असम ड्रॉप टीचर्स एसोसिएशन का नौकरी स्थायीकरण को लेकर प्रदर्शन, गुवाहाटी में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया
समग्र समाचार सेवा
गुवाहाटी,21 मार्च। असम में गुरुवार को एक बार फिर शिक्षक समुदाय की नाराजगी सड़कों पर दिखी, जब ऑल असम ड्रॉप टीचर्स एसोसिएशन (2013/2021) के सदस्य अपने पदों के नियमितीकरण की मांग को लेकर गुवाहाटी की सड़कों पर उतरे। सालों से नौकरी की अनिश्चितता के साये में जी रहे ये शिक्षक पहले सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय के पास इकट्ठा हुए और फिर जनता भवन की ओर कूच कर अपनी मांगों को जोर-शोर से उठाया।
प्रदर्शनकारियों में अधिकांश संविदा शिक्षक शामिल थे, जो सरकार पर उनकी शिकायतों को नजरअंदाज करने का आरोप लगा रहे थे। ये शिक्षक पहले ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास कर चुके हैं और डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (D.EL.ED) का प्रमाणपत्र भी रखते हैं। उनका कहना है कि उनके पास स्थायी शिक्षक बनने के लिए सभी आवश्यक योग्यताएँ हैं, लेकिन फिर भी उन्हें अस्थायी नियुक्तियों के सहारे छोड़ दिया गया है।
“हम सालों से इस समस्या से जूझ रहे हैं। जब हमने पहले ही TET और D.EL.ED पूरा कर लिया है, तो हमें इस स्थिति में क्यों रहना पड़ रहा है? हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह हमारे दस्तावेजों की जाँच करे,” एक प्रदर्शनकारी ने कहा, जिसने अपना नाम जाहिर न करने का अनुरोध किया। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि राज्य सरकार ने बार-बार उनके नौकरी स्थायीकरण की मांगों को अनसुना किया है, जिससे वे खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
कई सालों तक संविदा शिक्षक के रूप में सेवाएं देने के बावजूद वे अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित हैं। वे सरकार पर आरोप लगाते हैं कि योग्य होने के बावजूद उन्हें शिक्षा प्रणाली में उनका उचित स्थान नहीं दिया जा रहा। उनका कहना है कि शिक्षण कार्य के प्रति समर्पण के बावजूद, वे स्थायी शिक्षकों की तरह वेतन, भत्ते और नौकरी की सुरक्षा से वंचित हैं, जिससे उनका करियर अधर में लटका हुआ है।
शुरुआत में यह विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन जब प्रदर्शनकारियों ने जनता भवन की ओर मार्च करना शुरू किया, तो स्थिति तनावपूर्ण हो गई। पुलिस बल को तैनात किया गया और यातायात बाधित करने और सार्वजनिक शांति भंग करने के आरोप में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया। उन्हें बसों में भरकर कहिलिपारा पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उन्हें फिलहाल हिरासत में रखा गया है।
ऑल असम ड्रॉप टीचर्स एसोसिएशन लंबे समय से नौकरी स्थायीकरण की लड़ाई लड़ रही है। संगठन का कहना है कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था काफी हद तक इन शिक्षकों पर निर्भर करती है, लेकिन सरकार उनके अधिकारों की अनदेखी कर रही है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकार तुरंत उनके पदों को नियमित करे और उन्हें स्थायी शिक्षकों के रूप में नियुक्त किया जाए।
असम में संविदा शिक्षकों की नौकरी स्थायी करने का मुद्दा नया नहीं है। यह विवाद पिछले एक दशक से चल रहा है और इस दौरान कई बार सरकार को ज्ञापन सौंपे गए हैं। शिक्षक आरोप लगाते हैं कि सरकार ने बार-बार वादे किए, लेकिन उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वे यह भी कहते हैं कि चुनावों के दौरान राजनीतिक दल उनके समर्थन के लिए आश्वासन देते हैं, लेकिन नौकरी की सुरक्षा से जुड़ी उनकी मूल समस्या जस की तस बनी हुई है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि सरकार को प्रशिक्षित शिक्षकों की नौकरी स्थायी करने को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि शिक्षा प्रणाली में स्थिरता लाई जा सके। वर्तमान में शिक्षकों की अस्थायी नियुक्तियों के कारण शिक्षा व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो रही है, जिसे ठीक करना बेहद जरूरी है।
फिलहाल प्रदर्शनकारियों को हिरासत में रखा गया है और वे सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। ऑल असम ड्रॉप टीचर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे अपने विरोध प्रदर्शन को और तेज करेंगे।
राज्य सरकार की ओर से अब तक इस प्रदर्शन या शिक्षकों की मांगों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, जिस तरह से अस्थायी शिक्षकों में नाराजगी बढ़ रही है, यह मुद्दा आने वाले हफ्तों में असम की राजनीति में गर्माया रह सकता है।
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