समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16जनवरी। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी त्तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमन्त्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने आज कहा है कि अत्यधिक प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने के लिए 2025 तक पूरे देश को डॉपलर मौसम रडार नेटवर्क के अंतर्गत ले आया जाएगा।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 148वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली में मुख्य भाषण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर गर्व का अनुभव किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के अंतर्गत आईएमडी ने रडार नेटवर्क की संख्या को बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। ये 2013 के 15 से 2023 में 37 और उससे अगले 2-3 वर्षों में इनमे 25 और जुड़ जाएंगे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, श्री सुखविंदर सिंह, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र, श्री डी एस पांडियन, संयुक्त सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री डी एस पांडियन, वैज्ञानिक-जी एवं अध्यक्ष, आयोजन समिति श्री एस.सी. भान, हाइब्रिड मोड में इस स्थापना दिवस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों और जम्मू- कश्मीर के उपराज्यपाल, जो इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए थे, को सूचित किया कि आईएमडी ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में डॉपलर वेदर रडार नेटवर्क को बढ़ाया है, जो प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों और घटनाओं की अधिक सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के पश्चिमी हिमालयी राज्यों को 4 डॉप्लर मौसम रडार प्रणालियां (डीडब्ल्यूआरर सिस्टम) समर्पित की। उन्होंने 200 कृषि स्वचलित मौसम केंद्र (एग्रो ऑटोमेटेड वेदर स्टेशन) भी राष्ट्र को समर्पित किए। मंत्री महोदय ने आईएमडी के आठ प्रकाशन भी जारी किए और स्कूली बच्चों को पुरस्कृत करने के साथ ही आईएमडी के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कार्यालयों एवं अधिकारियों को भी सम्मानित किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कृषि-मौसम विज्ञान सेवाओं के तहत 2025 तक 660 जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयां (डीएएमयू) स्थापित करने और उन्हें 2023 में 3,100 ब्लॉकों से बढ़ाकर 2025 में 7,000 ब्लॉकों तक विस्तारित करने का लक्ष्य है।
मंत्री ने बताया कि विभाग की चेतावनी और सलाहकार सेवाएं किसानों एवं मछुआरों को उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार करने में मदद कर रही हैं और यह राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च) के एक नवीनतम सर्वेक्षण से भी पता चला है। उदाहरण के लिए,मानसून मिशन कार्यक्रम में किए गए निवेश के परिणामस्वरूप प्रत्येक एक रुपये के निवेश पर 50 रुपये का लाभांश मिला है।
मंत्री ने आगे कहा कि गरीबी रेखा से नीचे के किसानों को विशेष रूप से अत्यधिक लाभ हुआ है क्योंकि जिला और ब्लॉक स्तर पर कृषि मौसम सलाह का उपयोग करोड़ों किसानों द्वारा खेती के विभिन्न चरणों के दौरान प्रभावी ढंग से किया जाता है और अब इस सेवा का विस्तार किया जा रहा है। आईएमडी द्वारा पिछले साल शुरू की गई वेब भौगोलिक सूचना तंत्र (जीआईएस) सेवाओं को अन्य राज्य एवं केंद्रीय एजेंसियों के सहयोग से खतरे और भेद्यता तत्व (हैजर्ड एंड वल्नेरेबिलिटी एलिमेंट) के साथ आगे बढ़ाया गया है, जिससे जन सामान्य, आपदा प्रबंधकों और हितधारकों को विभिन्न आपदाओं को कम करने के लिए समय पर प्रतिक्रिया कार्रवाई शुरू करने में मदद मिल रही है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जलवायु सेवाएं लघु एवं दीर्घकालिक योजनाओं तथा रणनीति विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और आईएमडी ने कृषि, स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के पांच प्रमुख क्षेत्रों में इन सेवाओं को पहले ही शुरू कर दिया है और उनके उत्पादों के अनुकूलन के माध्यम से इनका विस्तार करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि, शीघ्र ही जलवायु उत्पादों और क्षेत्रीय अनुप्रयोगों के लिए सूचना प्रदान करने के उद्देश्य से प्राथमिकता पर एक राष्ट्रीय ढांचा तैयार किया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने मानसून और चक्रवात सहित मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए अपने ध्यानाकर्षण को लगातार पुनर्परिभाषित करने के लिए आईएमडी की इसलिए सराहना की क्योंकि हमारी सकल विकास दर (जीडीपी) अभी भी बहुत कुछ सीमा तक कृषि पर ही निर्भर है। उन्होंने संतोष के साथ कहा कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात, भारी वर्षा, कोहरा, लू, शीत लहर, आंधी इत्यादि सहित विभिन्न प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों की पूर्वानुमान सटीकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि मानसून का पूर्वानुमान तो हमारी खाद्य सुरक्षा की ऐसी जीवन रेखा है जिनके चलते न केवल अर्थव्यवस्था में सुधार आया है बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में मानसूनी बाढ़ और सूखे के कारण होने वाले जनहानि में भी कमी आई है ।
डॉ जितेंद्र सिंह ने गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष रेखांकित किया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान विभिन्न प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों के पूर्वानुमान के लिए सटीकता में लगभग 20-40% की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के समग्र राजकीय दृष्टिकोण से संकेत लेते हुए मौसम विभाग अन्य मौसम परिस्थितियों की भविष्यवाणी के लिए इनसैट-3डी और 3 डीआर,ओशनसैट उपग्रहों के अंतरिक्ष आधारित अवलोकनों का सर्वोत्तम उपयोग कर रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि पिछले साल शुरू किए गए रडार और उपग्रह आंकड़ा प्रसंस्करण प्रणाली ने आईएमडी की क्षमताओं को पूरी सटीकता के साथ आगे बढाने में सहायता की है।
मानव जीवन पर पूर्वानुमान के प्रभाव के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह अपने सटीक पूर्वानुमान और हाल के वर्षों में विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे चक्रवात, भारी वर्षा, आंधी, लू और शीत लहर की समय पर चेतावनी से होने वाली मृत्युओं को कम करने में सफल रहा है । उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजनाओं, दिशानिर्देशों तथा वर्तमान सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई मानक संचालन प्रक्रिया के अंतर्गत आपदा प्रबंधकों, जन सामान्य और हितधारकों द्वारा की गई प्रतिक्रिया कार्रवाई के कारण चक्रवात और लू के कारण जनधन की हानि अब एकल या दोहरे अंकों में कम हो गई है। उन्होंने भू-स्थानिक प्लेटफॉर्म में खतरे, भेद्यता और जोखिम मूल्यांकन पर विचार करते हुए शहर एवं जिला स्तर पर प्रभाव आधारित मौसम पूर्वानुमान और जोखिम आधारित चेतावनी शुरू करने के लिए आईएमडी की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रतिकूल मौसम की निगरानी तथा पूर्वानुमान के लिए भेद्यता एटलस और वेब- जीआईएस प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जा रहा है ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आधिकारिक रूप से यह कहना अत्यधिक उपयुक्त है कि जब भारत ने 2023 में जी-20 की अध्यक्षता संभाली है, तो आईएमडी ने क्षेत्रीय और वैश्विक मौसम इको-सिस्टम पर भी अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी है। उन्होंने उल्लेख किया कि आईएमडी ने मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए क्षेत्रीय केंद्रों और वैश्विक केंद्रों के रूप में कार्य करके वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वर्ष 1864 में कलकत्ता से टकराने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात और 1866 और 1871 में मोंसूँ की विफलता के बाद के अकालों की पृष्ठभूमि में 148 वर्ष पहले 15 जनवरी, 1875 को स्थापित आईएमडी के पास मौसम और जलवायु का लेखाजोखा रखने की विरासत है और यह तब से निरंतर मौसम की निगरानी और भविष्यवाणी कर रहा है। अपनी स्थापना के 148 वर्षों के दौरान, विभाग ने मौसम संबंधी खतरों के विरुद्ध भारतीय जनसंख्या की सुरक्षा और कल्याण के लिए काम किया है और देश के आर्थिक विकास में सहायता की है। यह सरकार के उन कुछ विभागों में से एक है जिनकी सेवाएं जीवन के लगभग हर पहलू और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को छूती हैं ।
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