समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 जनवरी। दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच तीखे हमले तेज हो गए हैं। इंडिया गठबंधन के इन दो घटक दलों की सियासी जंग से भाजपा बेहद खुश नजर आ रही है।
मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने AAP संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जोरदार हमला बोला। राहुल ने केजरीवाल को ‘दिल्ली के सबसे बड़े शराब घोटाले’ में लिप्त बताया और ‘शीशमहल’ में रहने का आरोप लगाया। यह पहली बार है जब राहुल गांधी ने AAP सरकार के आलीशान सरकारी आवास पर खुलकर निशाना साधा, जिसे भाजपा पहले ही बड़ा चुनावी मुद्दा बना चुकी है।
भाजपा ने साधा निशाना, कांग्रेस-आप की जंग से उठा विश्वसनीयता का सवाल
भाजपा ने दोनों दलों की आपसी कलह पर तंज कसते हुए कहा कि जनता अब इनके असली चेहरे को पहचान रही है। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा,
“केजरीवाल और गांधी कुछ महीने पहले तक सहयोगी थे और नरेंद्र मोदी को हराने की कसम खा रहे थे। तब गांधी को शराब घोटाला या शीशमहल नहीं दिखा, और केजरीवाल को नेशनल हेराल्ड घोटाला नजर नहीं आया। अब दोनों एक-दूसरे को भ्रष्ट कह रहे हैं। इनकी विश्वसनीयता क्या है?”
राहुल गांधी के आरोपों से नाराज अरविंद केजरीवाल ने भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कांग्रेस नेता को ‘कायर’ करार देते हुए पूछा कि अगर कांग्रेस इतनी ईमानदार है, तो नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार जेल क्यों नहीं गया?
राहुल गांधी ने अपने प्रचार अभियान में मुस्लिम बहुल इलाकों को प्राथमिकता दी है। कांग्रेस की रणनीति है कि AAP के वोट बैंक में सेंध लगाई जाए। दूसरी तरफ, AAP भी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सहयोग से मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश में जुटी है।
AAP इस सप्ताह अखिलेश यादव और कैराना की सांसद इकरा हसन से प्रचार करवाने की योजना बना रही है। इसका मकसद मुस्लिम वोटों का विभाजन रोकना है।
भाजपा बीते हफ्ते से राहुल गांधी के अचानक चुनाव प्रचार से दूर रहने पर तंज कस रही थी। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि राहुल और केजरीवाल के बीच ‘गुप्त समझौता’ है। लेकिन अब जब राहुल गांधी ने केजरीवाल पर सीधे हमले किए हैं, तो भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस और AAP की इस जंग से भाजपा को फ्रंटफुट पर खेलने का मौका मिल गया है। वह मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि जो दल आठ महीने पहले लोकसभा चुनाव में साथ थे, वे अब एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कांग्रेस और AAP की यह लड़ाई आगे भी जारी रही, तो भाजपा को दिल्ली में चुनावी फायदा मिल सकता है। भाजपा की कोशिश होगी कि कांग्रेस और आप का यह झगड़ा मुस्लिम वोटों का बंटवारा कर दे और इससे भाजपा को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिले।
अब देखने वाली बात यह होगी कि दिल्ली की जनता इस नई सियासी जंग को कैसे देखती है और क्या भाजपा इस स्थिति का पूरा लाभ उठाने में सफल होती है?
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