‘भारत और चीन, दोनों का साझा हित इसी में है कि दोनों देशों के बीच जिन करारों पर हस्ताक्षर हुए हैं उनका पालन किया जाए’: एस. जयशंकर
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13मार्च। केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद पर बात करते हुए कहा कि इससे दोनों ही देशों को कोई फायदा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि ये हमारे हित में है कि LAC के आसपास कई तरह की ताकतें न हों। उन्होंने कहा कि पिछले 4 साल से इससे न तो भारत और न ही चीन को फायदा हुआ है। एक पैनल चर्चा में उन्होंने ये बात कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल दौरे पर चीन ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद भारत ने खरी-खरी सुनाई।
केंद्रीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन, दोनों का साझा हित इसी में है कि दोनों देशों के बीच जिन करारों पर हस्ताक्षर हुए हैं उनका पालन किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत सीमा विवाद का स्वच्छ एवं युक्तियुक्त समाधान चाहता है, जो पिछले करारों के अनुरूप हो और बिना यथास्थिति को चुनौती दिए LAC को मान्यता दे। उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी इसका समाधान होगा, दोनों देशों के लिए उतना ही अच्छा है। उन्होंने ये भी कहा कि वो इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था, जिसके 4 साल होने को हैं। भारत की सेना चीन द्वारा भारतीय जमीन पर कब्जे की कोशिशों का पुरजोर जवाब दिया था। दोनों देशों के बीच उसके बाद कई स्तरों पर कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। S जयशंकर ने कहा कि भारत की अमेरिका को लेकर नीति और रूस-चीन के बीच बढ़ती दोस्ती के बीच कोई संबंध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस के प्रति हमारी नीति स्वच्छ है, उद्देश्यपूर्ण है।
पाकिस्तान से बातचीत को लेकर S जयशंकर ने कहा कि हमने कभी अपने दरवाजे बंद नहीं किए, लेकिन आतंकवाद के रहते ये संभव नहीं है। इधर केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने चीन की आपत्ति को नकारते हुए कहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमारे देश का अटूट हिस्सा था, है, और रहेगा। चीन ने कहा था कि उसने भारत के समक्ष राजनयिक आपत्ति दर्ज कराई है और इससे सीमा विवाद और जटिल होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत के रुख से चीन को कई बार अवगत कराया जा चुका है।
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