दिल्ली के मुस्तफ़ाबाद में इमारत ढहने से चार की मौत, जांच के आदेश

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 अप्रैल।
शनिवार यानी आज तड़के दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके मुस्तफ़ाबाद में एक चार मंज़िला इमारत अचानक भरभरा कर गिर पड़ी। इस दर्दनाक हादसे में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अन्य के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है।
एक स्थानीय निवासी और चश्मदीद ने बताया, “रात करीब 2 से 2.30 बजे अचानक तेज़ आवाज़ हुई और पूरी बिल्डिंग ढह गई। बताया जा रहा है कि नीचे निर्माण कार्य चल रहा था।” उन्होंने भावुक होते हुए कहा, की “एक लड़की को मैंने खुद उठाकर एम्बुलेंस तक पहुंचाया, उस वक्त उसकी सांसें चल रही थीं।”
घटना में जिन लोगों की जान गई, उनमें से दो एक ही परिवार के सदस्य थे। मृतक के एक रिश्तेदार ने बताया कि उनके दो भांजों की मौत हो चुकी है। यह खबर सुनते ही पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
उत्तर पूर्वी ज़िले के एडिशनल डीसीपी संदीप लांबा ने बताया, की “अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। राहत और बचाव कार्य जारी है और मलबे में और लोगों के दबे होने की आशंका है।” इस घटना के बाद दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA), एनडीआरएफ (NDRF), दमकल विभाग (DFS) और अन्य एजेंसियां राहत कार्य में जुटी हुई हैं।
हादसे पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दुख जताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, “मुस्तफ़ाबाद में इमारत गिरने की दर्दनाक घटना से मन अत्यंत व्यथित है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
मुस्तफ़ाबाद से बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने दावा किया है कि उन्होंने इस इमारत की खतरनाक स्थिति को लेकर पहले ही प्रशासन को सतर्क कर दिया था। उन्होंने कहा की “तीन महीने पहले जब मैंने चुनाव जीता था, तब इलाके का दौरा किया था। उस समय ही मैंने देखा कि यह इमारत जर्जर अवस्था में है और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। मैंने इस संबंध में अधिकारियों को चेतावनी भी दी थी कि यह इमारत एक दुर्घटना को दावत दे सकती है।”
उनका यह बयान प्रशासन की लापरवाही की ओर इशारा करता है और हादसे की पहले से मौजूद आशंकाओं को सामने लाता है। अब सवाल उठता है कि जब खतरे के संकेत पहले ही मिल चुके थे, तो कार्यवाही क्यों नहीं हुई?
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने इस हादसे को सरकार की निष्क्रियता और लापरवाही का परिणाम बताया। उन्होंने कहा की “बीजेपी की सरकार के दौरान इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। चार लोगों की मौत बेहद गंभीर विषय है और यह दर्शाता है कि ज़मीनी स्तर पर निगरानी और सुरक्षा के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जा रही है।”
मुस्तफ़ाबाद की यह घटना एक बार फिर से बिना देखरेख के हो रहे निर्माण कार्यों और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़े करती है। जानमाल का नुकसान सिर्फ आंकड़ों में नहीं गिना जाना चाहिए, यह मानव जीवन की असमय समाप्ति है। जरूरत है कि प्रशासन, जनप्रतिनिधि और समाज मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि भविष्य में कोई और परिवार अपने अपनों को यूं मलबे में न खोए।

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