शब्द बिना जग सूना !

कुमार राकेश
कुमार राकेश

कुमार राकेश

कहते है शब्द बिना जग सूना .शब्द ब्रह्म है , शब्द तेज है , शब्द शक्ति है, शब्द भक्ति है ,शब्द मुक्ति है ,शब्द है तो संसार है , नहीं तो सब बेज़ार है .शब्द जान है ,शब्द पूजा है ,शब्द साधना है , शब्द आराधना है, शब्द दुनिया है ,शब्द माँ की मुनिया है ,शब्द शोर है ,शब्द भोर है .शब्द आन-बान व शान है.शब्द तीर भी है ,कमान भी .शब्द ज़िंदगी है , शब्द बंदगी है . शब्द ओज़ है तो आवाज़ भी , शब्द आरम्भ है तो अंत भी .पर शब्द तो एक अंतहीन यात्रा है शब्द तो हम है , हम से शब्द है.
जी हाँ,शब्दों में बड़ी शक्ति होती है। वो कभी अमूल्य होता है तो कभी मूल्यवान.इसी शक्ति और मूल्य के कारण ही लोग शब्दों का उचित प्रयोग करते हैं। दूसरे लोगों को अनेक प्रकार के सुझाव व सम्मतियां आदि देते हैं। “दूसरे लोग भी उनकी सम्मति सुझाव सुनकर यदि उस पर आचरण करते हैं, तो उनको बहुत लाभ होता है। उनके बहुत से दुख दूर हो जाते हैं। उन्हें अनेक प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।” इन सब बातों से पता चलता है कि “शब्दों में बहुत शक्ति सामर्थ्य होता है। उनका बड़ा प्रभाव होता है।तभी तो शब्द को ब्रह्म के बराबर बताया गया है.

परंतु जब हम उन शब्दों के स्थापित चिर स्थायी भाव के विपरीत कार्य करते है या करने लगते है तो उसका प्रभाव अनुकूल नहीं होता है .विपरीत होता है जो मानव व स्थितियों के लिए उचित नहीं होता.उस स्थिति में कम होने लग जाता है, अर्थात उसके शब्द कुछ और होते हैं, तथा उसका आचरण कुछ और होता है। दोनों में कोई तालमेल नहीं होता।” “जब वक्ता के शब्दों और आचरण में लोगों को तालमेल नहीं दिखाई देता, तो उस वक्ता के शब्दों का प्रभाव घटने लगता है।” तब लोगों पर वक्ता के शब्दों का अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता। लोग उसके शब्दों की उपेक्षा करने लगते हैं। वे आपस में बातें करते हैं, कि “यह तो ऐसे ही बोलता रहता है, इसकी बात का कोई मूल्य नहीं है।” “जब इस प्रकार की बातें इधर उधर से वक्ता के कान में पहुंचती हैं, तब उसे बहुत दुख होता है।”*
ऐसे दुख से बचने के लिए अपने शब्दों और अपने आचरण में सदा तालमेल बनाये रखना बहुत ज़रूरी है ,तभी आपके शब्द मूल्यवान एवं प्रभावशाली होंगे। और हमारा समाज आपको सुख और सम्मान से आभूषित करेगा .इससे इस जगत में शांति होगी .सबको शक्ति मिलेगी और आम जन को पूर्ण मुक्ति और एक नए संसार का उदय होगा .
कहते है जो मन, वचन (शब्द) और कर्म से एक जैसा होता है, एक जैसा व्यवहार करता है, वो कभी कष्ट में नहीं होता है .वो असीम शांति व शक्ति का सृजक होता है.दुनिया वैसे व्यक्तित्व को इतिहास पुरुष के तौर पर स्थापित करती रही है , जिसके हम सब साक्षी है व सदैव रहेंगे भी !
*कुमार राकेश

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