समग्र समाचार सेवा,
जम्मू-कश्मीर, 7 जून: पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून 2025 को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। इस दौरे की अहमियत सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसमें राजनीतिक, रणनीतिक और भावनात्मक संदेश भी गहराई से निहित थे। अपने प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री ने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल, चिनाब ब्रिज का भव्य उद्घाटन कर उसे राष्ट्र को समर्पित किया। यह उद्घाटन ना केवल एक ऐतिहासिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की उपलब्धि थी, बल्कि आतंकी हमले के बाद एक मजबूत और स्पष्ट राजनीतिक जवाब भी माना गया।
चिनाब ब्रिज पर तिरंगा लेकर पीएम मोदी का संदेश
उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री मोदी ने जब हाथ में तिरंगा लेकर चिनाब ब्रिज पर पैदल मार्च किया, तो यह दृश्य न केवल भारतीय नागरिकों के लिए गर्व का क्षण था, बल्कि पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट और प्रत्यक्ष संदेश के रूप में देखा गया। यह संदेश था कि भारत कश्मीर में विकास की गति को किसी भी हाल में धीमा नहीं पड़ने देगा — चाहे आतंकवादी हमले हों या अंतरराष्ट्रीय दबाव।
पीएम मोदी ने पाकिस्तान को घेरा
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में लताड़ा। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमला न केवल कश्मीरियत पर, बल्कि इंसानियत पर हमला है, जिसे कोई भी सभ्य समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “जो भी कश्मीर के विकास को रोकने की कोशिश करेगा, उसे सबसे पहले नरेंद्र मोदी का सामना करना होगा।”
मोदी ने आगे कहा कि पाकिस्तान सिर्फ आतंकवाद फैलाने में नहीं, बल्कि कश्मीर के गरीबों की रोटी और रोजगार छीनने का भी दोषी है। यह बयान साफ तौर पर पाकिस्तान की नीतियों और उसके द्वारा प्रायोजित आतंकी गतिविधियों को निशाना बनाता है।
पाकिस्तान में बढ़ी बेचैनी
प्रधानमंत्री मोदी के इस तीखे बयान के बाद पाकिस्तान में हलचल मच गई। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय प्रधानमंत्री की टिप्पणियों को “झूठा और भ्रामक” बताया और खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने दावा किया कि मोदी का बयान असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश है और उनके पास इस हमले का कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
एक बार फिर कश्मीर को बताया ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्दा’
पाकिस्तान ने हमेशा की तरह जम्मू-कश्मीर को एक अंतरराष्ट्रीय विवाद बताते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का हवाला दिया। उसने कहा कि इस मुद्दे का हल कश्मीरियों की इच्छा और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत होना चाहिए। साथ ही भारत पर “अत्यधिक सैन्य उपस्थिति”, “मनमानी गिरफ्तारियां” और “मौलिक अधिकारों के उल्लंघन” जैसे गंभीर आरोप लगाए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
पाकिस्तान ने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठनों और वैश्विक ताकतों से हस्तक्षेप की अपील की। उसने दावा किया कि वह कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार की लड़ाई में उनके साथ है और यह एक मानवाधिकार का विषय है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत का जवाब: विकास ही स्थायी समाधान
इस पूरे घटनाक्रम के बीच, चिनाब ब्रिज का उद्घाटन महज एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं रहा। यह भारत की रणनीति और दृष्टिकोण का प्रतीक बन गया है—जहां सुरक्षा, स्थिरता और विकास को एक साथ लेकर कश्मीर की तस्वीर को बदला जा रहा है। चिनाब नदी पर बना यह पुल, जिसकी ऊंचाई एफिल टावर से भी अधिक है, भारत की इंजीनियरिंग क्षमता के साथ-साथ कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
निष्कर्ष: दृढ़ संकल्प बनाम विरोधाभास
भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर को लेकर विवाद कोई नया नहीं है, लेकिन हर नई घटना, जैसे कि पहलगाम हमला और चिनाब ब्रिज का उद्घाटन, इस तनाव को एक बार फिर सतह पर ले आती है। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे और उनके कड़े बयानों ने भारत की नीति को और स्पष्ट कर दिया है—कि आतंकवाद का जवाब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि विकास, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रीय एकता से दिया जाएगा।
दूसरी ओर, पाकिस्तान का जवाब एक बार फिर शिकायतों और अपीलों तक सीमित रहा। भारत जहां जमीन पर पुल और रेलवे बना रहा है, पाकिस्तान अब भी संयुक्त राष्ट्र के दरवाजे खटखटा रहा है। इस भिन्न दृष्टिकोण में ही आज कश्मीर की कहानी का भविष्य छिपा है—एक ओर निर्माण और अवसर, दूसरी ओर पुरानी राजनीति और टकराव।
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