समग्र समाचार सेवा,
नई दिल्ली, 1 जून: 31 मई: पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए 7 मई को भारत की ओर से की गई सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब सियासी तूफान का कारण बन गई है। इस ऑपरेशन को भारतीय वायुसेना द्वारा अंजाम दिया गया था, जिसमें 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया और दावा किया गया कि कोई आम जनहानि नहीं हुई।
लेकिन कुछ ही दिनों बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक बयान ने विपक्ष और पूर्व सैन्य अधिकारियों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। जयशंकर ने कहा, “हमने पाकिस्तान को पहले ही सूचित कर दिया था कि यह हमला केवल आतंकियों पर केंद्रित है, सेना पर नहीं। पाक सेना को स्पष्ट किया गया था कि वे हस्तक्षेप न करें।”
इस बयान के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए पूछा कि, “क्या पाकिस्तान को ऑपरेशन से पहले सूचना देना एक गंभीर चूक नहीं है? इससे वायुसेना को कितना नुकसान हुआ? इसकी इजाजत किसने दी और इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”
इस विवाद को और हवा दी कांग्रेस के पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के प्रमुख और सेवानिवृत्त कर्नल रोहित चौधरी ने। उन्होंने सोशल मीडिया पर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “देश से सच छुपाया जा रहा है। सीडीएस जनरल अनिल चौहान के बयान से साफ है कि ऑपरेशन के दौरान भारतीय विमान गिरे थे, लेकिन सरकार इसकी जानकारी नहीं दे रही।”
सीडीएस चौहान ने एक साक्षात्कार में कहा, “कितने विमान गिरे, यह जरूरी नहीं, लेकिन क्यों गिरे यह महत्वपूर्ण है। हमने एक रणनीतिक चूक की थी, जिसे बाद में सुधारा गया।” इस बयान ने संदेह को और गहरा कर दिया।
क्या ऑपरेशन सिंदूर से पहले दुश्मन को विदेश मंत्रालय द्वारा जानकारी देना सेनाओं को भारी पड़ा !
जैसा कि CDS अनिल चौहान ने अपने इंटरव्यू में बताया कि – "कितने जहाज गिरे यह महत्वपूर्ण नहीं; क्यों गिरे, यह महत्वपूर्ण है।"
क्या यह देश की सेनाओं के साथ धोखा नहीं है, जिसका ख़ामियाजा… pic.twitter.com/q0D5lwP7y1
— COL Rohit Chaudhry (@ColRohitChaudry) May 31, 2025
इस पूरे विवाद ने सुरक्षा मामलों और सरकार की पारदर्शिता पर एक नई बहस को जन्म दिया है। अब सवाल यह है कि क्या ऑपरेशन की गोपनीयता से समझौता हुआ था और क्या सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीतिक रणनीति पर प्राथमिकता दी?
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