क्या अमेरिका में भी है भारत की तरह चुनाव आयोग? कैसे करता है काम, और कितना ताकतवर है?

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,4 नवम्बर। भारत में चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और शक्तिशाली संस्था है, जो देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करती है। इसकी भूमिका लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। लेकिन जब हम अमेरिका की चुनाव प्रणाली की बात करते हैं, तो वहां चुनाव आयोग की व्यवस्था भारत जैसी नहीं है। तो क्या अमेरिका में भारत की तरह कोई राष्ट्रीय चुनाव आयोग है? और अगर नहीं, तो वहां चुनावों का संचालन कैसे होता है? आइए, इन सवालों का जवाब जानते हैं।

अमेरिका में भारत की तरह एक केंद्रीय चुनाव आयोग नहीं है

भारत में चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है जो देशभर के सभी चुनावों (लोकसभा, राज्य विधानसभा और राष्ट्रपति चुनाव) का आयोजन करती है। लेकिन अमेरिका में ऐसी कोई केंद्रीय चुनाव आयोग जैसी संस्था नहीं है। अमेरिका की चुनावी प्रणाली विकेंद्रीकृत है, जिसका अर्थ है कि यहां चुनावों का आयोजन संघीय सरकार के बजाय प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी होती है। इस तरह से चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित और नियंत्रित करने का काम हर राज्य अपने-अपने तरीके से करता है।

अमेरिका में चुनाव प्रबंधन की व्यवस्था

अमेरिका में चुनाव का प्रबंधन राज्य और स्थानीय स्तर पर किया जाता है। प्रत्येक राज्य का अपना चुनाव आयोग या सचिवालय (Secretary of State) होता है, जो उस राज्य में चुनाव से जुड़ी हर प्रक्रिया की देखरेख करता है। इन आयोगों या सचिवालयों का कार्यक्षेत्र राज्य की सीमाओं तक ही सीमित होता है। यही कारण है कि अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया के नियम और कानून हर राज्य में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ राज्यों में मेल-इन बैलट (डाक के माध्यम से मतदान) की सुविधा होती है, जबकि कुछ में यह बहुत सीमित है।

फेडरल इलेक्शन कमीशन (FEC) की भूमिका

हालांकि अमेरिका में राज्य स्तर पर चुनाव आयोग होते हैं, लेकिन एक संघीय संस्था भी है जिसका नाम है फेडरल इलेक्शन कमीशन (Federal Election Commission या FEC)। FEC की स्थापना 1974 में हुई थी और इसका मुख्य काम है संघीय चुनावों (राष्ट्रपति और कांग्रेस चुनाव) में वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखना। यह संस्था मुख्यतः राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त दान और खर्चों पर निगरानी रखती है। लेकिन इसका कार्यक्षेत्र सिर्फ वित्तीय गतिविधियों तक ही सीमित होता है, और यह चुनाव प्रक्रिया के संचालन में हस्तक्षेप नहीं करती।

अमेरिका में चुनाव प्रणाली का विकेंद्रीकरण और उसके प्रभाव

चुनाव प्रणाली में विकेंद्रीकरण के कारण अमेरिका में हर राज्य अपने हिसाब से चुनावी नियम और प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। इससे एक ओर जहां राज्यों को स्वतंत्रता मिलती है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न राज्यों में चुनावों के नियमों और प्रक्रियाओं में असमानता भी देखी जाती है। उदाहरण के लिए, कुछ राज्यों में मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया सरल है, जबकि अन्य में यह जटिल हो सकती है।

चुनावी प्रक्रिया के इस विकेंद्रीकरण का एक और प्रभाव यह भी है कि विवाद होने पर प्रत्येक राज्य अपनी चुनावी समस्याओं का समाधान अपने स्तर पर करता है। संघीय स्तर पर कोई केंद्रीय आयोग नहीं होने से कई बार विवादों का समाधान मुश्किल हो जाता है और उन्हें कोर्ट (अदालत) में ले जाया जाता है।

अमेरिका में चुनाव आयोग की तुलना में कितना ताकतवर है भारत का चुनाव आयोग?

भारत का चुनाव आयोग अमेरिका की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली और स्वतंत्र है। भारतीय चुनाव आयोग के पास यह अधिकार है कि वह पूरे देश में किसी भी चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए कड़े कदम उठा सके। इसका कार्यक्षेत्र देशभर में एक समान होता है, और यह चुनाव के दौरान किसी भी सरकारी अधिकारी या मंत्री को अनुशासन में रखने की ताकत रखता है। वहीं दूसरी ओर, अमेरिका में FEC केवल चुनावी वित्तीय गतिविधियों पर नजर रखती है और राज्यों के चुनावी नियमों में हस्तक्षेप नहीं करती है। इसके कारण अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया की देखरेख एक केंद्रीकृत तरीके से नहीं होती है।

अमेरिका की चुनावी प्रणाली की चुनौतियां और विशेषताएं

अमेरिका की चुनावी प्रणाली, हालांकि विकसित और लोकतांत्रिक है, लेकिन इसके विकेंद्रीकरण के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। राज्यों के स्तर पर चुनाव की देखरेख करने वाले आयोगों या सचिवालयों पर कभी-कभी पक्षपात के आरोप लगते हैं, खासकर ऐसे राज्य में जहां सत्ताधारी पार्टी के समर्थन में ये संस्थाएं काम करती हैं। इसके अलावा, मतदाता पहचान पत्र, मेल-इन बैलट्स, और वोटिंग मशीनों से संबंधित विवाद भी सामने आते हैं, जिनसे निपटने के लिए एक केंद्रीकृत संस्था की कमी महसूस होती है।

निष्कर्ष

अमेरिका और भारत की चुनावी प्रणालियों में स्पष्ट अंतर है। भारत में एक केंद्रीय चुनाव आयोग है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सशक्त और शक्तिशाली है। दूसरी ओर, अमेरिका में चुनाव प्रणाली विकेंद्रीकृत है, जिसमें हर राज्य अपनी चुनावी प्रक्रियाओं का संचालन करता है और FEC केवल संघीय चुनावों में वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कार्यरत है।

इसलिए, अमेरिका में भारत जैसे केंद्रीकृत चुनाव आयोग का अभाव है, जो कि चुनावों की पारदर्शिता और निष्पक्षता में एक बड़ा अंतर पैदा करता है। भारत के चुनाव आयोग की शक्तियों और कार्यप्रणाली का मुकाबला अमेरिका में किसी भी संस्था से नहीं किया जा सकता, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मिसाल बनाता है।

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