समग्र समाचार सेवा
कोलकत्ता, 29जुलाई। बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी को पश्चिम बंगाल कैबिनेट से बाहर होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक के बाद एक नए सबूत जुटाते जा रहे हैं. ED की नजर पर पार्थ की एक और दोस्त पर है. दोस्त के पासपोर्ट से मलेशिया जाने की जानकारी मिली है. वह क्यों मलेशिया गईं थीं, इसको लेकर पूछताछ की जा रही है. ED ने उनके दोस्त के पासपोर्ट ,उनकी फोटो समेत अन्य दस्तावेज़ को इकठ्ठा कर रही है. अब ED इस बात की जानकारी जुटा रही है कि क्या मलेशिया घूमना सिर्फ एक बहाना था ताकि पैसे को ठिकाने लगाया जा सके ?
ईडी अधिकारियों का अब मानना है कि यह हैवीवेट राजनेता (अनपेक्षित रूप से) राज्य में शिक्षकों की भर्ती के लिए घोटाले में शामिल अन्य लोगों की भूमिका के बारे में खुलासा करना शुरू करेंगे. उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी ने पहले ही मामले में बात करना शुरू कर दिया है और पूछताछ करने वाले अधिकारियों को बताया है कि पार्थ चटर्जी द्वारा उनके साथ केवल एक बैंक (जमाकर्ता) के रूप में व्यवहार किया गया था, ताकि वे कुछ एहसान के बदले नकद और अन्य कीमती सामान अपने पास रख सकें.
ईडी के एक सूत्र ने कहा, हम अब चटर्जी और मुखर्जी द्वारा बनाई गई मुखौटा (फर्जी) कंपनियों के स्वामित्व वाली संपत्ति की तलाश कर रहे हैं. घरों और फ्लैटों के अलावा, हमें बंटाला लेदर कॉम्प्लेक्स क्षेत्र में जमीन की जानकारी मिली है, जिसे कथित तौर पर शेल कंपनियों में से एक, इच्छी एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खरीदा गया था. इस जमीन का मूल्यांकन 20 करोड़ रुपये से ऊपर है. यह कथित तौर पर बेलियाघाटा में एक परिवार से खरीदी गई थी. संपत्ति का मूल्यांकन अकेले 50-60 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है. लेकिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को पार्थ चटर्जी को उनके मंत्री पद से मुक्त करने में लगभग छह दिन क्यों लगे?
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