प्रधानमंत्री मोदी ने CJI गवई पर हमले की निंदा की, बोले – न्यायपालिका पर हमला राष्ट्र के सम्मान पर प्रहार
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर हुए हमले की कड़ी निंदा की। उन्होंने इस घटना को “निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण” बताया, जिसने पूरे देश को आक्रोश से भर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज सुबह सुप्रीम कोर्ट परिसर में न्यायमूर्ति गवई पर हुए हमले से हर भारतीय दुखी है। हमारे समाज में ऐसे कृत्यों के लिए कोई स्थान नहीं है। यह अत्यंत निंदनीय है।” उन्होंने न्यायमूर्ति गवई के धैर्य, संयम और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए कहा कि “संविधान की गरिमा और न्यायपालिका की मर्यादा को बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।”
वकील ने की जूता फेंकने की कोशिश
घटना सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर एक में हुई, जब 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि, जूता उन तक पहुंचने से पहले ही रुक गया और किसी को चोट नहीं लगी।
घटना के बाद भी CJI गवई ने अद्भुत संयम दिखाया और अदालत में मौजूद अधिकारियों से कहा कि “इस सब से विचलित न हों। हम विचलित नहीं हैं। इन बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता।” उन्होंने सुरक्षा कर्मियों को निर्देश दिया कि आरोपी के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न की जाए और उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए।
गवई के इस व्यवहार की कानूनी समुदाय में व्यापक सराहना की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और देशभर के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने न्यायमूर्ति गवई के धैर्य को भारतीय न्याय प्रणाली की गरिमा का प्रतीक बताया है।
बीसीआई ने की सख्त कार्रवाई
घटना के कुछ ही घंटों के भीतर भारतीय विधिज्ञ परिषद (Bar Council of India – BCI) ने आरोपी वकील राकेश किशोर का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। बीसीआई ने कहा कि न्यायपालिका के प्रति किसी भी तरह का असम्मान या हमला “कानून के शासन और पेशेवर आचार संहिता” का उल्लंघन है।
पुलिस ने बताया कि आरोपी वकील के पास से एक नोट मिला, जिसमें लिखा था, “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है और आगे की जांच जारी है।
न्यायपालिका की गरिमा पर व्यापक चर्चा
इस घटना ने देशभर में न्यायपालिका की सुरक्षा और गरिमा को लेकर बहस छेड़ दी है। कई वरिष्ठ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की मांग की है। वहीं, राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने एकजुट होकर इस कृत्य की निंदा की है।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि न्यायपालिका पर हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि संविधान के मूल्यों पर आघात है। उन्होंने कहा कि “भारत की न्याय प्रणाली पर पूरे विश्व का भरोसा है। ऐसे कृत्य कभी उस भरोसे को डिगा नहीं सकते।”
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