अमेरिका का परमाणु समझौते से अपने-आप को पीछे खीचना और ईरान पर दुबारा से प्रतिबंध लगाना ईरान को नगवार गुजरा। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में अमेरिका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा, ‘शिकायत दर्ज कराने की प्रमुख वजह एकतरफा प्रतिबंध पुन: लागू करने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराना है। हम कानून के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने की आदत का मुकाबला करना जरूरी है।’
ईरान के अनुसार अमेरिका ने अपनी इस हरकत से कई अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के साथ 1955 में दोनों देशों के बीच हुई मित्रता संधि का भी उल्लंघन किया है। नए प्रतिबंधों को अमेरिका अगस्त और नवंबर में दो चरणों में लागू करेगा। इसके पीछे उसकी मंशा यूरोप व अन्य देशों के साथ ईरान के व्यापार पर रोक लगाना है। वह ईरान के तेल निर्यात को भी कम करना चाहता है।
हालांकि ईरान परमाणु समझौते में शामिल अन्य देश इस समझौते को जारी रखने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। 2015 में हुए इस समझौते में अमेरिका और ईरान के अलावा ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, चीन, जर्मनी और यूरोपीय संघ भी शामिल थे।
आइसीजे में इस साल आठ अक्टूबर को ईरान द्वारा अमेरिका पर किए गए एक और केस की सुनवाई होनी है। अमेरिका ने विदेश में जमा ईरान की संपत्ति फ्रीज कर दी थी। इसको लेकर भी दो साल पहले ईरान ने एक केस दर्ज कराया था।
अमेरिका ने भारत को ईरान से तेल आयात न करने की सलाह दी है साथ ही दूसरे देशों को भी ईरान के साथ व्यवसाय न करने की हिदायत दी है।
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