चीन का बड़ा कदम: विदेशी शॉपर्स को वीज़ा फ्री एंट्री, अमेरिका से आर्थिक टकराव का रणनीतिक जवाब

बीजिंग। चीन ने हाल ही में एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिसने वैश्विक टूरिज्म और रिटेल जगत में हलचल मचा दी है। अब कुछ चुनिंदा देशों के नागरिकों को चीन में केवल शॉपिंग के मकसद से वीज़ा फ्री एंट्री की अनुमति दी जा रही है। इस फैसले का मकसद सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि यह अमेरिका के साथ जारी आर्थिक संघर्ष के जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है।

इस वीज़ा फ्री स्कीम के तहत अब विदेशी ग्राहक चीन के प्रमुख लग्ज़री और हाई-एंड ब्रांड्स के स्टोरों पर खरीदारी के लिए आसानी से आ सकेंगे। बीजिंग, शंघाई, शेनझेन जैसे प्रमुख शहरों में “लो ऑर्बिट ऑन” और अन्य अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के आउटलेट्स पर विदेशी खरीदारों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी जा रही है। बाजारों में आई इस नई ऊर्जा से चीन का खुदरा (रिटेल) सेक्टर एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम सिर्फ आर्थिक रूप से फायदा कमाने का नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक संदेश भी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने चीन से आने वाले कई उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए थे। तब से दोनों देशों के बीच एक तरह की ट्रेड वॉर यानी व्यापारिक जंग जारी है। चीन अब इसका जवाब एक अलग अंदाज़ में दे रहा है—विदेशी ग्राहकों को अपनी धरती पर आमंत्रित कर।

इस रणनीति के दो स्पष्ट लाभ हैं: पहला, इससे चीन की अर्थव्यवस्था को विदेशी मुद्रा का सीधा लाभ मिलेगा; और दूसरा, अमेरिकी दबाव के बावजूद चीन यह दिखा पाएगा कि वह वैश्विक निवेश और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

चीन के टूरिज़्म मंत्रालय के अनुसार, इस नई नीति के लागू होते ही पिछले एक महीने में विदेशी विजिटर्स की संख्या में 18% की वृद्धि हुई है। इनमें से अधिकांश पर्यटक सिर्फ शॉपिंग और रिटेल अनुभव के लिए आए हैं। इसके अलावा, चीन की कई लग्ज़री ब्रांड्स ने भी इस मौके को भुनाने के लिए डिस्काउंट स्कीम्स और इंटरनेशनल प्रमोशन्स शुरू कर दी हैं।

हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह योजना केवल अल्पकालिक राहत दे सकती है। अमेरिका-चीन के बीच मूलभूत आर्थिक तनाव अभी भी बरकरार है। लेकिन यह साफ है कि चीन अपने बाजार को वैश्विक उपभोक्ताओं के लिए और अधिक खोलकर अमेरिका को यह संदेश देना चाहता है कि वह अलग-थलग नहीं पड़ेगा।

अंततः, यह वीज़ा फ्री स्कीम चीन की अर्थव्यवस्था को दोहरे मोर्चे पर लाभ पहुंचा सकती है—विदेशी मुद्रा का आगमन और अमेरिकी आर्थिक दबाव को कमज़ोर करने की एक कोशिश। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका इस कदम पर कैसी प्रतिक्रिया देता है, और क्या अन्य देश भी चीन के इस ‘खरीदार कूटनीति’ के जाल में फंसते हैं या नहीं।

Comments are closed.