बिहार कोकिला शारदा सिन्हा का निधन, छठ पूजा से पहले AIIMS में ली आखिरी सांस

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 नवम्बर। बिहार की मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन मंगलवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हो गया। उनका निधन भारतीय संगीत और लोक संगीत के जगत में एक अपूरणीय क्षति के रूप में देखा जा रहा है। शारदा सिन्हा का निधन छठ पूजा के कुछ दिन पहले हुआ, जो बिहार और उत्तर भारत में एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। शारदा सिन्हा को ‘बिहार कोकिला’ के नाम से भी जाना जाता था और उनकी आवाज़ ने भारतीय लोक संगीत को एक नई पहचान दी थी।

शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध गायिका और संगीतकार के रूप में जानी जाती हैं, जिन्होंने विशेष रूप से भोजपुरी और मैथिली लोक गीतों को अपनी आवाज़ दी। शारदा सिन्हा का संगीत करियर चार दशकों से भी अधिक पुराना था और उनकी आवाज़ ने न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में एक विशेष पहचान बनाई थी।

उन्होंने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में भी अपना स्थान बनाया और कई हिट गाने दिए। हालांकि, वह विशेष रूप से छठ पूजा और बिहार के पारंपरिक गीतों के लिए प्रसिद्ध थीं। उनके द्वारा गाए गए छठ गीतों को हर वर्ष छठ पूजा के दौरान बड़े श्रद्धा भाव से गाया जाता है। उनके गीतों में एक अनोखी मिठास और भावनाओं का संगम था, जो श्रोताओं के दिलों को छू जाता था।

शारदा सिन्हा का संगीत बिहार की लोक संस्कृति का अहम हिस्सा बन चुका था। उनका योगदान छठ पूजा के गीतों में विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा, जो हर वर्ष इस पर्व के दौरान बिहार और अन्य स्थानों पर गाए जाते हैं। ‘आईंली छठी माई’, ‘हो छठी माई के गीत’, जैसे गीतों ने बिहार के धार्मिक जीवन को समृद्ध किया।

इसके अलावा, शारदा सिन्हा ने बॉलीवुड के कई गानों में भी अपनी आवाज़ दी, जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं। उनके गाए गीतों की मधुरता और उनकी आवाज़ की गहराई ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया। उनके संगीत ने सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वरिष्ठ पत्रकार कुमार राकेश ने शारदा सिन्हा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “शारदा सिन्हा सिर्फ एक आवाज नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक घटना थीं, जिन्होंने बिहार की परंपराओं की आत्मा को सजीव किया। उनके संगीत में न केवल बिहार की धड़कन थी, बल्कि यह हर दिल में एक गहरी छाप छोड़ता था। उनकी आवाज ने सीमाओं को पार कर हर व्यक्ति के जीवन में अपनी जगह बनाई, और उनकी कला ने हमारी समृद्ध विरासत को विश्वभर में प्रतिष्ठित किया। शारदा जी की अनुपस्थिति से जो शून्य उत्पन्न हुआ है, उसे शब्दों से व्यक्त करना मुश्किल है, क्योंकि उनका योगदान और उनके संगीत का प्रभाव हमेशा जीवित रहेगा।”

शारदा सिन्हा का निधन मंगलवार को दिल्ली स्थित AIIMS में हुआ, जहां उनका इलाज चल रहा था। वह कुछ समय से अस्वस्थ थीं, और उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। उनके निधन की खबर से पूरे संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके निधन के बाद, न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत में उनके प्रशंसक और संगीत जगत के लोग गहरे शोक में हैं।

शारदा सिन्हा के निधन से पहले, उनका परिवार और करीबी लोग उनके साथ थे। उनके समर्थकों और प्रशंसकों ने भी शारदा सिन्हा को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। शारदा सिन्हा का परिवार और संगीत जगत उनका धन्यवाद करता है, जिन्होंने लोक संगीत को एक नई दिशा दी और भारतीय संगीत पर अपनी छाप छोड़ी।

शारदा सिन्हा का निधन भारतीय संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनकी आवाज़ और गाए गए गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। छठ पूजा और बिहार के लोक संगीत में उनका योगदान अनमोल रहेगा। शारदा सिन्हा की यादें और उनके गीत हमेशा लोगों को प्रेरित करेंगे और उनके संगीत को हमेशा सहेजा जाएगा।

शारदा सिन्हा का निधन एक बड़ी हानि है, जो भारतीय लोक संगीत और खासकर बिहार के सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक गहरा शोक है। उनके द्वारा दिए गए संगीत और उनकी मधुर आवाज़ की गूंज लंबे समय तक सुनाई देती रहेगी। उनका योगदान हमेशा भारतीय संगीत में जीवित रहेगा, और वे हमेशा ‘बिहार कोकिला’ के रूप में याद की जाएंगी।

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