संसद सत्र में शुक्रवार को भी हंगामा, राज्यसभा में 500 के नोटों की गड्डी मिलने पर मचा बवाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 दिसंबर।
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। राज्यसभा में उस समय माहौल गरमा गया जब सभापति जगदीप धनखड़ ने यह खुलासा किया कि कांग्रेस की बेंच से 500 रुपए के नोटों की गड्डी बरामद हुई है। यह घटना सत्र के दौरान गहरी राजनीतिक खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप का कारण बनी।

सभापति का बयान

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, “सदन की गरिमा को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। लेकिन कल जो घटना हुई, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस की बेंच से 500 रुपए के नोटों की गड्डी बरामद हुई। इस मामले की पूरी जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

राजनीतिक विवाद बढ़ा

इस घटना के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस छिड़ गई।

  • भाजपा: भाजपा नेताओं ने इस घटना को “संसद की गरिमा के खिलाफ” बताते हुए कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यह मामला विपक्ष के दोहरे चरित्र को उजागर करता है।
  • कांग्रेस: कांग्रेस ने इसे भाजपा की साजिश करार दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “यह विपक्ष को बदनाम करने की चाल है। हम इसकी निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं।”

जांच की मांग और हंगामा

संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह मामला केवल ध्यान भटकाने के लिए उठाया गया है, ताकि जनता के असली मुद्दों से ध्यान हटाया जा सके। वहीं, सत्तापक्ष ने इसे “गंभीर घटना” करार दिया और तत्काल जांच की मांग की।

राज्यसभा का कामकाज प्रभावित

इस विवाद के चलते राज्यसभा का कामकाज बार-बार बाधित हुआ। सभापति ने कई बार सदन को शांत करने की कोशिश की, लेकिन हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी।

जनता के बीच सवाल

इस घटना ने जनता के बीच भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं:

  1. संसद जैसे उच्चतम लोकतांत्रिक मंच पर पैसे की गड्डियां कैसे पहुंचीं?
  2. क्या यह भ्रष्टाचार का मामला है, या किसी राजनीतिक साजिश का हिस्सा?
  3. क्या यह लोकतंत्र की गरिमा को चोट पहुंचाने वाली घटना है?

निष्कर्ष

राज्यसभा में नोटों की गड्डी मिलने की घटना ने संसद की गरिमा और उसकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।

संसद में उठने वाले ऐसे विवाद न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं, बल्कि जनता के विश्वास को भी चोट पहुंचाते हैं। यह वक्त है जब राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर सत्य सामने लाने की कोशिश करें।

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