समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 दिसंबर। महाराष्ट्र के एक जिला परिषद स्कूल में मिड-डे मील खाने के बाद 70 छात्रों के बीमार होने की खबर सामने आई है। यह घटना राज्य के बीड जिले के एक सरकारी स्कूल में हुई, जहां भोजन खाने के तुरंत बाद बच्चों ने उल्टी, पेट दर्द और चक्कर आने की शिकायत की। मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी बच्चों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
घटना का विवरण
घटना तब हुई जब स्कूल में मिड-डे मील के तहत परोसे गए भोजन को बच्चों ने खाया। बच्चों ने भोजन करने के कुछ समय बाद ही अस्वस्थता महसूस की। स्थानीय प्रशासन और स्कूल प्रबंधन ने तुरंत एम्बुलेंस की मदद से बच्चों को अस्पताल पहुंचाया।
डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों को फूड पॉइजनिंग के लक्षण दिखाई दिए हैं। सभी छात्रों का इलाज जारी है और उनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। कुछ बच्चों को प्राथमिक इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि अन्य को निगरानी में रखा गया है।
मिड-डे मील की गुणवत्ता पर सवाल
इस घटना ने सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील की गुणवत्ता और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है, लेकिन ऐसी घटनाएं इस योजना की खामियों को उजागर करती हैं।
स्थानीय अधिकारियों ने तुरंत मिड-डे मील के नमूनों को जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा है। प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिला है कि भोजन में खराब सामग्री का उपयोग किया गया हो सकता है।
अभिभावकों और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद अभिभावकों और स्थानीय निवासियों में आक्रोश है। उनका कहना है कि बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
सरकार का रुख
महाराष्ट्र सरकार ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं। जिला प्रशासन ने मिड-डे मील के ठेकेदार और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है। शिक्षा विभाग ने भी निर्देश जारी किए हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए भोजन की गुणवत्ता की जांच को और सख्त किया जाए।
मिड-डे मील योजना की चुनौतियां
मिड-डे मील योजना भारत में लाखों बच्चों को स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराती है। हालांकि, इसके क्रियान्वयन में अक्सर निम्नलिखित समस्याएं देखी जाती हैं:
- भोजन की गुणवत्ता की कमी: भोजन बनाने में खराब सामग्री का उपयोग।
- निगरानी की कमी: स्थानीय स्तर पर योजना की निगरानी न होना।
- भंडारण और स्वच्छता: खाद्य सामग्री के भंडारण और भोजन बनाने की जगहों में स्वच्छता की कमी।
निष्कर्ष
बीड जिले की यह घटना न केवल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह मिड-डे मील योजना की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करती है। सरकार और संबंधित विभागों को इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
बच्चों का स्वास्थ्य सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मिड-डे मील योजना के क्रियान्वयन में सुधार की जरूरत है।
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