राष्ट्रसंत तुकाड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 111वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3दिसंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 2 दिसंबर को महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के 111 वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान और नवोन्मेषण किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय अनुसंधान, नवोन्मेषण और प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों को भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा 60 से अधिक पेटेंट प्रदान किए गए हैं। छात्रों के बीच स्टार्ट-अप संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए विश्वविद्यालय में एक इन्क्यूबेशन सेंटर है। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों से स्थानीय समस्याओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान और नवोन्मेषण करने तथा उन नवोन्मेषणों को लागू करने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरा विश्व एक वैश्विक गांव है। कोई भी संस्था दुनिया से कटी नहीं रह सकती। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से अंतर-विषयक अध्ययन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने का अनुरोध किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अनुसंधान और नवोन्मेषण को एक-दूसरे के साथ साझा करके ही हम दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
प्रौद्योगिकी के उपयोग की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी संसाधन का उपयोग या दुरुपयोग किया जा सकता है। यही तथ्य प्रौद्योगिकी के साथ भी लागू होता है। यदि हम इसका सदुपयोग करें तो यह देश और समाज के लिए लाभदायक होगा और यदि हम इसका दुरुपयोग करेंगे तो यह मानवता के लिए हानिकारक होगा। आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग हमारे जीवन को सुगम बना रहा है। लेकिन डीपफेक के लिए इसका इस्तेमाल समाज के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा हमें रास्ता दिखा सकती है।
छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि औपचारिक डिग्री प्राप्त करना शिक्षा का अंत नहीं है। उन्हें जिज्ञासु रहना चाहिए और सीखते रहना चाहिए। आज जब प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं तो लगातार सीखते रहना और भी आवश्यक हो जाता है।
राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि वे देश और समाज की परिसंपत्ति हैं। भारत का भविष्य उनके कंधों पर है। इनके जीवन में विपरीत परिस्थितियां आ सकती हैं, लेकिन इन्हें इनसे भयभीत नहीं होना चाहिए। उन्होंने उन्हें अपने ज्ञान और आत्मविश्वास के साथ उन परिस्थितियों का सामना करने, अपने प्रियजनों के साथ जुड़े रहने और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखने की सलाह दी।
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