बोकारो की पहाड़ियों में सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी: आठ माओवादी ढेर, गांववालों ने ली राहत की साँस

22 अप्रैल, बोकारो: रविवार 20 अप्रैल की सुबह जब ज़्यादातर लोग अपने घरों में सुकून से थे, तभी सीआरपीएफ की कोबरा-209 यूनिट और झारखंड पुलिस की ‘जगुआर टीम’ को ख़बर मिली कि कुछ माओवादी पास के जंगलों में छिपे हैं। इस ख़बर को हल्के में नहीं लिया गया, फौरन एक विशेष टीम तैयार हुई और सभी जवान पूरी तैयारी के साथ अभियान पर निकल पड़े। 24 घंटे के मशक्कत के बाद सोमवार सुबह लुगु पहाड़ी पर पुलिस और माओवादियों के बीच हुई जबरदस्त मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने आठ खतरनाक माओवादियों को ढेर कर दिया।
सुबह करीब 5:30 बजे जब लोग अपने दिन की शुरुआत की तैयारी कर रहे थे, तभी जंगल के भीतर गोलियों की आवाज़ गूंजने लगी। सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट और झारखंड पुलिस की खास ‘जगुआर टीम’ ने मिलकर ये ऑपरेशन चलाया। उन्हें पक्की सूचना मिली थी कि इस इलाके में माओवादी कुछ बड़ा अंजाम देने की तैयारी में हैं।
पुलिस ने जैसे ही घेरा बनाया, माओवादियों ने हमला कर दिया। लेकिन सुरक्षा बल पूरी तैयारी के साथ आए थे। जवाबी कार्रवाई में आठ माओवादी मारे गए, जिनमें कुछ बहुत बड़े नाम शामिल थे। सबसे खतरनाक नाम था प्रयाग मांझी उर्फ विवेक, जिस पर एक करोड़ रुपये का इनाम था। इसके अलावा साहेब राम मांझी और अरविंद यादव जैसे इनामी माओवादी भी मारे गए। पुलिस को मौके से एके-47 और इंसास जैसी घातक राइफलें भी मिलीं, जो इस बात की तस्दीक करती हैं कि ये लोग कुछ गंभीर करने वाले थे।
आईजी अमोल विनुकांत होमकर ने बताया कि जंगल में अब भी कुछ जगहों पर तलाशी जारी है, ताकि बाकी बचे माओवादी भी पकड़े जा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन के दौरान जवानों की हिम्मत और सूझबूझ से बड़ी जानहानि टाली जा सकी। इस पूरे अभियान ने न सिर्फ पुलिस को बड़ी कामयाबी दी है, बल्कि गांववालों में भी नई उम्मीद जगाई है। वर्षों से नक्सली डर की परछाई बनकर यहां के लोगों की ज़िंदगी में जमे हुए थे। लेकिन अब लगता है कि हालात बदल रहे हैं।
गांव के बुजुर्ग रामजी महतो ने बताया, “हमने बहुत कुछ झेला है इन माओवादियों की वजह से। अब लग रहा है कि हमारे बच्चों का भविष्य बेहतर हो सकता है।”
बोकारो का यह इलाका नक्सलियों के पुराने अड्डों में शुमार है। इस अभियान से सुरक्षा व्यवस्था को बड़ी सफलता मिलने के साथ ही वहां के आम लोगों में राहत की लहर दौड़ गई है। पुलिस का दावा है कि अब तक मिली जानकारी के आधार पर क्षेत्र से नक्सली प्रभाव को पूरी तरह समाप्त किया जा सकेगा। आगे भी सुरक्षा बल नियमित पेट्रोलिंग जारी रखेंगे और स्थानीय युवाओं को इस दौरान रोजगार व विकास योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि नक्सली दलों में शामिल होने की प्रवृत्ति रोकी जा सके।
सुरक्षा बलों ने भी भरोसा दिलाया है कि यहां विकास और रोजगार के रास्ते खोले जाएंगे, जिससे युवा गुमराह न हों और नक्सल आंदोलन की जड़ें पूरी तरह उखड़ जाएं। बोकारो के जंगलों में ये मुठभेड़ सिर्फ एक सैन्य जीत नहीं है, बल्कि उम्मीदों की एक नई सुबह है। अब लोग सिर्फ डर में नहीं, भरोसे और बदलाव के साथ जीना चाहते हैं।

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