कुमार राकेश : कहते है इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं.कोई कुछ भी कहे.सभी धर्मों का सार इंसानियत है.किसी भी धर्म की जड़ में जाये,वहां पर इंसानियत का ही वर्चस्व है.ये होना भी चाहिए.लेकिन बदले हुए हालात व परिस्थितियों के मद्देनजर इस्लाम के कुछ ठेकेदार उन सभी परिभाषाओं से खुद को मुक्त करने में जुट गए हैं .ऐसा लगता है,उन ठेकदारो की वजह से आम पढ़े लिखे मुसलमानं भी स्वयं को मुसलमान कहने से बचने लगेगे.क्योकि उन्हें तो इसी वैश्विक समाज में रहना है.
पिछले दिनों भारत में तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद व उनके लोगो ने जिस तरह कोरोना कोहराम मचाया.देश उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा.केद्र सरकार पर चौतरफा दबाव है कि उस भारत विरोधी मौलाना साद को गिरफ्तार कर उनकी संस्था को देश में प्रतिबंधित किया जाये.क्योकि यह संस्था देश के साथ मुस्लिम समाज का तो दुश्मन है ही,इंसानियत का भी दुश्मन हैं.ये नया खुलासा है देश के लिए.भारतीय समाज के लिए.
1927 में गठित इस समाज के सारे तार पाकिस्तान और अन्य इस्लामिक देशों से जुड़े हुए हैं.कोरोना कोहराम पर ये मौलाना साहेब किसी भी प्रकार के मेडिकल जांच को तैयार नहीं थे.उन्होंने देश के जन जीवन के साथ कानून व्यवस्था को भी पाने हाथों में लिया.ऐसा क्यों? क्या देश का कानून उनके लिए नहीं है?क्या उनका धर्म ही एकमात्र धर्म है,बाकी धर्मों का कोई अस्तित्व नहीं है? ऐसे देश द्रोहियों को सख्त से सख्त सज़ा दिए जाने की जरुरत है,जिसने भारत में नियंत्रित हो रहे कोरोना के आंकड़े को दो दिनों में 3 गुना कर दिया.
केंद्र सरकार बधाई की पात्र है कि उस भारत विरोधी मौलाना साद के मरकज़ में आये 960 विदेशियों का वीजा रद्द कर उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया.जिससे कि वे दुबारा भारत की यात्रा नहीं कर सके.आख़िरकार ये मुसलमान समाज के दिमाग बंद मौलाना स्वयं को समझते क्या हैं .जो धर्म ही दुसरे धर्मो की नक़ल से बना हो,पर उस पर उन धर्मो की अच्छाईयों को ढक कर अपना निहित स्वार्थपरक एजेंडा शुरू कर दे. ऐसा क्यों? ऐसे धर्म गुरु अपने कौम के तो दुश्मन है ही मानवता के भी दुश्मन हैं.केरल के राज्यपाल व इस्लामिक मामलो के सुलझे हुए विद्वान् आरिफ मोहम्मद खान साहेब ने भी ऐसे मौलाना साद जैसे को मानवता का दुश्मन बताया व उनके खिलाफ कड़ी क़ानूनी कारवाई किये जाने की मांग की.
यदि धर्मों के इतिहास को देखे,समझे और गहराई से जाने तो सनातन हिन्दू धर्म से प्राचीन कोई भी धर्म नहीं है.अभी तक विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त तथ्यों के आधार पर,सनातन हिन्दू धर्म करीब 10 हज़ार साल से भी पुराना है.वैसे तो हाल में एक शोध के अनुसार इस धरती पर सबसे पुरानी संस्कृति करीब 30 हज़ार साल की बताई जा रही है,जो सिर्फ सनातन हिन्दू संस्कृति की है.सनातन हिन्दू संस्कृति के आधारभूत स्तंभों में वेद,पुराण,उपनिषद के सार तत्वों को देखे तो उन सबका सार सभी धर्मों में दीखता है. मूल भाव उसी वैदिक संस्कृति का है.ऐसे तथ्यों के बावजूद मिथ्या प्रचार के बल पर इस्लाम के कुछ तथाकथित ठेकेदार खुद के धर्म को सबसे बड़ा बताते हुए मानवता के खिलाफत करते हुए उसे बढाने की अथक प्रयास करने में जुटे हैं.
जबकि इस्लाम का इतिहास इस धरती पर महज़ 1400 सालों का है.उससे भी पुराना ईसाई धर्म है.उससे पहले बौध्ह धर्म अस्तित्व में आया था.लेकिन विश्व स्तर पर इस्लामिक कट्टरता के कई नेतागण सभी धर्मो को झुकाने की नीयत के साथ मानवता के तमाम मूल्यों को रौंदने में जुटे हुए हैं .
शुरुआती दौर में विश्व में करीब 7 देश ही मुस्लिम धर्म मानने वाले थे,आज उनकी संख्या 57 हैं. वे स्वयं की संख्या को उतरोत्तर बढ़ाने के तमाम उपक्रमों में जुटे हुए हैं.उन 57 देशों में एक हैरान करने वाला तथ्य है कि 57 देशों में 16 मुस्लिम बहुल देशों के संवैधानिक स्थिति धर्म निरपेक्षता की है.इसके अलावा 2 देशों की स्थिति स्पष्ट नहीं है.शेष देशों ने स्वयं को संवैधानिक तौर पर इस्लामिक देश घोषित कर रखा है.लेकिन दुष्प्रचार में 57 मुस्लिम देशो का ही जिक्र किया जाता है.
वैसे तो विश्व इतिहास में कई ऐसे लाखों तथ्य हैं,जिनमे मुसलमान समाज के बर्बतापूर्ण आक्रमणों/रवैयों की चर्चा की गयी हैं.उससे भारत भी अछूता नहीं रहा.भारत को उन मुसलमानों आक्रमणकारियों ने हर तरह से डराया.धमकाया,लूटा,रौंदा और हर तरह के अमानवीय अत्याचार किये.इतिहास गवाह है कि भारत में करीब 335 वर्षों तक मुगलों ने शासन किया.बाद में अंग्रेजों ने भारत का दोहन किया.उन तमाम गुलामी से भारत मात्र 72 वर्ष पहले आज़ाद हुआ.
उन गुलामी काल में मुगलों व अंग्रेजों ने भारत को धर्म व संस्कृति को नष्ट करने का एक नया प्रयोगशाला बनाया.आज़ाद भारत में तबलीगी जमात उसी प्रयोगशाला की एक कड़ी है.पहले और बाद के कई प्रयोगों में भारत की मूल संस्कृति को हर तरह से कुचला गया.भारी संख्या में मौत का भय दिखाकर सनातन हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करवाया गया.हिन्दूओ के पूजा स्थलों को मस्जिद,गिरिजाघरो में बदला गया.जिससे कि आने वाले समय में सिर्फ उनके धर्मों का ही विश्व पर कब्ज़ा हो.हाल में ही 2019 में तथ्यों के आधार पर तथाकथित बाबरी मस्जिद को हिन्दुओं का प्राचीन राम मंदिर घोषित किया गया.इस ऐतिहासिक मंदिर को करीब 492 वर्षो से विवादित घोषित किया हुआ था.भारत में ऐसे कई ऐतिहासिक/धार्मिक स्थल हैं,जिन्हें मुस्लिम चिन्हों से मुक्ति की आवश्यकता है.देश का इतिहास मुस्लिम शासको की क्रूर व अमानवीय कहानियां से भरा पड़ा है.ये भी एक तथ्य है कि आज के कई बड़े-छोटे मुस्लिम परिवारों के पूर्वज हिन्दू थे.
कालांतर में भारत को आज़ादी के समय तोडा गया.1947 में कुटिल राजनीति के चलते मुस्लिम बहुलता के नाम पर भारत से अलग कर एक नया देश पाकिस्तान बना दिया गया.बाद में फिर एक नया मुस्लिम देश बांग्लादेश बनाया गया.57 देशों की सूची में ये नाम भी है.भारत आज़ादी के बावजूद कई मुस्लिम देशो और उनके नेताओं द्वारा के छुपे हुए लक्षित कार्यक्रम के तहत भारत को एक बार फिर से तोड़ने की साजिशें चल रही है.उस षड्यंत्रों में तबलीगी जमात जैसे संगठन व उनके सहयोगी हर तरह से सक्रिय बताये जा रहे हैं.सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार व कई राज्य सरकारों के पास वो सूचनाये हैं,परन्तु सरकारे मौन क्यों हैं.ये भी एक बड़ा सवाल है.
देश में कांग्रेस सरकारों ने वोट बैंक की राजनीति के तहत उन तथाकथित मुस्लिम एजेंडा को खूब बढाया.लेकिन 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद उनके कुत्सित इरादों पर एक ब्रेक सा लगा है.जिससे देश को बाँटने वाले तत्वों के कुत्सित इरादों पर बार बार पानी फिरता दिख रहा है.विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी नीति और नीयत से मुसलमान समाज को शिक्षित करने की योजनाओ पर कई कार्यक्रम शुरू किया हुआ है.जिससे वह उपेक्षित समाज देश की मुख्य विकास धारा से जुड़ सके.
सरकारी स्तर पर देश व राज्यों में अल्पसंख्यक मंत्रालय हैं.उससे सबसे ज्यादा लाभ मुस्लिम समाज को मिलता है.मिलता रहा है.कांग्रेस सरकार ने कई बार हिन्दू समग्र समाज को बांटने आर काटने की नीयत से जाति व वर्ग का भेद समय समय पर पैदा किया.हिन्दू समाज से जैन समुदाय को अलग कर अल्पसंख्यक श्रेणी में रख दिया गया था,जबकि उस उद्यमशील समाज ने कभी आरक्षण नहीं माँगा.भारत में जैन समाज की आबादी करीब 5 प्रतिशत है.
मुसलमान समाज में बढती आबादी भी एक भीषण समस्या है.उनकी आबादी बेइंतहा बढ़ रही है और एक एजेंडा के तहत बढाई भी जा रही है.आज की तारीख में भारत की आबादी में मुसलमानों का लगभग 19 प्रतिशत बताया जा रहा है.ये एक राष्ट्रीय समस्या है.इसका मुख्य कारण वो सभी तथाकथित मौलाना/धर्मगुरु हैं.मुसलमानों की बढती आबादी पर राष्ट्र हित में घोर अंकुश लगाये जाने की जरुरत है.
आज की तारीख में विश्व समाज मुसलमानो के एक खास वर्ग द्वारा किस्म किस्म के आतंकवादी गतिविधियों से बुरी तरह प्रताड़ित हो रहा है .भारत हो या युरोप या अमेरिका हर जगह उन मुसलमान गुटों का आतंक है.चाहे वो अमेरिका,पेरिस, बेल्जियम की घटना हो या मुंबई की.उस अमानवीय कृत्यों को कोई नहीं भूल सकता.उस मुसलमान समाज ने आम जनों के जन जीवन को खासा प्रभावित किया है.आने वाला समय उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा.
भारत में मुसलमान समाज दिग्भ्रमित है.शिक्षा का प्रतिशत अपेक्षाकृत काफी कम है.उसकी वजह उनके तथाकथित धर्म गुरु हैं,जो नहीं चाहते कि वो समाज शिक्षित हो.जिसमे तबलीगी जमात के मौलाना साद जैसे धर्म गुरु भी हैं.कुरान व अल्लाह के नाम पर मुस्लिम समाज का अनवरत शोषण कर रहे हैं.कोई भी तःथाकथित मौलाना या गुरु,मुसलमान समाज को कुरान की मानवीय वास्तविकता से रूबरू नहीं करवाता.सबके अपनी अपनी दुकाने हैं .इनके पास घोर शिक्षा की कमी से मुस्लिम समाज की 90 प्रतिशत से ज्यादा की आबादी दिशा विहीन हैं.इसलिए ये धर्म गुरु उनका अक्सर फायदा उठाते रहते है.जिस प्रकार 1 अप्रैल 2020 को कोरोना से प्रभावित मुस्लिम रोगियों ने रेलवे के अफसरों व डाक्टरों को हर तरह से जलील किया.स्वास्थ्य के नियमो का पालन करने में कोताही बरती,जबकि वे सब उन सबो के जान बचाने के लिए जुटे थे.
मुसलमान समाज में शिक्षा को प्रसारित करने की नीयत से 2003 में तत्कालीन केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने मुंबई के मुस्लिम जिमखाना क्लब में एक बेहतरीन कार्यक्रम की शुरुआत की थी.मदरसों में कंप्यूटर शिक्षा की शुरुआत डॉ जोशी के कार्यकाल में ही किया गया था.बाद में कांग्रेस सरकार ने उस पर पानी फेरने की कोशिश की.पर अब मोदी सरकार उस समाज के लिए कई बड़े व अच्छे कार्यक्रम चला रही हैं.लेकिन मुस्लिम समाज उनका फायदा भी लेता है,उलटे मोदी सरकार की बुराई भी करता है.
सनातन हिन्दू धर्म का स्वाभाव है-सर्वे सुखिनो भवन्तु.वसुधैव कुटुम्बकम .सबको सुख मिले,सबको सुकून मिले.विश्व में शांति हो,समृधि हो.पूरा विश्व ही हमारा परिवार है.
लेकिन मुस्लिम समाज के स्वयं घोषित नेतागण आज़ भी स्वयं को राष्ट्र के मुख्य धारा से जोड़ने व जुड़ने को तैयार नहीं दीखते.वजह साफ़ है.उनका एजेंडा साफ़ है.जो राष्ट्र विरोध की परिभाषा में आता है इस बात से भारत और अन्य आतंकवाद प्रभावित देश अवगत हो चुके हैं.समय रहते वो तथाकथित मुस्लिम नेतागण अपने चरित्र और चाल को बदल ले,जो विश्व मानवता के एक शुभ कदम साबित हो सकता है .
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