कोरोना काल में दिल्ली में आप की सियासत व केजरीवाल की नौटकी से आम जनता परेशान

कुमार राकेश : कोरोना काल की मेरी दिल्ली,तुम्हारी दिल्ली,सबकी दिल्ली.राष्ट्रपति श्री कोविंद की दिल्ली,उपराष्ट्रपति वेकैया जी की दिल्ली,प्रधानमंत्री मोदी की दिल्ली.स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन की दिल्ली.मुख्यमंत्री केजरीवाल की दिल्ली.जिन्हें मुख मंत्री कहा जाये तो बेहतर होगा .क्योकि वे अपने आम मुख से  जब बोलते हैं तो पूरी दिल्ली निहाल हो जाती हैं .

सांसदों की दिल्ली ,विधायको की दिल्ली,पार्षदों की दिल्ली.आम जनों की दिल्ली.बिहार वालो की दिल्ली.बाहर वालो की दिल्ली.यूपी वालो की दिल्ली.केरल .तमिलनाडु,आन्ध्र.कर्णाटक वालो की दिल्ली,अफगानो की दिल्ली ,जापान वालो की दिल्ली.दिल वालो की दिल्ली ,बेदिल वालो की भी दिल्ली.दुनिया की दिल्ली,गाँवों की दिल्ली.शहरों में  शहर की दिल्ली.कभी इन्द्रप्रस्थ की दिल्ली तो कभी हस्तिनापुर की दिल्ली.कांग्रेस की कृपा से बाबर,औरंगजेब,कुतुबद्दीन,हुमायूँ जैसे देशद्रोहियों  व विश्व हिन्दू समुदाय के दुश्मनों की दिल्ली.है ,न ये अजब-गज़ब दिल्ली.

पर आज की तारीख में सिर्फ चीनी कोरोना कोविड 19 की दादागिरी वाली दिल्ली,जहाँ कोरोना का बोलबाला है.केजरीवाल का खुला झूठ का ताला है.तालाबंदी में सिसोदिया और केजरीवाल की जुगलबंदी है.सारे दिल्ली वासी अपने अपने घरों रहने के लिए बंदी हैं .

ओं मेरी दिल्ली ,क्या हो गया तुम्हे,क्यों हुआ,कैसे हुआ? ये एक ऐसा सवाल है जिसको लेकर प्रत्येक दिल्ली वासी परेशान हैं,हताश है ,बदहवास है,किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में आ गया है.सरकार,जनता और कोरोना के इस त्रिकोणीय संघर्ष में कोरोना बाज़ी मार रहा है.सरकार को कोरोना चिढ़ा रही है और जनता सरकार के हाथों महामूर्ख बन चुकी हैं.केंद्र और राज्य सरकारों की तथाकथित स्वास्थ्य सेवाओ की पोल पट्टी खुल चुकी हैं.सब बोल बहुत रहे हैं,पर कोई भी कुछ नहीं कर रहा हैं.

मैं भी हैरान हूँ.परेशान हूँ,चकित हूँ ,विस्मित हूँ.दुखी हूँ ,व्यथित हूँ.रोता हूँ .हँसता हूँ.कभी शून्य की तरफ देखता हूँ तो कभी महाशुन्य की अनुभूति होती है दिल्ली को लेकर.दिल्ली की स्थिति को लेकर.दिल्ली की मजबूरियों को लेकर.दिल्ली के निवासियों को लेकर.यहाँ के प्रवासियों को लेकर.यहाँ पर दिल्ली सरकार कुछ राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों को वोट की राजनीति के तहत देश का नागरिक बनाये जाने के उपक्रम को लेकर.बिहार व यूपी के बाशिंदों को दिल्ली से भगा कर केजरीवाल की क्षुद्र राजनीति के कई किस्सों  के कारण.

जी हाँ ,अपने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल बहुत महान हैं.उनकी महिमा अपरम्पार है.विश्व में यदि कही भी,किसी भी देश में झूठ और महाझूठ का कोई नोबेल पुरस्कार होता हो या भारत सरकार का भारत रत्न जैसा कोई पुरस्कार हो तो मेरे विचार से वो सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार के हक़दार सिर्फ हमारे अति लोकप्रिय मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल हैं.उनकी जय जय.उनके झूठ की भी जय जय.उनके मंचन अभिनय की जय.उनके तथाकथित जन प्रेम की जय.उनके कागज़ी कारवाई की जय.अब सोचिये ,विश्व विजयी का दिवा स्वप्न देखने वाले इस मुख-मंत्री केजरीवाल जी को किसी ने कभी किसी भी सरकारी या गैर सरकारी अस्पतालों में दौरा करते हुए देखा या सुना.मेरे को लगता है किसी ने नहीं देखा होगा.न ही सुना होगा.इसका कारण .मौत का महा-डर,क्योकि अपने केजरीवाल जी को अपनी  जान की बड़ी चिंता हैं .वह इतने बड़े समाजसेवी हैं कि आजतक अपने घर या ठीये से बाहर ही नहीं निकले.जबकि यूपी के मुख्ममंत्री योगी आदित्यनाथ,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित अन्य कई नेताओ को सबने देखा होगा कि आम जन के लिए वे सभी नेता कितना कष्ट उठा रहे हैं .कितना दर्द झेल रहे हैं .लोगो के बीच जा रहे हैं ,पर अपने अरविन्द  भाई का जवाब नहीं.वो तो रोज दूर दर्शन के सरकारी चैनलों  के अलावा सभी निजी टी वी चैनलों पर दिन में 5-6 बार उपस्थित हो जाते हैं अपने छैल छबीले रूप में .सबक मन मोहते हैं.दुश्मनों को  चिढाते हैं.बताते भी है कि वही देश के एकमात्र महा-मुख्य मंत्री हैं.जो दिल्ली वालो के लिए जान की बाज़ी लगा रहे हैं.यदि आप गौर से उनके भाव-भंगिमाओ को देखे तो पुराने जमाने के अभिनेताओ में ओमप्रकाश,जगदीप,मुकरी,भगवान,जोनी वाकर ,असरानी भी उनके अभिनय के आगे फीके दिखाई देंगे ,जबकि नए ज़माने में जोनी लीवर,राकेश बेदी,सहित सलमान खान,नसरुद्दीन शाह,आमिर खान भी पानी भरेंगे .उनके कुछ विश्वस्त करीबियों ने बताया कि केजरीवाल जब राष्ट्र पिता बनने की राह पर चले अन्ना हजारे को अपनी स्वार्थ परक राजनीति का औजार बनाया था,उसके पहले गुपचुप तरीके से मुबई में दो महान अभिनेताओं के अभिनय पाठशाला में अभिनय की विधिवत शिक्षा ग्रहण की थी.जिसमे आम जनता को बेवक़ूफ़ बनाये जाने का एक विशेष कोर्स भी शामिल था. आजकल वही विद्या व कला कौशल उनके काम आ रही हैं.पहले भी काम आई थी.भविष्य में भी काम आएगी.

वैसे तो आजकल वो छोटे परदे पर कुछ कम दिख रहे  हैं .पर वो जल्द ही प्रतिदिन हम सबका मनोरंजन के लिए अवतरित हो सकते हैं.क्योकि पता चला है कोरोना को “केजरीवाल रोग” हो गया है.इसलिए कोरोना अपने मुख्यमंत्री के महाभय से जल्दी दिल्ली से भागने की तैयारी में हैं .

वैदिक काल क्रम में यदि कलियुग के इस काल खंड  की यदि भविष्य में व्याख्या की जाएगी या याद किया जायेगा तो वो उस काल खंड  को दिल्ली के अक्षांश-रेखांश के तहत केजरीवाल काल से जाना जायेगा.इस बात को लेकर दिल्ली वालों में एक बड़े पुरस्कारों वाली प्रतियोगिता का  भी आयोजन किया जाना चाहिए.

अब हम बताते हैं आपको अरविन्द केजरीवाल के झूठ के रंग-बिरंगे,लुभावने,मनमोहक,कर्ण प्रिय किस्सों के बारे में.उसके बाद फैसला आप पर छोड़ देते हैं.मैंने तो जो समझना था,समझ लिया.आगे आपको समझना हैं.

मार्च 2020 में जब दिल्ली में कोरोना के केस कुछ सैकड़ो में थे तो उन्होंने घोषणा की चिंता की कोई बात नहीं.हमारे पास एक लाख बेड हैं,वेंटिलेटर हैं ,दवा और अन्य सामग्रियों का प्रचुर भंडार हैं.दिल्ली वालो ,डरने की जरुरत नहीं है.अप्रैल माह में कुछ मामले बढे.फिर वही पुराना राग.वो भी वैराग्य भाव से.फिर मई महीना आ गया.दिल्ली की स्थिति बिगड़ने लगी.लोगो की परेशानियाँ बढ़ने लगी.केंद्र सरकार की तालाबंदी में कुछ ढिलाई दी गयी.दिल्ली सरकार ने शराब की दुकाने खोल दी.जनता के पैसे ,जनता के लिए लूटने के लिए और उन्हें कोरोना से मरवाने के लिए.अतिरिक्त टैक्स 70 प्रतिशत के साथ.इसी बीच एक सज्जन ने आजिज़ होकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.वह पर गुहार की.फिर क्या था? हमारे अति लोकप्रिय मुख मंत्री की को पोल खुल गयी.बताया गया उन बेडो की संख्या 3120 मात्र हैं.

फिर मीडिया प्रबंधन के जरिये उस हंगामे को शांत करने की कोशिश.उसके बाद तो केजरीवाल जी का नया महा अवतार देखने को मिला.घर पर रहिये.अस्पताल मत आये.हम आपका वही इलाज करेंगे.कभी ज्यादातर कागजों पर चलने वाला बहु प्रचारित मोहल्ला क्लिनिक घर घर पहुँच गया.फिर नया शिगूफा.सिर्फ दिल्ली वालो का दिल्ली के अस्पतालों में इलाज किया जायेगा.अरे भाई साहेब ,दिल्ली के तो वो खुद नहीं.घोषणा कर दी .बवाल मचा.घोषणा करके अंतर्धयान.उपराज्यपाल अनिल बैजल जी ने उनके तुगलकी फरमान को पलट दिया.फिर निशब्द शांति.

पर दिल्ली में  कोरोना के मामले रोज बढ़ते गए,बढ़ते गए.अब तो मीडिया और टी वी चैनलों को भी शर्म आ गया है और वो भी कोरी सच्चाई पर उतर आये हैं.विश्वनीय सूत्रों की माने तो दिल्ली में आजतक करीब 4 हज़ार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.35 हज्जार से ज्यादा कोरोना के चपेट में आ चुके हैं.मौतों का सरकारी आंकड़ा हज़ार के अन्दर ही है.दिल्ली के श्मशान घाट उन मृतक शरीरों के दाह संस्कारों के लिए कम पड़ गए हैं.कब्रगाहो में जगह नहीं बचे हैं .अस्पतालों में खासकर निजी अस्पतालों की भूमिका ड्राकुला जैसी हो गयी है.

दिल्ली का शासन तंत्र हो या केंद्र सरकारों का,सबसे आम जनता का भरोसा उठ सा चूका है.अब तो एक ही रास्ता बचा है उस महान देवी देवताओ की असीम कृपा का,यीशु का ,अल्लाह का,वाहे गुरु का.जो हमारी रक्षा कर सकता है और दूसरा बड़ा रास्ता आत्म निर्भर होने का.परम पिता परमेश्वर और माता से एक ही गुहार –सब दिन दिखाए,पर ऐसा कोरोना काल उस ज़िन्दगी में दोबारा नहीं दिखाए…

*कुमार राकेश 

 

Comments are closed.