समग्र समाचार सेवा
पटना, 8 सितंबर: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियों को पूरी गति दे दी है। इस बार महागठबंधन और भारत गठबंधन दोनों ही गठबंधनों में शामिल छोटे दलों की बढ़ती महत्वाकांक्षा ने सियासी परिदृश्य को और जटिल बना दिया है।
भारत गठबंधन में नए समीकरण
इस बार भारत गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और लोजपा के पशुपति पारस गुट ने भागीदारी की है। दोनों ही दल अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे हैं। यह महागठबंधन और भारत गठबंधन के नेताओं के लिए चुनौती बन गया है, क्योंकि सीटों का बंटवारा अब और कठिन हो गया है।
झामुमो के अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी के लिए कम से कम एक सीट की मांग की है। सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन उन्हें झारखंड से सटे बांका, मुंगेर और भागलपुर क्षेत्रों में से एक विधानसभा सीट देने पर विचार कर रहा है।
पशुपति पारस की सीट और मंत्री पद की मांग
पशुपति पारस अपने गुट के लिए चार-पाँच सीटों के साथ एक मंत्री पद की भी मांग कर रहे हैं। तेजस्वी यादव और राहुल गांधी उनकी मांग पर सहमत हैं, लेकिन सीटों की संख्या को लेकर अभी बातचीत चल रही है। सूत्रों का कहना है कि पारस की मांगों का समाधान चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
महागठबंधन में मुकेश सहनी का दबाव
महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी ने भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वे अपनी पार्टी को 50 सीटों और उपमुख्यमंत्री पद चाहते हैं। हालांकि, महागठबंधन के शीर्ष नेताओं ने उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने पर सहमति जताई है, लेकिन सीटों की संख्या को लेकर केवल 20-25 सीटें ही देने की तैयारी है।
कांग्रेस और राजद की सीटों की योजना
पिछली बार कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई थीं। इस बार उन्हें लगभग 60 सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ सकता है। वहीं, राजद इस बार अपनी चुनावी संख्या बढ़ाकर 160 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। इसके अलावा, भाकपा-माले को भी 30 सीटें देने पर विचार हो रहा है, क्योंकि पिछली बार उन्होंने 19 में से 12 सीटें जीती थीं।
चुनावी रणनीति और भविष्य
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार की सियासत में यह गठबंधन और सीटों का समीकरण निर्णायक साबित होगा। छोटे दलों की महत्वाकांक्षाओं को संतुलित करना महागठबंधन और भारत गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती है। तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को अपने पुराने और नए सहयोगियों के बीच संतुलन बनाना होगा, जिससे गठबंधन में दरार न आए और चुनावी रणनीति प्रभावित न हो।
बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन और भारत गठबंधन के बीच सीटों की जंग और छोटे दलों की महत्वाकांक्षाएँ राजनीतिक परिदृश्य को और जटिल बना रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे गठबंधन नेता इन समीकरणों को सुलझाते हैं और चुनाव में अपनी ताकत बनाए रखते हैं।
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