बिहार में अपराध पर सियासी टकराव: तेजस्वी के आरोपों पर पुलिस का पलटवार, कई मामलों में त्वरित कार्रवाई का दावा

समग्र समाचार सेवा

पटना, 13 अगस्त: बिहार विधानसभा चुनावी माहौल में अपराध के मुद्दे पर सियासी पारा चढ़ गया है। लंबे समय बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्य में बढ़ते अपराध को लेकर नीतीश सरकार पर सीधा हमला बोला और एक क्राइम बुलेटिन जारी किया, जिसमें हत्या की 17 घटनाओं का जिक्र किया गया। इस पर राज्य पुलिस मुख्यालय ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए विस्तृत जवाब दिया और कई मामलों में त्वरित कार्रवाई का दावा किया।

तेजस्वी का हमला — 17 हत्याओं का जिक्र

तेजस्वी यादव ने अपने क्राइम बुलेटिन में कहा कि बिहार में अपराधियों का मनोबल लगातार बढ़ रहा है और पुलिस-प्रशासन अपराध पर काबू पाने में विफल है। उन्होंने 17 हत्या की घटनाओं का उल्लेख करते हुए राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।

पुलिस का पलटवार — ‘सटीक विवरण नहीं’

राज्य पुलिस मुख्यालय ने पलटवार करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव द्वारा बताई गई 17 घटनाओं में स्थान, समय या अन्य संदर्भ स्पष्ट नहीं हैं, जिससे घटनाओं को ट्रेस करना आसान नहीं है।
पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि हाल में घटी कई घटनाओं का उद्भेदन किया गया है और आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। जिन मामलों का जिक्र तेजस्वी ने किया, उनमें से दो — रोहतास में किसान की हत्या और बेतिया में 18 वर्षीय युवक की हत्या — का कोई प्रत्यक्ष कनेक्शन नहीं मिला है।

मोतिहारी का मामला — फिरौती के लिए हत्या

पुलिस ने विशेष रूप से मोतिहारी में व्यापारी के बेटे नीरज की हत्या का मामला उजागर किया।

  • 10 अगस्त को कल्याणपुर थाना में असर्फी साह ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उनका बेटा नीरज, शुभम कुमार समेत अन्य लोगों द्वारा घर से बुलाकर ले जाया गया।

  • आरोपियों ने दो लाख रुपये रंगदारी मांगी और पैसे नहीं देने पर हत्या की धमकी दी।

  • 11 अगस्त को नीरज का शव मुजफ्फरपुर के पारू थाना क्षेत्र के एक चंवर में बरामद हुआ।

  • इस मामले में सभी 6 नामजद अभियुक्त गिरफ्तार हो चुके हैं और आगे की कार्रवाई जारी है।

‘कोई देरी नहीं, कार्रवाई जारी’ — पुलिस प्रवक्ता

पुलिस का कहना है कि हर छोटी-बड़ी घटना को गंभीरता से लिया गया है और अधिकतर मामलों में त्वरित गिरफ्तारी हुई है।
जिन मामलों में आरोपी फरार हैं, उनकी पहचान कर गिरफ्तारी की कोशिश जारी है। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि अपराध पर नियंत्रण के लिए सघन छापेमारी और निगरानी अभियान चल रहे हैं।

चुनावी मौसम में बढ़ी राजनीतिक गर्मी

विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में अपराध का मुद्दा हमेशा से चुनावी राजनीति का अहम हिस्सा रहा है। विपक्ष इसे सरकार की नाकामी के रूप में पेश कर रहा है, जबकि सरकार और पुलिस प्रशासन आंकड़ों और कार्रवाई के दम पर विपक्ष के आरोपों को खारिज कर रहे हैं।
अगले कुछ हफ्तों में इस मुद्दे पर बहस और तेज होने की संभावना है, क्योंकि चुनावी रैलियों और प्रचार में कानून-व्यवस्था एक बड़ा एजेंडा बनने जा रहा है।

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