उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने की अपील, कहा- कोविड की पिछली लहरों से सीखे सबक और कोविड प्रोटोकॉल के ‘धर्म’ का पालन करें
उपराष्ट्रपति ने अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (एएपीआई) द्वारा आयोजित 15वें वैश्विक स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में उद्घाटन संदेश दिया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6जनवरी। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कोविड मामलों में आए नए उछाल से निपटने और इस महामारी की पिछली लहरों से सीखे सबक लागू करने के लिए तत्परता की भावना अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें हर समय कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए इसे अपना ‘धर्म’ और ‘कर्तव्य’ मानना चाहिए। उन्होंने मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बनाए रखना और टीका लगवाना तथा स्वयं एवं अपने समुदाय को सुरक्षित रखने पर भी जोर दिया।
15-18 वर्ष के आयु समूहों के टीकाकरण के उपाय के महत्व को देखते हुए, श्री नायडू ने नए पात्र आयु वर्ग के बच्चों के माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को जल्द से जल्द टीका लगवाएं। उन्होंने सार्वजनिक विचारधारा वाले व्यक्तियों, सामाजिक समर्थन करने वाले समूहों, चिकित्सा पेशेवरों और सरकार से अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचने तथा वैक्सीन के बारे में किसी प्रकार की उस झिझक से छुटकारा पाने का आह्वान किया, जो महामारी के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में भारत को रोक सकती हैं।
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (एएपीआई) द्वारा आयोजित 15वें वैश्विक स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन के लिए रिकॉर्ड किए गए उद्घाटन संदेश में, उपराष्ट्रपति ने भारतीय मूल के चिकित्सा पेशेवरों की ‘‘दुनिया के हर कोने में अपनी पहचान बनाने’’ और वसुधैव कुटुम्बकम के बारे में हमारे राष्ट्र के सभ्यतागत मूल्य का मानवीकरण होने के लिए प्रशंसा की।
श्री नायडू ने कहा कि विशेष रूप से अमेरिका में, भारतीय मूल के चिकित्सकों ने एक शानदार प्रतिष्ठा अर्जित की है और उनमें से कई इस देश में शीर्ष प्रशासनिक पदों पर आसीन हैं। वे भारत की मूल्य प्रणालियों के सबसे सफल राजदूतों में से हैं।
यह देखते हुए कि भारतीय फर्मों ने हाल ही में स्वीकृत वैक्सीनों – कॉर्बेवैक्स और कोवोवैक्स का उत्पादन करने के लिए अमेरिका में आधारित संगठनों के साथ सहयोग किया है, श्री नायडू ने कहा कि यह अनुभव स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि स्वास्थ्य सेवा में भारत-अमेरिका सहयोग न केवल हमारे देशों के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए लाभ अर्जित कर सकता है।
अपने संदेश में, उपराष्ट्रपति ने यह चिंता व्यक्त की कि शहरी क्षेत्रों में तृतीयक देखभाल में प्रौद्योगिकी मौजूद है जो अंतर्राष्ट्रीय रोगियों को आकर्षित करती है, लेकिन यह चिंताजनक है कि ग्रामीण क्षेत्र प्राथमिक देखभाल तक ही सीमित पहुंच होने के कारण इस बारे में पिछड़ रहे हैं।
उन्होंने इस अंतराल को पाटने के लिए, अन्य उपायों के साथ ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर पहुंच बनाने के लिए टेलीहेल्थ और अन्य प्रौद्योगिकी समाधानों के उपयोग का गंभीरता से पता लगाने का सुझाव दिया। इससे अंतिम मील तक पहुंचने के लिए हमारी सीमित जनशक्ति और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का विस्तार होगा।
इस संबंध में उपराष्ट्रपति ने भारत में अनेक स्वास्थ्य-तकनीक स्टार्ट-अप्स के स्वागत योग्य रुझान का उल्लेख किया और उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी करने का सुझाव दिया, ताकि भौगोलिक बाधाओं को दूर किया जा सके और जेब पर पड़ने वाले भारी खर्च को तर्कसंगत बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, रोगी के चिकित्सा इतिहास के डिजिटल रिकॉर्ड के साथ इन प्रयासों को बढ़ावा देगा।
श्री नायडू ने अभी हाल में नीति आयोग के राज्य स्वास्थ्य सूचकांक के चौथे संस्करण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए तेलंगाना राज्य की सराहना की। उन्होंने इस बारे में प्रसन्नता व्यक्त की कि तेलंगाना स्वास्थ्य परिणामों में वर्ष-दर-वर्ष बढ़ते हुए कार्य प्रदर्शन में शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है।
उपराष्ट्रपति ने अन्य पहलों में ‘एक गांव को अपनाओ’ कार्यक्रम के लिए महामारी की दूसरी लहर के दौरान 5 मिलियन डॉलर जुटाने के लिए भारत में अपनी सेवाओं के लिए एएपीआई की सराहना की।
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