औरंगजेब पर मचे बवाल के बीच बोले RSS महासचिव होसबोले – ‘आक्रांताओं जैसी मानसिकता वाले देश के लिए खतरा’

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 मार्च।
मुगल शासक औरंगजेब को लेकर देश में चल रहे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत में आक्रांताओं जैसी मानसिकता रखने वाले लोग देश की एकता और संस्कृति के लिए खतरा हैं

उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब औरंगजेब को लेकर राजनीतिक और वैचारिक बहस तेज हो गई है। कई राज्यों में इस मुद्दे पर बयानबाजी हो रही है, और इतिहास को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई है।

आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने कहा,
“भारत की संस्कृति सहिष्णुता और समावेशिता पर आधारित है, लेकिन कुछ लोग अभी भी आक्रांताओं जैसी मानसिकता रखते हैं, जो समाज और राष्ट्र के लिए खतरा है।”

उन्होंने कहा कि भारत ने सदियों तक विदेशी आक्रांताओं का सामना किया और अब हमें ऐसी सोच रखने वाले तत्वों को पहचानकर उन्हें जवाब देना होगा

होसबोले ने बिना किसी का नाम लिए यह भी कहा कि,
“इतिहास से सीखना जरूरी है, लेकिन इतिहास के नाम पर भारत की एकता को तोड़ने की कोशिश अस्वीकार्य है।”

हाल के दिनों में मुगल शासक औरंगजेब को लेकर कई शहरों में विवाद देखने को मिला है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में औरंगजेब से जुड़ी घटनाओं, बयानबाजी और प्रदर्शनों ने माहौल गरमा दिया है

  • कुछ राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने औरंगजेब को ‘क्रूर शासक’ बताया, जिसने हिंदू मंदिरों को तोड़ा और धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दिया।

  • वहीं, कुछ लोग उसे एक कुशल प्रशासक और शक्तिशाली राजा के रूप में पेश कर रहे हैं, जिससे विवाद और गहरा गया है।

  • महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में औरंगजेब की तस्वीरें दिखाने और समर्थन में नारे लगाने की घटनाएं सामने आईं, जिससे कानून-व्यवस्था पर भी असर पड़ा।

RSS महासचिव होसबोले के बयान से यह साफ हो गया है कि संघ उन विचारों और समूहों का विरोध कर रहा है, जो भारत की सांस्कृतिक पहचान को चोट पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं

 भारत की पहचान सनातन संस्कृति और सहिष्णुता से जुड़ी हुई है।
 आक्रांताओं की मानसिकता आज भी समाज में नफरत फैलाने की कोशिश कर रही है
इतिहास के नाम पर समाज को बांटने का प्रयास देश के भविष्य के लिए घातक है

होसबोले के इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आना तय है। कुछ दल इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश बताएंगे, जबकि राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े संगठन इसे भारत की असली पहचान को बचाने की पहल मानेंगे

इतिहास पर बहस शिक्षाविदों, इतिहासकारों और नीति-निर्माताओं के बीच जारी रहेगी, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भारत की सांस्कृतिक एकता और भाईचारा किसी भी राजनीतिक या वैचारिक टकराव की भेंट न चढ़े

RSS महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का बयान स्पष्ट संकेत देता है कि आक्रांताओं की मानसिकता को अब और सहन नहीं किया जाएगा। भारत को ऐसे विचारों से दूर रहना होगा जो समाज में कट्टरता और नफरत फैलाते हैं

यह विवाद इतिहास, राजनीति और विचारधारा के टकराव का परिणाम है, लेकिन इसे इस तरह सुलझाया जाना चाहिए कि भारत की एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूती मिले

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