समग्र समाचार सेवा
पटना, 10जून। बिहार की राजनीति में अब बीपीएससी में कट ऑफ मार्क्स को लेकर सियासत तेज हो गई है। जहां एक तरफ आरक्षित और अनारक्षित कैटेगरी का मार्क्स बराबर होने पर सवाल किए जा रहे है तो वहीं दूसरी तरफ जश्न भी मनाया जा रहा है।
दरअसल, कुछ दिन पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के विद्यार्थियों के कट ऑफ मार्क्स को लेकर आपत्ति जताई थी और ट्वीट कर कहा था कि नागपुरी संतरे के रंग में रंगे कथित ओबीसी मुख्यमंत्री नीतीश जी ने बीपीएससी के परिणाम में आरक्षित और अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ मार्क्स बराबर करा दिया है क्योंकि नीतीश जी ने 15 सालों में अपनी जाति की प्रति व्यक्ति आय बिहार में सबसे ज्यादा कराने के बाद बाकी पिछड़ी जातियों को लात मार दिया है।
https://www.facebook.com/jaiswalsanjaybjp/posts/1641031902761714
अब उनके इसी सवाल का पलटवार करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने उन पर निशाना साधा और कहा कि बीपीएससी का रिजल्ट देख कर हमारे नवीं पास नेता जी को पेट में जबरदस्त दर्द हो रहा है।
जायसवाल ने कहा कि उनकी पीड़ा यह है कि पिछड़ों का कट ऑफ मार्क सामान्य वर्ग के बराबर कैसे हो गया. कह रहे हैं कि फिर रिजर्वेशन से क्या फायदा है. अर्थात 9वी पास नेता जी बहुत खुश होते कि अगर सामान्य वर्ग के 535 के बदले पिछड़े वर्ग का 250 पर सेलेक्शन होता. इनके पिता जी ने बहुत मेहनत से चरवाहा विद्यालय बनाया था और जीवन भर पिछड़ों को लाठी में तेल पिलाने की ही राजनीति समझाए।
पढ़ाई के मामले में भी वह अपने समय के सरकारी नौकरियों की तरह पक्के नहीं काम करने वाले समाजवादी थे न वे चाहते थे कि बिहार के बेटे पढ़ाई करें और ना ही उन्होंने अपने बेटों को पढ़ाया. आज जब गरीब पिछड़ों के बेटे सामान्य वर्ग के बराबर पहुंच गए हैं तो इनको अपना राजनैतिक भविष्य समाप्त होता दिख रहा है. आज अनुसूचित जनजाति के बच्चे 514 और अनुसूचित जाति के बच्चे भी 490 अंक पर चयनित होकर सभी वर्गों के पास पहुंच चुके हैं।
नागपुरी संतरों के रंग में रंगे कथित OBC मुख्यमंत्री नीतीश जी ने BPSC के परिणाम में आरक्षित और अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ मार्क्स बराबर करा दिया है क्योंकि नीतीश जी ने 15 वर्षों में अपनी जाति की प्रति व्यक्ति आय बिहार में सबसे अधिक कराने के बाद बाकी पिछड़ी जातियों को लात मार दिया है। pic.twitter.com/nEXUFB0Lpv
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 8, 2021
यही बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी का सपना था जिसको आज के युवा जमीन पर उतार रहे हैं. मेडिकल परीक्षा में 80 के दशक में 20% आरक्षण लड़कियों के लिए होता था और सामान्य वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग में लगभग 40% नंबर का अंतर था. 90 के दशक में मेडिकल कॉलेज में स्थितियां ऐसी हो गई कि महिलाओं का आरक्षण 20% से घटाकर 3% करना पड़ा क्योंकि बेटियां 65% सीटों पर हो जाती थीं।
आज यह देखना बहुत ही सुखद है कि सामान्य वर्ग और पिछड़ा वर्ग का एक बराबर कट ऑफ लिस्ट है. अनुसूचित जाति वर्ग भी थोड़े ही अंतर पर खड़ा है. अगले 5 सालों में यह भी खत्म हो जाएगा. बाबा साहब अंबेडकर जी को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब अनारक्षित अथवा आरक्षित वर्ग के बच्चे एक बराबर कट ऑफ मार्क लेकर इस देश को आगे बढ़ाएंगे. हां इससे केवल जाति के नाम पर वैमनस्य फैलाने की राजनीति करने वाले नेतागण सदा के लिए समाप्त अवश्य हो जाएगें।
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