कोरोना युद्ध से दुनिया बेहाल,तो चीन निहाल!?

कुमार राकेश : कोरोनाकोविड19 प्रकोप से दुनिया बेहाल है तो चीन निहाल है.विश्व में अफरातफरी का माहौल है तो चीन में कथित शांति.पूरे विश्व में  सबसे बुरी स्थिति अमेरिका की है तो सबसे अच्छी स्थिति चीन की.अमेरिका तो महाशक्ति है,जबकि चीन विश्व शक्ति बनने की राह पर चल पड़ा हैं.शायद इसीलिए चीन के निशाने पर अमेरिका सबसे पहले बताया जा रहा  है,बाद में अन्य देश.

कोरोनाकोविड 19 को विश्व में फैलाये जाने को लेकर चीन सभी विकसित देशों द्वारा आरोपों के घेरे में हैं.चीन पर आरोप हैं कि उसने महाशक्ति बनने के सुनियोजित रणनीति के तहत अपने विशेष हथियार कोविड19 से पूरी दुनिया को लपेटे में ले लिया है.

 कोरोना को लेकर चीन के खिलाफ अमेरिका के साथ ब्रिटेन,इटली,फ़्रांस,स्पेन,जापान,जर्मनी व आस्ट्रेलिया जैसे देश खुलकर सामने आ गए हैं,जबकि कई ने देश तो अभी देखो व इंतज़ार करो की दूरगामी नीति पर काम करते दिख रहे हैं.चीन और अमेरिका के बीच तो शीत युद्ध जैसी स्थिति है.दोनों तरफ से किस्म किस्म के आरोपों  व प्रत्यारोपों का दौर जारी है.अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोविड19 को चीनी वायरस तक कह दिया था.इससे चीन तिलमिलाया.उलटे प्रहार में चीन ने कहा कि ये ट्रम्प के हार के भय से उत्पन्न बौखलाहट है.चीन का दावा है कि आने वाले चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव हार सकते है,इसलिए अभी चुनावी मुद्दा ढूंढ रहे हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि दोनों देशो के इस शीत युद्ध का असर कोरोना काल के बाद भी देखना पड़ सकता है.इससे गाहे-बगाहे विश्व की राजनीति और अर्थ नीति पर भी असंतुलित असर पड़ने की आशंका है.कोरोना के कई भावी दुष्प्रभावों  को लेकर संयुक्त राष्ट्र,विश्व बैंक,अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भी चिंता देखी जा रही है.इन वैश्विक संगठनो ने विश्व स्तर पर गरीबी व बेरोजगारी को बढ़ने को लेकर कई प्रकार की आशंकाएं ज़ाहिर की हैं,जबकि चीन मुस्कुरा रहा है.

कोरोना युद्ध के तहत अमेरिका सहित अन्य देशों ने  चीन के खिलाफ कई तरह के आर्थिक हर्जाने का नोटिस भेजा है.ऑस्ट्रेलिया,जर्मनी,जापान,इटली,फ़्रांस के साथ अन्य देश चीन को दोषी बताकर जान माल की क्षति के लिए हर्जाने व मुआवजा की मांग की है.परन्तु चीन ने उस मसले पर सभी दावों को एक सिरे से नकार दिया है. परन्तु उपलब्ध तथ्यों पर गौर किया जाये तो हमें लगता है कि पूरी दुनिया को बेहाल करने वाला एक मात्र दोषी चीन ही है.उन सभी देशो के कई सवालों  का चीन के पास कोई जवाब नहीं है.कहते है जो दोषी होता है,वो कई बार चुप रहने में ही अपनी भलाई समझता है.कमोबेश वैसी ही स्थिति चीन की बताई जा रही  है.

अमेरिका सहित कई देशो का मानना है कि चीन यदि उचित समय  पर पूरी दुनिया को सचेत कर देता,आगाह कर देता तो आज दुनिया की ऐसी भयावह तस्वीर नहीं बनती.यदि चीन समय रहते विमानों की आवाजाही पर रोक लगा देता तो भी दुनिया ऐसी दुर्भिक्ष स्थिति नहीं बनती.यदि चीन अमेरिका व  अन्य देशो को अपने कोरोना वाले प्रयोगशाला को देखने की इजाजत दे दी होती तो भी मामला काफी संभल सकता था.पर चीन ने ऐसा नहीं किया? क्यों? ये भी एक बहुत बड़ा सवाल है .ये तो भला हो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी का,जब उन्होंने सबसे पहले सभी विदेशी-देशी विमानों की आवाजाही पर रोक लगा दी,नहीं तो भारत में भी मौतों की संख्या लाखों में होती.

जरा सोचिये,यदि चीन समय रहते कोरोना कोविड19 को लेकर दुनिया को सचेत  कर दिया होता,चौकन्ना कर देता  तो आज की तारीख में  पूरी दुनिया में करीब ढाई लाख लोग काल की गाल में नहीं जा पाते.करीब 35 लाख लोग प्रभावित नहीं होते.सिर्फ अमेरिका में 67 हज़ार से ज्यादा मौते नहीं होती,ब्रिटेन,इटली में करीब 28 हज़ार से ज्यादा लोग असमय ही काल के गाल में नहीं समा जाते.छोटी आबादी वाले देशों में स्पेन व फ़्रांस में 25 हज़ार से ज्यादा लोग नहीं मरते.जर्मनी में 6 हज़ार से ज्यादा लोग मृत्यु के गाल में चले गए.बेल्जियम,ईरान,ब्राज़ील आदि देशो की भी ऐसी बुरी स्थिति नहीं होती.

पूरी दुनिया की इस हृदयविदारक स्थिति को देखे तो लगता है कि सोचने को विवश हो जाता हूँ,आखिर चीन ने ऐसा क्यों क्या? आखिर चीन चाहता क्या है? जिसने पूरी मानवता को हिलाकर रख दिया.ऐसा लगता है कि चीन मुसलमान आतंकवादियों से भी काफी आगे निकल गया है.चीन की गति उन सबसे कही ज्यादा है.वे आतंकवादी तो कुछ खास देश या धर्म विशेष से जुड़े लोगो को अपना क्रूर निशाना बनाया करते थे.बनाया करते हैं.उनकी क्रूर-गति तो तुलनात्मक तौर पर धीमी थी.लेकिन चीन ने तो एक झटके में पूरे संसार को मौत क कुओं में धकेल दिया? ऐसा क्यों?

 चीन के कोरोना से पूरे विश्व को बेहाल हो गया है,जबकि खुद निहाल अवस्था में हैं.विश्व के सभी देश चिकित्सा के लिए बेहाल है.सुविधाओ के लिए छटपटा रहा है,लेकिन चीन सभी देशो से बड़े पैमाने पर चिकित्सा उपकरणों के व्यापार करने में जुटा हुआ है.पिछले तीन महीनो में चीन के वैश्विक निर्यात में अप्रत्याशित वृद्धि बताई जा रही है.चीन कोरोना  स्थिति का फायदा उठाकर अमेरिका,जापान,भारत सहित अन्य देशों के कई वित्तीय संस्थानों पर भी कब्ज़ा करने की भी कोशिश में है.इससे त्रस्त होकर भारत सहित कई देश अपने कानूनों में बदलाव करने को मजबूर बताये जा रहे हैं.दुनिया में त्राहि त्राहि है.चीन में अद्भुत व्यापारिक शांति!

ये भी चिंता व चिंतन की बात है कि महात्मा बुद्ध का अनुयायी कहा जाने वाला चीन इतना घोर अमानवीय कैसे हो गया? विश्व के कई देशों को आश्चर्य है कि आखिर चीन ने ऐसा क्यों किया? चीन ने कोरोना वायरस की मदद क्यों ली? क्या ये जरुरी था? क्या इसके बिना चीन विश्व बाज़ार पर कब्ज़ा नहीं कर सकता था? क्या आज भी चीन का विश्व बाज़ार पर कब्ज़ा नहीं है? तो ये उपक्रम आखिर क्यों? क्या चीन को प्रकृति का संदेश नहीं मालूम.क्या चीन के पास ऐसी कोई दवा है,जिसकी वजह से चीन के विश्व विजयी का कथित दावा करने वाले राष्ट्रपति शिन पींग  को अमर कर लेगा? क्या उनके अलावा विश्व का कोई भी शक्तिशाली मनुष्य ये दावा कर सकता है कि वो कभी नहीं मरेगा.जब मृत्यु निश्चित है तो ये मारामारी क्यों? ये महामारी क्यों? ये उहापोह क्यों? मानवता की कीमत पर ये धन व शक्ति का विलावजह संग्रह क्यों? उगाही क्यों? ये दादागिरी क्यों? जब जीवन ही नहीं तो इस शक्ति का क्या मतलब?

कोरोना की मार से विश्व तबाह हो गया.हर बड़ा से छोटा देश त्रस्त हैं.सभी चौतरफा मार के चपेट में हैं.बाज़ार तबाह.बेरोजगार सडक पर.सरकारी व गैरसरकारी फंडों में भरी कमी.ये भी एक हैरान करनेवाला तथ्य है कि चीन में 81 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हुए और 94 प्रतिशत से ज्यादा ठीक हो गए.वो भी बिना किसी एकांतवास व चिकित्सा सूत्र को अपनाये.लेकिन ये भी चौकाने वाली बात है कि चीन उस बचाव फार्मले को किसी भी देश से सांझा नहीं कर रहा,क्यों? 

ऐसा लगता है,चीन के लिए इंसान नहीं, दुकान महत्वपूर्ण है.आचार-व्यवहार नहीं,बाज़ार जरुरी है.अमेरिका का दावा है कि चीन ने ही कोरोना कोविड19 पूरे विश्व में फैलाया.चीन में पहला केस दिसम्बर 2019 में ही पता चल गया था.परन्तु चीन जान बूझकर चुप रहा.30 जनवरी 2020 के बाद कोरोना ज्यादा आक्रामक हो गया.चीन के बुहान शहर में करीब 2 लाख से ज्यादा लोगो की मौतें हुयी,परन्तु चीन का दावा सिर्फ 4633 मौतों का ही है.पहले आंकड़े कुछ और थे.बाद में बढाये गए.अमेरिका व अन्य सूत्रों का दावा है कि चीन के अन्य प्रमुख शहर उस कोरोना प्रकोप से कैसे बच गए? वो डाक्टर,वैज्ञानिक और पत्रकार कहाँ व किस स्थिति में है,जिन्होंने सबसे पहले कोविड19 के बारे में सूचना जग ज़ाहिर करने की कोशिश की थी? चीन में सबसे पहले चमगादड़ पर एक खास प्रयोग हुआ था.लेकिन चीन ने अभी तक उसे प्रयोग को किसी से तकनीकी तौर पर साँझा नहीं किया है.क्योकि सूचना के आधार पर ये वायरस चमगादड़ के जरिये मनुष्य में पहुंचा.फिर वो मनुष्य के लिए मौत का चेन बन गया.

चीन से कई देशो का सवाल है.मुद्दे को लेकर.तथ्यों को लेकर.जिसका अभी तक चीन की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका है.यदि चीन में मात्र 4633 लोग ही मरे तो तायवान से 2 लाख बॉडी बैग क्यों मंगाए गए? पोर्टेबल शव दाह मशीनों की संख्या क्यों बढाई गयी? दो लाख से ज्यादा लोगो के मोबाइल फोन बंद क्यों पाए गए? क्योकि चीन में फोन एक अति आवश्यक उपकरणों में से एक है.नौकरी,सुरक्षा,चिकित्सा सहित अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए.बताया जा रहा है कि अमेरिका सहित कई देशो की ख़ुफ़िया एजेंसियों के पास चीन के खिलाफ कई प्रकार के सबूत बताये जा रहे हैं,जिसका समय आने पर वे एक साथ या बारी बारी से खुलासा कर चीन के उस अमानवीय चेहरे को बेनकाब कर सकते हैं.

चीन,कोरोना के इस खतरनाक खेल में एक और बड़ा पेंच WHO का भी है,कई देशो ने इस मसले पर WHO व अन्य वैश्विक संगठनो से उचित जांच की मांग की थी,लेकिन WHO ने उस जांच को उचित नहीं बताया.कोई कुछ भी कहे इस पूरे परिदृश्य में WHO की भूमिका पर भी एक सवालिया निशान लगा है.शायद इसलिए अमेरिका ने चीन समर्थित रवैयों को लेकर WHO को दी जाने वाली वार्षिक सहायता राशि पर रोक लगा दिया है. WHO ने इसको अनुचित बताया है.

तेज़ी से बदलती हुई परिस्थितियों के मद्देनजर विश्व महाशक्तियों सहित कई देशों का भी चीन के प्रति रवैये में भारी बदलाव आने की सम्भावना है.चीन के प्रति कई देशो का विश्वास घटा है,जबकि भारत का मान,सम्मान व साख विश्व में बढ़ा हैं.भारत ने विश्व में रक्षक के तौर दवाइयां वितरित की है.स्वाभाविक है हमें दुआये मिली हैं .भारत की मूल संस्कृति विश्व बंधुत्व का है.हमारा स्वाभाव है-वसुधैव कुटुम्बकम का.हमारी नियति व नीयत है निष्काम सेवा करने की.वो तो हम करते रहेंगे.

इसलिए विश्व स्तर पर तुलनात्मक तौर पर भारत का भविष्य उज्जवल होने वाला है.भारत का बाज़ार मज़बूत होने वाला है.व्यापारिक स्थिति भी बेहतर होने की सम्भावना है.चीन का बाज़ार घटेगा और भारत का बढ़ेगा.जिसके संकेत मिलने अभी से शुरू हो गए है.भारत के केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर की माने तो भारत का विश्वास विश्व में बढ़ा है.कई देशो की बड़ी कम्पनियों ने भारत की तरफ रुख किया है.करीब 200 से ज्यादा विदेशी बड़ी कम्पनियां भारत आना चाहती हैं.भारत में उनका स्वागत हैं.

इस पूरे घटना चक्र में भारत भी चीन से दोस्ती को लेकर गहन चिंतन मुद्रा में हैं.कोरोना के खिलाफ युद्ध में चीन द्वारा भारत को भी घटिया सामान आपूर्ति किये जाने को लेकर तनाव देखा गया है.हालाँकि कोरोना के इस विश्व संकट काल में भारत स्वयं को हर तरह से सुरक्षित करने में दिन रात एक किया हुआ है.जिसके संतोषजनक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं.उस सजगता में मुसलमान कौम के तब्लीघी जमातियों ने  सरकार,डाक्टर  स्वास्थ्यकर्मियों और आम जनता को हर तरह से परेशान करने की अपनी ओछी हरकतों से बाज़ नहीं आये,जबकि भारत की मोदी सरकार जाति,धर्म ,सम्प्रदाय से परे हटकर सबका साथ-सबका विश्वास मन्त्र के तहत उनकी और सबकी मदद करने में जी जान से जुटी हुयी हैं.उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने एक बार कहा था कि भारत ने दुनिया को महात्मा बुद्ध दिया,जबकि कई देशों ने  भारत को युद्ध दिया.आखिर क्यों?

*कुमार राकेश 

 

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