बाराबंकी यूनिवर्सिटी विवाद से सियासत गरमाई, योगी सरकार सख्त तो अखिलेश ने कसी कमर

समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 9 सितंबर: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की श्रीरामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी इन दिनों राजनीतिक हलचल का केंद्र बनी हुई है। एबीवीपी छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के बाद यह मामला तूल पकड़ चुका है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार ने अन्य विश्वविद्यालयों को लेकर भी ज़रूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

योगी सरकार का रुख

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि छात्रों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार ने विश्वविद्यालय प्रशासन को जवाबदेह ठहराने के संकेत दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने शिक्षा संस्थानों में पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

अखिलेश यादव का पलटवार

इसी बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लंबा पोस्ट करते हुए मुख्यमंत्री को कई “सलाहें” दी हैं। अखिलेश ने लिखा कि “अब जब मुख्यमंत्री जी S.I.R की तर्ज पर विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में T.I.R (Thorough Investigation Report) लाने का आदेश दे रहे हैं तो कुछ सुझाव हमारी भी मान लें।”

उन्होंने कहा कि सभी राज्य विश्वविद्यालयों की कमान मुख्यमंत्री के हाथों में दे दी जाए और उन सभी वाइस चांसलर्स की जांच हो जिनकी नियुक्तियां “सिफारिशों” या “सौदेबाजी” से हुई हैं।

जांच की मांगों की लंबी सूची

अखिलेश यादव ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में हो रही वित्तीय अनियमितताओं, परीक्षा घोटालों, आरक्षण से जुड़ी धांधलियों और छात्रवृत्ति योजनाओं में भ्रष्टाचार की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि “फर्जी डिग्री विवाद”, “निजी विश्वविद्यालयों में सत्ता से जुड़े लोगों के कालेधन”, और “विश्वविद्यालय मानकों को ठेंगा दिखाने वालों” पर भी शिकंजा कसना चाहिए।

उन्होंने कटाक्ष करते हुए यह भी कहा कि जांच की शुरुआत वहां से होनी चाहिए, जहां मुख्यमंत्री स्वयं “कर्ताधर्ता” हैं।

सत्ता की जंग का संकेत

अखिलेश यादव ने चेतावनी दी कि इस जांच को केवल “वर्चस्व की लड़ाई” या “वसूली का जरिया” न बनने दिया जाए। उन्होंने तंज कसा कि “अच्छा हो अगर सरकार जांच की निष्पक्षता, विश्वसनीयता और पारदर्शिता का आदर्श उदाहरण पेश करे।”

बढ़ती सियासी गर्माहट

स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय का यह विवाद अब केवल प्रशासनिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि सियासी मुकाबले का नया मैदान बन गया है। योगी सरकार जहां सख्ती और अनुशासन के संदेश देना चाहती है, वहीं अखिलेश यादव इस मौके पर भाजपा सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा कर विपक्ष की राजनीति को धार देने में जुटे हैं।

 

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