बस्तर अब भय नहीं, भविष्य का प्रतीक: दंतेवाड़ा में अमित शाह ने ‘बस्तर पंडुम’ से किया विकास का उद्घोष

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 अप्रैल।
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में शनिवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने ‘बस्तर पंडुम’ उत्सव को संबोधित करते हुए स्पष्ट संदेश दिया — अब बस्तर बंदूक की नहीं, विकास, विश्वास और विजय की धरती है।

इस ऐतिहासिक अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, और हजारों की संख्या में आदिवासी भाई-बहन मौजूद रहे। कार्यक्रम का आयोजन न केवल सांस्कृतिक पहचान को उभारने के लिए किया गया, बल्कि यह बस्तर के नवनिर्माण और नक्सलवाद के अंत की घोषणा भी बना।

अमित शाह ने घोषणा की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘बस्तर पंडुम’ उत्सव को अगले वर्ष 12 श्रेणियों में देशभर के आदिवासी कलाकारों की भागीदारी के साथ मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 47,000 कलाकारों की सहभागिता और 5 करोड़ रुपये के बजट के साथ यह उत्सव बस्तर की संस्कृति, परंपरा, कला और खानपान को संजोने का कार्य कर रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार दुनिया के राजदूतों को बस्तर लाकर यहां की सांस्कृतिक विविधता को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने की योजना बना रही है।

अमित शाह ने कहा कि बस्तर अब डर नहीं, उम्मीद का प्रतीक बन चुका है। “जहां गोलियों की आवाज होती थी, अब स्कूलों की घंटियाँ बजती हैं। जहां सड़कें सपना थीं, अब राजमार्ग हकीकत बन रहे हैं,” उन्होंने कहा।

उन्होंने बताया कि अब तक 521 नक्सली इस साल और 2024 में कुल 881 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। केंद्र सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक पूरे देश को नक्सलवाद से मुक्त कर देना है।

शाह ने यह ऐलान किया कि जो गांव अपने सभी नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करेगा, उसे राज्य सरकार ‘नक्सलवाद मुक्त’ घोषित कर एक करोड़ रुपये की विकास निधि देगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो हथियार छोड़ेंगे, उन्हें सरकार संरक्षण देगी, लेकिन जो हिंसा का रास्ता चुनेंगे, उनसे सख्ती से निपटा जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान की सराहना करते हुए कहा कि प्रत्येक जिले के विशेष उत्पाद को GI टैग देकर उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ले जाया जा रहा है। उन्होंने वीर गुंडाधूर और भगवान बिरसा मुंडा जैसे जननायकों के योगदान को भी रेखांकित किया।

अमित शाह ने कहा, “जो यह समझ गए कि विकास के लिए हथगोला नहीं, कंप्यूटर चाहिए, उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है।” उन्होंने बस्तर के युवाओं को आधुनिक शिक्षा की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि सुकमा से सब-इंस्पेक्टर, बस्तर से बैरिस्टर, दंतेवाड़ा से डॉक्टर और कांकेर से कलेक्टर बनने का सपना अब साकार हो रहा है।

शाह ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि 75 वर्षों तक सिर्फ “गरीबी हटाओ” का नारा दिया गया, लेकिन मोदी सरकार ने बीते 10 वर्षों में:

  • 4 करोड़ से अधिक घर बनाए

  • 11 करोड़ गैस कनेक्शन दिए

  • 12 करोड़ शौचालय बनवाए

  • 15 करोड़ घरों में नल से जल पहुँचाया

  • 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन

  • 70 करोड़ नागरिकों को 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज

अपने संबोधन का समापन करते हुए अमित शाह ने कहा कि अब वक्त बदल गया है। “आज हम 50,000 आदिवासियों के साथ रामनवमी, अष्टमी और बस्तर पंडुम मना रहे हैं। यही नया बस्तर है — समृद्ध, सशक्त और शांत।”

यह भाषण बस्तर के बदलते परिदृश्य की सिर्फ तस्वीर नहीं पेश करता, बल्कि केंद्र सरकार के उस संकल्प का भी प्रमाण है कि अब नक्सल नहीं, विकास बोलेगा।

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