महादेव सट्टा केस: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और 4 आईपीएस अफसरों के ठिकानों पर CBI का छापा

समग्र समाचार सेवा
रायपुर,27 मार्च।
महादेव सट्टा एप मामले में सीबीआई की टीम ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के कई शहरों में एक साथ छापेमारी की। रायपुर, भिलाई और दुर्ग समेत 50 से अधिक स्थानों पर हुई इस कार्रवाई में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उनके दो ओएसडी, विधायक देवेंद्र यादव, केपीएस स्कूल के संचालक निशांत त्रिपाठी और चार आईपीएस अधिकारियों समेत कुल सात पुलिस अधिकारियों के ठिकानों पर जांच की गई।

महादेव सट्टा एप मामले में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। जांच एजेंसी की टीमों ने बुधवार तड़के कई अधिकारियों, नेताओं और उनसे जुड़े लोगों के घरों व कार्यालयों में दस्तावेज खंगाले। इस कार्रवाई के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही इस मामले में बीजेपी सरकार पर राजनीतिक षड्यंत्र रचने का आरोप लगा चुके हैं। वहीं, सीबीआई का कहना है कि वह साक्ष्यों के आधार पर आगे की जांच कर रही है।

महादेव सट्टा एप ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़ा एक बड़ा घोटाला है, जिसमें कथित तौर पर कई राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तियों की संलिप्तता बताई जा रही है। इस एप के जरिए करोड़ों रुपये के सट्टे का खेल संचालित किया जाता था, जिसमें हवाला के जरिए लेन-देन होने की भी आशंका जताई जा रही है।

पहले इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा था, जिसने महादेव एप से जुड़े कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी। अब सीबीआई भी इस मामले में सक्रिय हो गई है और उसकी जांच की दिशा कई बड़े नामों तक पहुंच रही है।

CBI की इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए भूपेश बघेल ने इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और बीजेपी इस मामले के जरिए उन्हें और उनके करीबियों को निशाना बना रही है।

“जब तक मैं मुख्यमंत्री था, तब तक बीजेपी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोली। अब सरकार बदलते ही मेरे सहयोगियों और अधिकारियों पर कार्रवाई हो रही है। यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक द्वेष की कार्रवाई है,” बघेल ने कहा।

वहीं, बीजेपी ने बघेल के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और अगर किसी ने कुछ गलत किया है, तो उसे कानून का सामना करना होगा। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि महादेव एप से जुड़े मामले में जिस तरह से हवाला और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।

CBI ने अभी तक इस छापेमारी के आधिकारिक नतीजों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, कई अहम दस्तावेज और डिजिटल सबूत एजेंसी के हाथ लगे हैं। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में इस कार्रवाई के राजनीतिक और प्रशासनिक असर पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। अब देखना यह होगा कि CBI की जांच इस हाई-प्रोफाइल मामले में किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या इस घोटाले से जुड़ी नई परतें खुलती हैं।

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