जलती पराली की निगरानी के लिए कमेटी गठन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कानून बनाने की तैयारी में केंद्र

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,26 अक्टूबर।
देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने आज पराली जलाने की निगरानी के लिए एक सदस्यीय कमेटी गठन के फैसले पर रोक लगा दी है। आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि पराली जलाने की निगरानी के लिए कानून बनाया जा रहा है जिसकी घोषणा 3-4 दिन में कर दी जाएगी। सॉलिसिटर जनरल की अधीनता के आधार पर सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने आदेश दिया कि 16 अक्टूबर के आदेश के तहत आगे की कार्यवाही को यथावत रखा जाए। जनहित याचिकाकर्ता आदित्य दुबे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सॉलिसिटर जनरल की याचिका पर आपत्ति जताई। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र एक व्यापक योजना के साथ एक स्थायी निकाय स्थापित करने जा रहा है, जो पराली को नियंत्रित करेगा। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए कानून बना रही है। तीन चार दिन में कानून बना लिया जाएगा।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मामले में सुनवाई की। पिछली सुनवाई में अदालत ने पंजाब, हरियाणा और यूपी में पराली जलाने के लिए मॉनिटरिंग के लिए जस्टिस मदन बी लोकुर को एक सदस्यीय निगरानी समिति नियुक्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इन तीनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी जस्टिस लोकुर को सहयोग करेंगे।  ये कमेटी पराली जलाने की घटनाओं का खुद सर्वे करेगी।  एनसीसी / एनएसएस और भारत स्काउट गाइड के लोग भी सहयोग करेंगे।

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