हम इन संसाधनों का दोहन उस तख्ती पर नहीं कर सकते जो हम कर सकते हैं- जगदीप धनखड़

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6नवंबर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को प्राकृतिक संसाधनों के कुशल और विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया। यह रेखांकित करते हुए कि भारतीय संविधान प्राकृतिक संसाधनों के समान वितरण का आह्वान करता है, उन्होंने मनुष्यों द्वारा प्रकृति के अंधाधुंध दोहन के प्रति अपनी अस्वीकृति व्यक्त की। उन्होंने यह भी कहा कि किसी की आर्थिक ताकत का पानी, बिजली, पेट्रोल या गैस जैसे संसाधनों की खपत से कोई संबंध नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम इन संसाधनों का दोहन उस तख्ती पर नहीं कर सकते जो हम कर सकते हैं।’

ग्रेटर नोएडा में सातवें भारत जल सप्ताह के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति और ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र में तालाबों और पारंपरिक जल निकायों के महत्व पर प्रकाश डाला और ‘इन जल निकायों को फिर से बनाने के लिए सब कुछ करने’ की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस अवसर पर धनखड़ ने अंतर्राज्यीय जल विवादों को संघवाद की सच्ची भावना से हल करने के लिए सक्रिय पहल करने का भी आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘ये विवाद किसी के पक्ष में नहीं हैं और देश और लोगों के हितों के खिलाफ हैं।’

सातवें भारत जल सप्ताह को शानदार बनाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय और संबद्ध संगठन की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह के आयोजन न केवल विभिन्न समकालीन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सही मंच प्रदान करते हैं बल्कि आम लोगों को प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूक होने और संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं।

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, जल शक्ति राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल, उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, डीओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर के सचिव श्री पंकज कुमार, डीओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर विशेष सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी, भारत और विदेशों के प्रतिनिधि, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और अन्य लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

 

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