समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 अगस्त। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को संसद में प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संबंध में प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में कई तरह की कठिनाइयाँ थीं, जैसे किसानों के लिए उच्च प्रीमियम और दावों के निपटान में विलंब। इसके अलावा, किसान और किसान संगठनों को कई तरह की आपत्तियाँ थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाई है, और जब से यह योजना आई है, आप तुलना करके देख सकते हैं कि पहले केवल 3.51 करोड़ आवेदन आते थे, लेकिन अब 8.69 करोड़ आवेदन आए हैं क्योंकि किसानों को इस योजना पर भरोसा है। पहले की सरकारों में अऋणी किसानों के केवल 20 लाख आवेदन आते थे, अब 5.48 करोड़ आवेदन आ रहे हैं। पहले कुल किसान आवेदन 3.71 करोड़ थे, जो अब 14.17 करोड़ हो गए हैं। किसानों ने 32,440 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया, जबकि उन्हें 1.64 लाख करोड़ रुपये का क्लेम मिला।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पुरानी फसल बीमा योजना में बीमा अनिवार्य रूप से किया जाता था और बीमे की प्रीमियम की राशि बैंक अपने-आप काट लेते थे। हमारी सरकार ने इस विसंगति को दूर किया है। अब किसान की मर्जी है कि वह बीमा कराएं या न कराएं। श्री चौहान ने कहा कि पहले अऋणी किसान बीमा नहीं करवाता था, लेकिन अब वो भी चाहे तो बीमा करवा सकता है। अब तक इसमें 5 लाख 1 हजार हेक्टेयर कवर हुआ था, जो 2023 में बढ़कर 5.98 लाख हेक्टेयर हो गया है, वहीं 3.97 करोड़ किसान कवर हुए हैं और किसान निरंतर फसल बीमा योजना अपना रहे हैं। योजना को सरल बनाने हेतु सरकार ने अनेक उपाय किए हैं, जिससे कि योजना का लाभ लेने में किसानों को कोई दिक्कत और परेशानी न हो।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक और नवाचार किया गया है। अब फसल नुकसान का आंकलन रिमोट सेंसिंग के माध्यम से कम से कम 30 प्रतिशत करना अनिवार्य कर दिया गया है। कई बार क्लेम भुगतान में देरी होती है। यदि देरी होती है, तो बीमा कंपनी 12% पेनल्टी देगी, जो सीधे किसान के खाते में जाएगी। देरी का मुख्य कारण अधिकांश राज्यों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी में अपने हिस्से को देरी से जारी करना है। उन्होंने कहा कि मैं सभी राज्य सरकारों से निवेदन करता हूं कि वे अपना हिस्सा जारी करने में देर न करें। कई बार उपज के आंकड़े विलंब से प्राप्त होते हैं। कुछ मामलों में बीमा कंपनी और राज्यों के बीच विवाद सामने आता है। पहले एक व्यवस्था थी कि जब राज्य सरकार अपनी राशि जारी करती थी, तभी केंद्र सरकार अपना हिस्सा देती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अब एक प्रावधान किया है और राज्य सरकार के शेयर से खुद को डी-लिंक कर लिया है, इसलिए अब केंद्र अपना शेयर तत्काल जारी करेगी, ताकि किसान के भुगतान में देरी न हो। किसान को कम से कम केंद्र की राशि समय पर मिल जाए।
चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूरे देश के हर जिले और हर किसान के लिए है। प्रधानमंत्री फसल बीमा के 3 अलग-अलग मॉडल हैं और उन मॉडलों में केंद्र सरकार केवल पॉलिसी बनाती है। राज्य सरकार जिस मॉडल को चुनना चाहे, उसे चुन सकती है। यह फसल बीमा योजना हर राज्य के लिए आवश्यक नहीं है; जो राज्य इस योजना को अपनाना चाहें, वे अपना सकते हैं और जो राज्य नहीं अपनाना चाहें, नहीं अपना सकते। श्री चौहान ने बताया कि बिहार में अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू नहीं किया गया है। बिहार की अपनी एक योजना है, और वह उस योजना के हिसाब से अपने किसानों को लाभान्वित करते हैं।
देश के किसानों को प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा है- शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को अब उच्च प्रीमियम और देरी से क्लेम भुगतान जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि किसानों को प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है और यह विश्वास अब और मजबूत हो चुका है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से किसानों को उनकी फसल के नुकसान की भरपाई के लिए अब अधिक सरल और प्रभावी तरीका प्रदान किया गया है। किसानों ने इस योजना के प्रति भरोसा जताया है और यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसान हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि देश के किसानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है और यह योजना इस विश्वास का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की नीति और योजनाएँ किसानों की भलाई और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित हैं।
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