सुप्रीम कोर्ट ने यमन में फांसी झेल रहीं निमिषा प्रिया केस पर सुनवाई तय की

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में केंद्र सरकार को राजनयिक प्रयास तेज करने के निर्देश देने की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी है। अदालत ने साफ किया है कि इस गंभीर मामले में दियात के विकल्प पर विचार किया जा सकता है ताकि केरल की इस नर्स की जिंदगी बचाई जा सके।

राजनयिक रास्ते पर जोर

याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुभाष चंद्रन के.आर. ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि भारत सरकार को तुरंत राजनयिक माध्यमों से हस्तक्षेप करना चाहिए। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जे. बागची की पीठ ने यह मामला 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि याचिका की प्रति अटॉर्नी जनरल को सौंपी जाए ताकि केंद्र इस पर आवश्यक कदम उठा सके।

क्या है दियात का विकल्प

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि यमन में लागू शरिया कानून के अनुसार मृतक के परिवार को ‘दियात’ के तहत क्षमादान दिया जा सकता है। दियात एक आर्थिक मुआवजा है, जिसे दोषी की तरफ से पीड़ित परिवार को दिया जाता है। अगर मृतक का परिवार मुआवजे के बदले निमिषा को माफ कर दे, तो फांसी की सजा टल सकती है। इसी बिंदु पर भारत सरकार से राजनयिक स्तर पर पहल की उम्मीद जताई गई है।

कौन हैं निमिषा प्रिया

केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का दोषी पाया गया था। साल 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी और 2023 में उनकी अंतिम अपील भी खारिज कर दी गई। फिलहाल निमिषा यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं।

उनकी मदद के लिए ‘सेव निमिषा प्रिया – इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि यमन प्रशासन ने निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी देने की संभावित तारीख तय की है, इसलिए इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप जरूरी है।

 

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