कांग्रेस और चीन के चेहरे,चरित्र व चाल एक जैसे !?

कुमार राकेश : ऐसा लगता है कि भारत की अति प्राचीन कही जाने वाली कांग्रेस पार्टी राष्ट्रवाद के मसले पर दिग्भ्रमित हो गयी है.जो पार्टी कभी देश को आज़ादी दिलाने का दंभ भरने से नहीं चुकती रही थी .वही कांग्रेस पार्टी आज चीन के मसले पर भारत और सरकार के खिलाफ खड़ी  दिखाई दे रही  हैं.भारत के राष्ट्रवाद विरोध मसले पर चीन और कांग्रेस एक जैसे दिख रहे हैं.जो भारत के लिए,हम सब के लिए चिंता व चिंतन का गंभीर मसला है.यदि हम कांग्रेस के चेहरे,चरित्र और चाल को देखे तो ऐसा लगने लगा हैं कि कांग्रेस भारत के साथ नहीं चीन के साथ खड़ा है.कांग्रेस और चीन के स्वाभाव में कई प्रकार की समानताएं दिखने लगी हैं.उसके कई कारण हैं तो कई स्वार्थपरक मसले भी हैं.

हम कुछ मुद्दे आपके समक्ष रख रहे हैं जिससे आपको लगेगा कि कांग्रेस और चीन में अजब-गज़ब के रिश्ते हैं.चीन में कई प्रकार के भ्रम हैं. 1998 के बाद कांग्रेस भी कई प्रकार से भ्रमित दिख रही है.चीन के अन्दर कई प्रकार की विसंगतियां है,अंतर्विरोध है ,तनाव है,तानाशाही है.जिससे चीन के तानाशाह शी जिनपिंग साहेब सदमे में हैं.परेशान हैं.कभी स्वतंत्रता की बात करने वाले चीन में आम जनता में चीनी शासन के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है.चीन को अंदरूनी तौर चौतरफा टूट का खतरा है.आने वाले समय में चीन 7 खंडो में विभाजित हो सकता हैं .चीन का 14 देशो से घिरा हुआ चीन का 23 देशो के साथ सीमा विवाद है.चीन के विस्तारवाद नीति से भारत सहित विश्व के कई देशो में गुस्सा है.पर भारत ने संभवतः पहली बार चीन को हर तरह से करार जवाब दिया है .तमाम झटको के बाद भी चीन की  हेंकड़ी कम नहीं हुयी है.

चीन के तर्ज़ पर, कांग्रेस द्वारा 2014 व 2019 के लोक सभा लगातार चुनाव हारने के बावजूद पार्टी की अकड,हेठी  में कोई कमी नहीं देखी जा रही हैं .कभी भारत के 30 से ज्यादा राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थी.आज कुल मिलाकर ,मात्र 5 राज्य ,वो भी पूरा नहीं.1965 के बाद कांग्रेस कई बार टूट चुकी है.अब फिर से टूटन की तैयारी में हैं.वैसे भी देश के कई बड़े राज्यों से कांग्रेस का सफाया हो चूका है.चीन की तरह कांग्रेस में भी एक परिवार,एक व्यक्ति की तानाशाही है.बोलबाला है .दादागिरी है.वैसे औपचारिक व कागज़ी तौर पर पार्टी को “लोकत्रांत्रिक” कहा जाता है.कांग्रेस के अंदर कई प्रकार के तनाव बताये जाते हैं,सभी बड़े नेताओ को स्वयं को मोदी प्रभाव से बचने का तनाव है.स्वयं को बचाने का तनाव है.

 चीन ने कभी भी अपने पुराने नेताओ की नहीं सुनी.जिस वजह से 3-4 जून 1989 में थियान अन मन चौक का नरसंहार हुआ.जिसे विश्व कभी नहीं भूल सकता.आज की स्थिति में चीन में तीन बड़े गुट हैं ,जिनमें दो गुट आज के तानाशाह नेता शी जिनपिंग को हटाये जाने को लेकर उपक्रम करते रहते हैं.चूंकि चीनी मीडिया पूरी तरह सरकारी तंत्र के अधीन है.इसलिए ज्यादातर जीवंत लोकतंत्र की खबरे बाहर नहीं आ पाती.जैसा कि कोरोना की खबरों व कहर को लेकर हुआ.चीन ने अपने निहित स्वार्थो की वजह से पूरे विश्व को समाप्त करने की सोच ली.ऐसा अमानवीय हो गया है चीन.

चीन ने अपनी मनमानी चला रहा है.उसकी दादागिरी से पूरी दुनिया में  त्राहि माम हैं.उसी प्रकार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के मनमानी,दादागिरी,बाल हठ की वजह से देश के साथ पार्टी में भी  कई तरह के भ्रम की स्थिति बनी है.राहुल ने अपने वरिष्ठ नेताओ की कभी नहीं सुनी.अपनी माँ और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी की भी नहीं सुनी और न सुनते हैं.जब कांग्रेस सत्ता में थी तब भी,आज जब सत्ताविहीन है तब भी.उए उनकी महानता बताई जाती हैं.कांग्रेस अब वो पुरानी वाली कांग्रेस नहीं रही,चीन भी पुराना वाला चीन देश नहीं रहा.कभी बुद्ध की बात करने वाला चीन अब दाता भारत के साथ भी युद्ध की भूमिका में दिख रहा है.

135 साल की इतिहास वाली कांग्रेस सब कुछ गवां कर अब सिर्फ सोनिया-राहुल कांग्रेस हो गयी है .ऐसा लगता है सोनिया के नहीं रहने पर ये पार्टी, भाजपा नेता नरेद्र मोदी के कथन के अनुरूप- भारत कांग्रेस मुक्त हो सकता है.वैसे कांग्रेस मुक्त भारत की वो अंतिम लेख सोनिया एवं राहुल गाँधी लगभग लिख ही चुके हैं.भ्रष्टाचार  व चरित्र के मसले को लेकर यदि विश्लेषण किया जाये तो चीन और कांग्रेस एक जैसे ही लगते हैं.

चीन के नए तानाशाह नेता शी जिनपिंग को अपने पुराने व वरिष्ठ नेताओ की नसीहतों व  परम्पराओ की कभी परवाह नहीं रही.कांग्रेस ने भी अपनी प्राचीन परमपराओ व नेताओ की नसीहतो के मद्देनजर चीन के खिलाफ नहीं जाकर चीन के साथ खड़े हो गए हैं. ये राष्ट्रीय शर्म की बात है कि कांग्रेस ने कुछ रुपयों के लिए अपने जमीर के साथ देश की सुरक्षा,संरक्षा को चीनी शासको को बेच दिया.राजीव गाँधी फाउंडेशन के जरिये चीन सरकार से सैकड़ो करोड़ रूपये ने चंदे ने कांग्रेस के चेहरे पर कालिख पोत दी है,जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता.

चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत के साथ विश्व के कई विकसित और विकासशील देश गुस्से में हैं.इसलिए आज की तारीख में विश्व पटल पर चीन लग थलग पड़ा हैं.उसी तरह कांग्रेस को लेकर देश व विदेश में कई प्रकार के मिश्रित प्रतिक्रियाएं सुनने को मिल रही हैं .जो कि किसी भी राष्ट्रवादी राजनीतिक दल के सम्मानीय नहीं कहा जा सकता है.राष्ट्रवाद के मसले पर हाल में ही कांग्रेस नेता राहुल गाँधी को उनके ही समर्थक नेता शरद पवार ने खरी-खोटी सुनाई.

कांग्रेस सत्ता काल में निजी मसलो से राष्ट्रीय समस्याएं उत्पन्न हुयी.कई पड़ोसी देशो के साथ भारत के सम्बन्ध प्रभावित हुए.नेपाल,भूटान,मालदीव और श्रीलंका जैसे देशो के साथ उत्पन्न कटुता को अब काफी हद तक कम किया जा रहा है.कांग्रेस के उस कमजोरी का फायदा चीन ने उठाया.तभी नेपाल जैसे देश भी चीन की शह पर भारत को पहली बार आँखे दिखाने लगा.कांग्रेस को सत्ता में जाने की अजीब सी छटपटाहट है तो वही चीन को विश्व शक्ति बनने की अजब गज़ब तड़प.जो कि इतना आसान नहीं.कांग्रेस का सेना की शक्तियों पर प्रहार से देश व प्रधानमंत्री मोदी दोनों दुखी है,आम जनता में भी कांग्रेस के राष्ट्रविरोधी रवैये से रोष हैं.

चीन,भारत से कई मसलो को लेकर परेशानी में दिखने लगा हैं.प्रहार से बाज़ार तक.हजारो करोड़ रूपये की राशि का नुकसान चीन का हुआ.अब और ज्यादा होगा.भारत ने चीन को बुद्ध दिया,जबकि चीन ने भारत को समय समय पर युद्ध दिया हैं.प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी ने लेह में चीन का नाम लिए बिना जब विस्तारवादी का आरोप लगाया.चीन को वो मिर्ची की तरह लगी.चीन सरकार ने फ़ौरन खंडन किया.चीन विस्तारवाद को बढ़ावा नहीं देता.परन्तु पूरी दुनिया चीन की हरक़त व फितरत को समझ चुकी है.चीन पूरी तरह एक्स्पोज हो चूका है,जैसे भारत में कांग्रेस.

कुछ रोचक तथ्य हैं ,जो कांग्रेस और चीन के परस्पर आंतरिक सम्बन्धो को रेखांकित करते हैं.पिछले 16 वर्षो में भारत के विदेश सेवा के ज्यादातर अफसर चीन में काम करने के बाद विदेश सचिव बनाये गए या कई महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित किये गए.ये एक बड़ा सवाल है.अपने आप में जवाब भी.2013 का एक घटना से कांग्रेस और चीन का चेहरा,चरित्र और चाल की समानता का पता चलता है.तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा था उन्हें बीजिंग इतना अच्छा लगता है कि उनकी दिली इच्छा है कि वही बस जाएँ .जबकि उसी दौरान चीन ने भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जे का उपक्रम किया था.कांग्रेस व चीन की दोस्ती का इससे अच्छा प्रमाण क्या हो सकता है. ये भी एक तथ्य है कि 5 जुलाई को चीन ने भारत सरकार पर हिन्दू राष्ट्रवाद को  बढ़ावा देने का आरोप लगाया है,जो कांग्रेस और ओवैसी जैसे नेता भारत में भाजपा व मोदी सरकार के खिलाफ आरोपित करते रहते हैं.

कहते हैं जिनके घर शीशे के हो ,वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते.कांग्रेस के घर शीशे के हैं.कई स्थानों से पहले से जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं,लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और उनकी पार्टी के कई नेता इस तथ्य को जानकर भी अनजान दिख रहे हैं.पिछले सप्ताह  केन्द्रीय मंत्री व भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर जमकर प्रहार किया.उस प्रहार में कांग्रेस पर चीन से चंदा लेने का मामला भी उठाया.श्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि राजीव गाँधी फाउंडेशन ने चीन से करोड़ो रुपयों चंदा लेने का क्या औचित्य था??जिसका सही जवाब कांग्रेस के पास नहीं था.तमाम विसंगतियों के बावजूद कांग्रेस चीन को मदद करने की नीयत से भारत और मोदी सरकार के खिलाफ  लगातार झूठे आरोप लगा कर देश को दिग्भामित करने में जुटी हुयी हैं.शायद  नमकहलाली इसे ही कहते हैं.

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