्यता

नीडोनॉमिक्स के मूल में यह शिक्षा निहित है कि नैतिकता और अर्थशास्त्र अविभाज्य हैं। एक वास्तविक रूप से कुशल अर्थव्यवस्था वही है जो मानवीय जीवन को भौतिक लाभ से ऊपर रखती है। इस दृष्टि से सड़क सुरक्षा नैतिक शासन और नैतिक नागरिकता का प्रतिबिंब बन जाती है। प्रत्येक चालक, सवार और पैदल यात्री को समझना चाहिए कि यातायात नियमों का पालन केवल दंड से बचने के लिए नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा के लिए है — अपने और दूसरों दोनों के लिए।

एनएसटी सड़क सुरक्षा के पारंपरिक तीन E’s — शिक्षा (Education), इंजीनियरिंग (Engineering) और प्रवर्तन (Enforcement) को स्वीकार करता है, परंतु इसके साथ एक चौथा ‘E’ जोड़ता है — नैतिकता (Ethics)। नैतिक आचरण के बिना कानून निष्प्रभावी हो जाते हैं और प्रवर्तन केवल प्रतिक्रियात्मक रह जाता है। नैतिकता हर नागरिक के व्यवहार का अदृश्य ट्रैफिक सिग्नल बननी चाहिए। यह नैतिक जागरूकता तभी आएगी जब प्रशासन उदाहरण प्रस्तुत करे और समाज में मूल्य आधारित शिक्षा और जागरूकता अभियानों को बढ़ावा दिया जाए।

साझी जिम्मेदारी और व्यवहार परिवर्तन

सड़क सुरक्षा एक बहु-क्षेत्रीय चुनौती है, जिसमें सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों, नागरिक समाज और आम जनता की समान भागीदारी आवश्यक है। परंतु सबसे बड़ी चुनौती मानवीय व्यवहार में परिवर्तन की है। जागरूकता अभियानों के बावजूद तेज़ गति, नशे में ड्राइविंग, और मोबाइल फोन का उपयोग जारी है।  एनएसटी का मत है कि व्यवहार परिवर्तन केवल दंड से नहीं, बल्कि नैतिक प्रेरणा और आत्म-अनुशासन से आता है।

शैक्षणिक संस्थानों की इसमें प्रमुख भूमिका है। स्कूलों और कॉलेजों में सड़क सुरक्षा शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए ताकि  एनएसटी द्वारा प्रस्तावित “नीडो-नागरिकता ” विकसित हो सके — ऐसे नागरिक जो आवश्यकता से संचालित हों, लालच से नहीं; जिम्मेदारी से प्रेरित हों, लापरवाही से नहीं। समुदाय आधारित जागरूकता अभियान, नैतिक शिक्षा और युवाओं की भागीदारी इस परिवर्तन को स्थायी बना सकते हैं।

टिकाऊ और समावेशी गतिशीलता की दिशा में

नीडोनॉमिक्स एक मानव-केंद्रित परिवहन नीति की वकालत करता है जो आर्थिक विकास को नैतिक जिम्मेदारी के साथ संतुलित करे। हरियाणा का शून्य सड़क दुर्घटनाओं का लक्ष्य निम्नलिखित प्राथमिकताओं पर आधारित होना चाहिए:

  • सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को पर्याप्त, सुलभ और किफायती बनाना।
  • शहरी यातायात जाम को वैज्ञानिक प्रबंधन से नियंत्रित करना।
  • पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों और दिव्यांगजनों के लिए सुरक्षित ढांचा तैयार करना।
  • विभिन्न परिवहन साधनों के बीच बेहतर अंतर्संबंध और अंतिम मील संपर्क  सुनिश्चित करना।
  • भविष्य के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम को बढ़ावा देना।
  • स्वास्थ्य अवसंरचना, विशेषकर आपातकालीन चिकित्सा एवं ट्रॉमा सेवाओं को सुदृढ़ करना।
  • ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन फिटनेस प्रमाणन हेतु कड़े मानदंडों का प्रवर्तन करना।

इन सभी लक्ष्यों में नीडोनॉमिक्स की आत्मा निहित है — सार्वजनिक कल्याण के लिए आवश्यक बातों को प्राथमिकता देना, न कि निजी लाभ को।

सामूहिक नैतिक जिम्मेदारी

एनएसटी का मत है कि सड़क सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं है। यह एक साझी नैतिक जिम्मेदारी है। निजी निर्माण एजेंसियों को गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन करना चाहिए, स्थानीय निकायों को अतिक्रमण-मुक्त क्षेत्र सुनिश्चित करने चाहिए और नागरिकों को यातायात नियमों का पालन अपने नैतिक कर्तव्य के रूप में करना चाहिए।

जैसे करों का भुगतान नागरिक कर्तव्य है, वैसे ही यातायात नियमों का पालन नैतिक कर्तव्य है। सड़कें साझी आस्था का प्रतीक हैं — इस आस्था को तोड़ना सबकी सुरक्षा को खतरे में डालता है। इसलिए नीडोनॉमिक्स एक नए सामाजिक अनुबंध का आह्वान करता है — “नीडो-मोरल कोड ऑफ द रोड”, जो जागरूकता, जवाबदेही और करुणा पर आधारित हो।

निष्कर्ष

हरियाणा में शून्य सड़क दुर्घटनाओं का लक्ष्य तभी प्राप्त हो सकता है जब नैतिक चेतना भौतिक विकास के साथ चलती हो। नीडोनॉमिक्स हमें याद दिलाता है कि सड़कें केवल भौतिक ढांचे नहीं, बल्कि जीवंत स्थान हैं जहाँ मानव आचरण सुरक्षा और दुर्घटना के बीच का अंतर तय करता है।

यदि नैतिक व्यवहार को प्रोत्साहन मिले, गुणवत्ता युक्त अवसंरचना विकसित हो, और योजनाएँ आवश्यकताओं पर आधारित हों, तो हरियाणा अपनी सड़कों को जोखिम के स्थल से जिम्मेदारी के मार्गों में बदल सकता है।

नीडोनॉमिक्स के दृष्टिकोण से सड़क सुरक्षा केवल नीति नहीं — यह संवेदनशीलता, संयम और साझा मानवता का दर्शन है। सुरक्षित सड़कें सुरक्षित मन से शुरू होती हैं, और सुरक्षित मन तब बनता है जब हर व्यक्ति यह समझता है कि सड़क पर जीवन की रक्षा केवल अनुपालन का कार्य नहीं, बल्कि सभ्य समाज की नैतिक पहचान है।

 

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