भोपाल से रीवा तक 15 जिलों में चल रहे घमासान पर हाईकमान का बड़ा फैसला

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 जनवरी।
मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संगठनात्मक ढांचे को लेकर भोपाल, ग्वालियर, सागर, इंदौर, छतरपुर, जबलपुर, रीवा समेत 15 जिलों में चल रहे घमासान पर आखिरकार हाईकमान ने बड़ा निर्णय ले लिया है। इन जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति और गुटबाजी को लेकर पिछले कई महीनों से मतभेद चल रहे थे। अब केंद्रीय नेतृत्व ने हस्तक्षेप कर सभी विवादों का समाधान निकालते हुए संगठनात्मक ढांचे को दुरुस्त करने का रास्ता साफ कर दिया है।

जिलों में गुटबाजी का था मामला

राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर पार्टी के भीतर खींचतान चल रही थी।

  • भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में स्थानीय नेताओं के बीच नेतृत्व को लेकर मतभेद थे।
  • ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में जातिगत समीकरणों को लेकर विवाद सामने आए।
  • छतरपुर और सागर में युवा नेताओं और वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल की कमी थी।
  • रीवा और जबलपुर में क्षेत्रीय संतुलन और संगठनात्मक पकड़ को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी।

हाईकमान की भूमिका

पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के साथ कई दौर की बैठकों के बाद इन विवादों को सुलझाने का काम किया।

  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाईकमान के साथ चर्चा की।
  • गुटबाजी खत्म करने और सभी गुटों को संतुलित प्रतिनिधित्व देने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लिए गए।
  • यह भी सुनिश्चित किया गया कि जिला अध्यक्ष ऐसे नेताओं को बनाया जाए, जो न केवल लोकप्रिय हों, बल्कि आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी की मजबूती के लिए काम कर सकें।

किन जिलों पर रहा फोकस?

  1. भोपाल: राजधानी में नए नेतृत्व को लेकर सहमति बनी।
  2. इंदौर: संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत करने के लिए युवा चेहरे को मौका देने पर विचार हुआ।
  3. ग्वालियर: क्षेत्रीय समीकरणों और जातिगत संतुलन पर जोर दिया गया।
  4. सागर और छतरपुर: वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को प्राथमिकता दी गई।
  5. रीवा और जबलपुर: चुनावी तैयारियों को ध्यान में रखते हुए प्रभावशाली और सक्रिय नेताओं को चुना गया।

आने वाले समय में क्या होगा?

हाईकमान के फैसले के बाद यह उम्मीद है कि पार्टी के भीतर जारी असंतोष खत्म होगा और सभी नेता चुनावी तैयारियों में जुटेंगे।

  • जिला अध्यक्षों की औपचारिक घोषणा जल्द की जाएगी।
  • नए अध्यक्षों को चुनावी रणनीतियों को अमल में लाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
  • पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।

निष्कर्ष

भोपाल से रीवा तक 15 जिलों में चल रहे घमासान पर भाजपा हाईकमान का निर्णय पार्टी के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा। संगठनात्मक विवादों का समाधान करके पार्टी ने यह संदेश दिया है कि आगामी चुनावों के लिए वह पूरी तरह से तैयार है। यह देखना दिलचस्प होगा कि नए नेतृत्व के तहत भाजपा किस तरह इन जिलों में अपनी पकड़ मजबूत करती है।

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