“जनसांख्यिकीय लाभांश और श्रम सुधार भविष्य के विकास को गति देंगे”: सुमिता डावरा

भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा के साथ उद्योग जगत की बातचीत

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,07जुलाई। 5 जुलाई 2024 को हैदराबाद में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और भारतीय नियोक्ता संघ (ईएफआई) द्वारा आयोजित उद्योग जगत से मेल-जोल में भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा ने भाग लिया।

अपने उद्घाटन भाषण में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा ने भारत की तीव्र विकास दर पर प्रकाश डालते हुए इस बात पर बल दिया कि विनिर्माण, सेवा क्षेत्र के विस्तार, बुनियादी ढांचे आदि विकास इंजनों के साथ-साथ भविष्य के विकास को गति देने के लिए भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश और श्रम सुधार, महत्वपूर्ण हैं।

आरबीआई के केएलईएमएस डेटा का हवाला देते हुए, उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों [2021-22 को समाप्त] के दौरान भारत में लगभग 8 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा हुए, जो बड़े पैमाने पर विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी पहलों (जैसे पीएलआई, मेक इन इंडिया), सेवा क्षेत्र का विस्तार, माइक्रो क्रेडिट तक पहुंच, निवेश, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों जैसे नए क्षेत्रों का उदय, वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) और स्टार्टअप आदि से प्रेरित थे। आगे, उन्होंने बढ़ती गिग अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डाला, जिसमें 2030 तक लगभग 2.3 करोड़ लोगों को रोजगार देने का अनुमान है।

सुमिता डावरा ने 29 श्रम कानूनों को चार व्यापक संहिताओं में समेकित करने पर चर्चा की, जिसका उद्देश्य श्रम कानूनों को अपराधमुक्त करने सहित विनियमन और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना है, जिससे व्यापार करने में आसानी होगी और अनुपालन बोझ में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि इसके बदले यह बढ़े हुए घरेलू और विदेशी निवेश प्रवाह और आपूर्ति श्रृंखलाओं और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं को भारत लाने के लिए आकर्षक होगा। उन्होंने आगे कहा कि सुधार अर्थव्यवस्था को गति देंगे, रोजगार के अवसर बढ़ाएंगे, महिला कार्यबल की भागीदारी बढ़ाएंगे और सामाजिक सुरक्षा और श्रम कल्याण में सुधार करेंगे, इन सभी से भारत में समावेशी विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधि%E

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