21वीं सदी की वैश्विक आकांक्षाओं को पूरा करने में भारत अग्रणी भूमिका निभाने जा रहा है- धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जी-20 शिक्षा कार्य समूह की बैठक के अंतर्गत भविष्य के कार्य की अपनी तरह की एक प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24अप्रैल। केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तीसरी शैक्षिक कार्य समूह की बैठक के अंतर्गत भविष्य के कार्य के बारे में अपनी तरह की एक अनूठी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव, अतुल कुमार तिवारी; राजदूत अतुल केशप, अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष और दक्षिण एशिया में अमेरिका के वाणिज्यिक मण्डल वरिष्ठ उपाध्यक्ष चंद्रजीत बनर्जी; भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक विपिन सोंढ़ी, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रौद्योगिकी मिशन; नवाचार और अनुसंधान तथा भविष्य के परिवहन फ्यूचर मोबिलिटी पर सीआईआई मिशन के अध्यक्ष और अशोक लेलैंड और जेसीबी इंडिया के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी और एक्सेंचर रिसर्च के प्रबंध निदेशक राघव नरसाले उपस्थित थे।
माननीय शिक्षा मंत्री महोदय ने गहरी रुचि के साथ लगभग 70 प्रदर्शकों की प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और उनके प्रयासों की सराहना की। प्रदर्शकों में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) राउरकेला, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुबनेश्वर, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) संबलपुर, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, संयुक्त राष्ट्र अंतराष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और कई अन्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख संस्थान और संगठन शामिल थे, जो आधुनिक कार्यस्थल, भविष्य के कौशल में निरंतर नवाचारों के साथ काम के भविष्य को संचालित करने वाली तकनीकों और अभिनव वितरण मॉडल को प्रदर्शित करते हैं। प्रदर्शनी को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और पहले दिन 10,000 दर्शकों ने इन प्रदर्शनियों का अवलोकन किया।
मेहमानों और आगंतुकों ने 3 क्षेत्रों- कृषि, गतिशीलता और स्वास्थ्य देखभाल, मेटावर्स, रिवर्स इंजीनियरिंग और स्वचालित डिजाइन समाधान, ड्रोन प्रौद्योगिकी, एआर/वीआर का लाभ उठाने वाले एड-टेक समाधान, उद्योग 4.0 कौशल, स्थानीय भाषा सीखने में कई आकर्षण, भविष्य का कार्य प्रदर्शनी- आधारित तकनीकी समाधान, वर्चुअल इंटर्नशिप समाधान और सहायक प्रौद्योगिकी और सहायक प्रौद्योगिकी नवाचार के समावेश और सजीवा प्रदर्शन के लिए स्पर्शनीय प्रदर्शन देखे। यह विशेष प्रदर्शनी वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमएमटी), भुबनेश्वर, ओडिशा में 23 से 28 अप्रैल तक जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत तीसरी शिक्षा कार्य समूह (एडडब्ल्यूजी) की बैठक के दौरान एक साथ आयोजित की जा रही है।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने उद्घाटन के बाद भुबनेश्वर में खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमएमटी) सभागार में भविष्य के कार्य में उन्नत प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने के साथ गहन प्रौद्योगिकी पर एक संगोष्ठी, तीसरी शैक्षिक कार्य समूह की बैठक के पहले अग्रदूत कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर बोलते हुए शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि ओडिशा कौशल की भूमि है। इसकी कला और स्थापत्य उत्कृष्टता और प्राचीन व्यापार संबंध इसका एक ज्वलंत प्रमाण है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान आधारित और प्रौद्योगिकी आधारित होगी। शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि भारत अपने सभ्यतागत लोकाचार से प्रेरित और प्रतिभा, कैप्टिव बाजार और संसाधनों के एक प्राकृतिक केंद्र के रूप में 21वीं सदी की वैश्विक आकांक्षाओं को पूरा करने में अग्रणी भूमिका निभाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि डिग्री के बजाय कौशल और दक्षता भविष्य को उज्ज्वल बनाएगी।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की युवा शक्ति को नौकरी की मांग करने वालों की जगह नौकरी प्रदान करने वालों में बदलने की परिकल्पना की है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकियों के कारण आने वाली बाधाओं के साथ ही हमें युवाओं को नौकरियों के भविष्य के लिए तैयार करने के लिए कौशल के नए तरीकों पर विचार करना चाहिए। शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि इंटरनेट, गतिशीलता और वैश्विक कनेक्टिविटी हमें वैश्विक आवश्यकताओं के बारे में सोचने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हमें भारत के युवाओं के साथ-साथ ग्लोबल साउथ से जुड़े लोगों के लिए इस अवसर को बदलने के लिए एक साथ आना चाहिए। शिक्षा मंत्री महोदय ने यह कहते हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि आज अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर, उद्योग, शिक्षा, स्टार्टअप ईकोसिस्टम और सभी हितधारक कौशल ईकोसिस्टम की फिर से परिकल्पना करने, भविष्य के लिए तैयार वैश्विक नागरिक बनाने के लिए जी-20 भविष्य की कार्य रूपरेखा के अंतर्गत भुबनेश्वर में एक साथ आए हैं। शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा कि भारत कुशल जनशक्ति का वैश्विक केंद्र है। उन्होंने ओडिशा के लोगों की जनभागीदारी की भावना की भी सराहना और प्रशंसा की।
शिक्षा मंत्री महोदय ने बताया कि 1 लाख से अधिक युवाओं ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के साथ-साथ भुबनेश्वर में तीसरी शिक्षा कार्य समूह की बैठक के बारे में जिज्ञासा उत्पन्न करने और इसे बढ़ाने के लिए महीने भर चलने वाले जी-20 से संबंधित कार्यक्रमों में भाग लिया है।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और शिक्षा मंत्रालय (एमओई) 23 और 24 अप्रैल को पूर्ववर्ती कार्यक्रमों की मेजबानी कर रहे हैं। कार्यक्रम के पहले दिन के लिए विषय ‘काम के भविष्य में उन्नत तकनीक पर केन्द्रित करने के बारे में गहन प्रौद्योगिकी’ है। गहन प्रौद्योगिकी के आगमन और काम के भविष्य पर इसके प्रभाव के विषय में गहराई से विचार करने के लिए, आज वैश्विक सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम में भारत की संभावनाओं, डिजिटलीकरण की दुनिया और नए युग के स्टार्टअप सहित कई पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं। पैनल के वक्ताओं में डॉ. चरण गुरुमूर्ति, फैब्रिकेशन (सेमीकंडक्टर) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स; किशोर बलालजी, कार्यकारी निदेशक, सरकार और नियामक मामले, आईबीएम दक्षिण एशिया; प्रोफेसर श्रीपद कर्मालकर, निदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुवनेश्वर, कर्नल अमित वर्मा, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम अहमदाबाद); निशित गुप्ता, वैज्ञानिक-ई, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार; डॉ. आशुतोष चड्ढा, डायरेक्टर और कंट्री हेड, पब्लिक पॉलिसी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया; अभिषेक गुप्ता, मुख्य संचालन अधिकारी, युवा, (जेनरेशन अनलिमिटेड) यूनिसेफ; डॉ जी नरहरि शास्त्री, निदेशक, सीएसआईआर-खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमएमटी) और रोहित गुप्ता, कार्यक्रम निदेशक, अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग शामिल हुए।
कार्य अनुभव क्षेत्र का एक ऐसा अनूठा भविष्य स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य युवाओं को यह प्रदर्शित करना है कि बाजार प्रासंगिक बने रहने के लिए इस अनुभव क्षेत्र में आवश्यक उन्नत तकनीकी कौशल और आसान हस्तांतरणीय कौशल का पूर्वावलोकन प्राप्त करके काम का भविष्य किस प्रकार से विकसित होगा।
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